बुज़ुर्ग महिला की मौत के मामले में पंजाब राज्य महिला कमीशन ने लिया सख्त एक्शन
punjabkesari.in Saturday, Aug 22, 2020 - 10:42 AM (IST)
श्री मुक्तसर साहिब (रीणी, पवन तनेजा): परिवार की तरफ से बुज़ुर्ग मां को घर निकालने के बाद उस की मौत होने के मामले में पंजाब राज्य महिला कमीशन ने सख़्त एक्शन लिया है। पंजाब राज्य महिला कमीशन ने बुज़ुर्ग महिला के दोनों बेटे, दोनों बेटियों और केयर टेकर समेत जांच अधिकारी को तलब कर दिया है। कमीशन की तरफ से 24 अगस्त को कमीशन के दफ़्तर में निजी तौर पर आकर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है।
क्या है पूरा मामला
बुज़ुर्ग महिला की बेहद गंभीर और दयनीय हालत के बारे में 14 अगस्त को किसी व्यक्ति ने थाना सी.टी मुक्तसर की पुलिस को सूचना दी थी। इस पर पुलिस ने मौके पर जाकर पड़ताल करने उपरांत समाज सेवीं संस्था 'सालासर सेवा सोसायटी' के सदस्यों के सहयोग के साथ पीड़ित को मुक्तसर के सिविल अस्पताल में दाख़िल करवा दिया था। जहाँ डाक्टरों ने उसे गुरू गोबिन्द सिंह मैडीकल कालेज फरीदकोट रैफर कर दिया था, जहां उसके पुत्र भी उसके साथ गए। परन्तु मौत होने उपरांत बीते दिनों जब महिला का जलालाबाद रोड स्थित शिवधाम में अंतिम संस्कार कर दिया गया तो लोगों में अत्यधिक हैरानी पाई गई।
शिवधाम के प्रबंधक शंमी तेहरिया ने बताया था कि पीड़ित महिला का बिजली वाली भट्टी में अंतिम संस्कार किया गया था और शाम तक परिवार उसकी अस्थियां भी ले गए। इस संबंध में महिला के पुत्रों के साथ संपर्क करने की कोशिश की थी परन्तु उनका कोई जवाब नहीं दिया था। सरकारी नौकरी पर लगे बुज़ुर्ग माँ के दो पुत्रों और गजटिड अफसर पोती की करीब 80 वर्षीय दादी लम्बे समय से किसी गरीब व्यक्ति के घर में ईंटों के बने छोटे से छिपने के स्थान में गुज़ारा कर रही थी। बीते दिनों उसकी अचानक संदिग्ध हालत में मौत होने के बाद डिप्टी कमीशन ने इस मामले का नोटिस ले इसकी पड़ताल के लिए ऐस्स. डी. ऐम्म. मुक्तसर की ड्यूटी लगा दी थी।
पुत्र ने मीडिया सामने आकर दी थी सफाई
बुज़ुर्ग माँ को घर में से निकालने के बाद उसकी मौत हो जाने पर पहली बार पुत्र राजिन्दर सिंह राजा ने कैमरे के सामने आ कर अपनी सफ़ाई पेश की थी। उस ने अपनी सफ़ाई पेश करते हुए कहा कि मुझे इस घटना पर पछतावा है। मीडिया के साथ बातचीत करते हुए उसने कहा कि पिछले 32 -33 सालों से मैं अपने भाई -बहनों से अलग रह रहा था और मेरी माँ उनके साथ रहती थी परन्तु यदि मुझे पता होता कि मेरी माँ इस हालत में है तो मैं ऐसा कभी न होने देता। हालांकि मैं इस घटना को लेकर आरोपी नहीं हु फिर भी लोग मुझे कोस रहे हैं। मेरे भाई -बहन ज़रूर दोषी हैं, क्योंकि वह उनके साथ रह रही थी परन्तु मुझे इस बारे कोई जानकारी नहीं थी। फिर भी मैं ख़ुद को भी दोष मुक्त नहीं करता। मैं सब बर्दाश्त कर सकता हूँ परन्तु अपनी बेटी जो एसडीएम है, उसके बारे एक बात नहीं सुन सकता।
बुज़ुर्ग महिला के दोनों पुत्र बड़े ओहदों पर तैनात थे और एक पुत्र एक्साईज विभाग में से रिटायर हो चुका है और दूसरा राजनितिक पार्टी के साथ जुड़ा थी जबकि बेटी शिक्षा विभाग में तैनात है और पोती एसडीएम फरीदकोट में लगी है। इतने बड़े ओहदों पर तैनात परिवार की तरफ से एक बुज़ुर्ग की संभाल न करना कहीं न कहीं इंसानियत को शर्मसार करने की बात है।