उत्तर-पुस्तिकाओं को लेकर PTU विवादों के घेरे में

punjabkesari.in Thursday, Oct 18, 2018 - 09:28 AM (IST)

जालंधर (खुराना): कई साल पहले महिला स्टाफ के यौन शोषण तथा उसके बाद डिस्टैंट एजुकेशन स्कैम के कारण चर्चा में रही पी.टी.यू. (पंजाब टैक्नीकल यूनिवर्सिटी) इस बार उत्तर-पुस्तिकाओं की टैंडर प्रक्रिया को लेकर विवादों और चर्चाओं में घिरी हुई है।

शहर की एक प्रमुख प्रिंटर कम्पनी ने इस सारे कथित घोटाले की शिकायत पंजाब विजीलैंस ब्यूरो से की है और इस मामले में ब्यूरो अधिकारियों को कई दस्तावेजी सबूत भी सौंपे हैं। विजीलैंस को दी गई शिकायत चाहे उत्तर-पुस्तिकाओं के प्रकाशन बारे इस साल यानी 15 अक्तूबर को जारी टैंडरों को लेकर है परंतु शिकायतकत्र्ता ने पिछले साल की टैंडर प्रक्रिया पर भी ढेरों सवाल उठाए हैं जिस कारण पिछली और इस बार की टैंडर प्रक्रिया संदेह के घेरे में हैं। शिकायतकत्र्ता का स्पष्ट आरोप है कि उसे टैंडर प्रक्रिया से बाहर रखने के इरादे से पुरानी उत्तर-पुस्तिका का सैम्पल नहीं दिया जा रहा और जानबूझ कर परेशान करने के इरादे से पुरानी अर्नेस्ट मनी भी वापस नहीं की जा रही।

कहीं जाली उत्तर-पुस्तिकाओं का खेल तो नहीं चल रहा 
पी.टी.यू. की खराब छवि के दौर में अक्सर आरोप लगा करते थे कि उत्तर-पुस्तिकाओं में फेरबदल और फेल को पास करने का खेल अक्सर खेला जाता है। इस बार भी पंजाब केसरी के पास पिछले साल पी.टी.यू. द्वारा छपवाई गई उत्तर-पुस्तिका का जो सैम्पल मौजूद है, उसे देखकर साफ पता चलता है कि पिछले साल जिस टैंडर के आधार पर इन्हें लाखों की संख्या में छपवाया गया, उस टैंडर की कई शर्तों को यह उत्तर-पुस्तिका पूरा नहीं कर रही। उदाहरण के तौर पर पिछले साल अक्तूबर 2017 में हुए टैंडरों में साफ लिखा था कि उत्तर पुस्तिका में ‘मैपलिथो’ पेपर का इस्तेमाल होगा। सैम्पल उत्तर-पुस्तिका में इस क्वालिटी का पेपर नहीं है। पिछले टैंडर डाक्यूमैंट में लिखा था कि ‘इन्वीजीबल इंक’ से हर पेज पर पी.टी.यू. मार्का होना चाहिए परंतु सैम्पल पुस्तिका में कई पन्नों पर ऐसा नहीं है। सिर्फ पहले पृष्ठ को छोड़ दें तो बाकी के पन्नों पर पी.टी.यू. का जो लोगो लगा है, उस पर आई.के.जी. शब्द ही लिखा हुआ नहीं है, जबकि पी.टी.यू. से पहले यह शब्द लिखा जाना अनिवार्य है। टैंडर प्रक्रिया में लेजर बार कोड को अनिवार्य किया गया था परंतु सैम्पल उत्तर-पुस्तिका में ‘इंक जैट’ बार कोड का इस्तेमाल हुआ है। विवाद इस बात को लेकर भी है कि बार कोड लगाने बारे जब एक पिं्रटर कम्पनी ने पी.टी.यू. अधिकारियों से स्पष्टीकरण और सैम्पल मांगे तो उसे जानबूझ कर कोई उत्तर नहीं दिया गया और लटकाया गया। पिछले साल छपी उत्तर-पुस्तिकाओं में पाई जा रही ऐसी कई कमियों बारे शिकायत विजीलैंस ब्यूरो को चाहे भेज दी गई है परंतु कहीं न कहीं यह संदेह भी व्यक्त किए जा रहे हैं कि जिस उत्तर-पुस्तिका वाले सैम्पल में ये कमियां हैं, कहीं वह जाली तो नहीं। 

टैंडर ड्राफ्ट कमेटी से लेकर वी.सी. ऑफिस तक के नाम शिकायत में 
विजीलैंस ब्यूरो को दी गई शिकायत में टैंडर ड्राफ्ट कमेटी से लेकर वी.सी. ऑफिस तक को घेरा गया है। इसमें टैंडर अप्रूवल कमेटी, टैंडर ओपङ्क्षनग कमेटी, टैक्नीकल बिड को जांचने वाली कमेटी, फाइनैंशियल बिड ओपङ्क्षनग कमेटी, रजिस्ट्रार ऑफिस (स्टोर एंड परचेज डिपार्टमैंट), एग्जामिनेशन डिपार्टमैंट, अकाऊंट्स डिपार्टमैंट के अधिकारियों पर भी उंगली उठाई गई है और मांग की गई है कि पंजाब और हजारों-लाखों विद्यार्थियों के हित में ऐसे अधिकारियों-कर्मचारियों को टैंडर प्रक्रिया से दूर रखा जाए जो पिछली टैंडर प्रक्रिया को लेकर संदेह के घेरे में आए हुए हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले साल की सैम्पल उत्तर-पुस्तिका में कई महत्वपूर्ण कमियां साफ दिख रही हैं परंतु कुछ साल पहले प्रकाश कम्युनिकेशन नामक प्रिंटर को सिर्फ इसी कारण ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था क्योंकि उसने यूनिवर्सिटी का वास्तविक लोगो इस्तेमाल नहीं किया था और उस प्रिंटर की पेमैंट आज तक यूनिवर्सिटी ने नहीं की हालांकि 10 साल से ज्यादा समय बीत चुका है। दूसरी ओर यह जानते हुए भी कि पेपर क्वालिटी, इन्वीजीबल इंक मार्क, बार कोड और लोगो प्रिंटिंग में विसंगतियां हैं, उस पिं्रटर को पूरा भुगतान कर दिया जाना कई सवाल खड़े कर रहा है। फिलहाल मामला विजीलैंस ब्यूरो के पास चले जाने से पी.टी.यू. की अफसरशाही में हड़कम्प मचा हुआ है। 

 

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