कनाडा में मारे गए विक्की ने 2 दिन पहले दोस्तों संग सैलीब्रेट किया था बर्थडे

punjabkesari.in Wednesday, Jul 18, 2018 - 10:45 AM (IST)

जालंधर(महेश खोसला): ब्रैम्प्टन (ओंटारियो) कनाडा में नीग्रो हमलावरों की गोली का शिकार हुए पलविन्द्र सिंह उर्फ विक्की ने 2 दिन पहले ही (15 जुलाई) अपना 28वां बर्थडे दोस्तों के साथ सैलीब्रेट किया था और इस दिन अपनी माता राजेन्द्र कौर व पिता गुरमेज सिंह के अलावा कनाडा में ही रहती बड़ी बहन जसविन्द्र कौर के साथ फोन पर खूब बातें भी की थीं।

इस बात का खुलासा मृतक विक्की के पिता गुरमेज सिंह ने ही किया है जोकि साल 2013 में 3 आई.आर.बी. से ए.एस.आई. पद से रिटायर हुए थे। मां-बाप के इकलौते बेटे और बड़ी बहन जसविन्द्र कौर के लाडले भाई की मौत पर अभी भी किसी को विश्वास नहीं हो रहा है। मां राजेन्द्र कौर ने कहा कि उसके बेटे विक्की का नवम्बर में उनके पास आने का प्रोग्राम था जिसके बारे में वह उन्हें अक्सर फोन पर बताता था। विक्की का जन्म 15 जुलाई 1991 को जालंधर में हुआ था। परिवार पहले रुद्रपुर (यू.पी.) में रहता था और फिर भटिंडा में आकर रहने लगा। 


बहन से 3 साल छोटा था विक्की
विक्की अपनी बहन जसविन्द्र कौर से 3 साल छोटा था। विक्की साल 2010 में और उसकी बहन 2011 में कनाडा गई थी। जसविन्द्र कौर ससकैच वैन के शहर रिजाइना सिटी में रहती थी। विक्की के घर से बहन के घर जाने के लिए 3 घंटे की फ्लाइट लेनी पड़ती थी। विक्की की हत्या की सूचना मिलते ही बहन जसविन्द्र कौर व जीजा अरुण सिंह मौके पर पहुंचे। सामने पड़ा विक्की का शव देखकर उनके होश ही उड़ गए। 

शादी के लिए मुश्किल से किया था राजी
बेटे की मौत से गुमसुम हो गई मां राजेन्द्र कौर ने कहा कि विक्की शादी के लिए मान नहीं रहा था, बार-बार इन्कार कर देता था। अब उसने कहा था कि मां चिंता मत करो, मैं अपने लिए नहीं तो आपकी सुविधा के लिए शादी जरूर कर लूंगा। बड़ी मुश्किल से बेटे को शादी के लिए राजी किया था, शादी की खुशियां भी मातम में ही बदल गईं। 


नैशनल एवेन्यू में छाया मातम 
पलविन्द्र की कनाडा में हुई हत्या की सूचना जैसे ही नैशनल एवेन्यू रामा मंडी क्षेत्र में पहुंची तो वहां मातम छा गया। लोगों की भारी भीड़ मृतक विक्की के घर में जाकर उसकी मां राजेन्द्र कौर व पिता गुरमेज सिंह से संवेदना जता रही थी। देर रात तक यह सिलसिला जारी था। गुमसुम बैठे मां-बाप को कनाडा से बेटी पल-पल की जानकारी दे रही थी। 


रात 9 बजे फोन पर पिता से की थी बात 
पलविन्द्र ने सोमवार रात 9 बजे (भारतीय समय) व सुबह 10 से 11 बजे (कनाडा समय) पर पिता गुरमेज सिंह से फोन पर भी बात की थी और इस दौरान एक-दो मिनट मां राजेन्द्र कौर ने भी बेटे से लाड़ जताया था। बेटे ने यह कहते हुए फोन बंद किया था कि आपकी रात हो चुकी है और उसने काम पर जाना है। ऐसे में मां-बाप कैसे मान सकते हैं कि उनका बेटा उन्हें हमेशा के लिए छोड़कर चला गया था।

कनाडा जाने के बाद 2 बार ही आया वापस 
 पलविन्द्र सिंह कनाडा जाने के बाद 2 बार ही अपने माता-पिता को मिलने के लिए आया। पहले 2012 में और फिर 2014 में। दोनों बार वह एक-एक महीना उनके पास रुका और फिर वापस कनाडा चला गया। वह खूब मेहनत करते हुए मां-बाप के हर सपने को पूरा करना चाहता था। 

बेटे के लिए तैयार हो रही थी नई कोठी
 पिता गुरमेज सिंह बताते हैं कि वह बेटे के लिए नई कोठी तैयार करवा रहे थे। जिस घर में वे पिछले 22-2& साल से रह रहे थे, उसे तोड़कर वहां कोठी का निर्माण किया था जो लगभग तैयार हो चुकी थी। वे इस समय नजदीक ही स्थित अपने किसी दोस्त की कोठी में रह रहे थे। उनका प्रोग्राम था कि वह बेटे के आने पर ही नई कोठी में प्रवेश करेंगे। 

पुलिस डी.ए.वी. का था स्टूडैंट
विक्की दूसरी-तीसरी क्लास तक सैवन-डे स्कूल में पढ़ता रहा। बाद में जब पुलिस डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल शुरू हुआ तो पुलिस विभाग में तैनात पिता गुरमेज सिंह ने उसका दाखिला वहां करवा दिया जहां से उसने 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की और बाद में विदेश जाने के अपने सपने को साकार किया।

फुटबॉल का था बेहतरीन खिलाड़ी
पलविन्द्र फुटबॉल का बेहतरीन खिलाड़ी भी था। उसने स्कूल स्तर पर कई मैचों में अपनी शानदार खेल प्रतिभा भी दिखाई और स्कूल टीम में खेलते हुए ट्राफियां भी हासिल कीं। 12वीं तक भी वह गेम खेलता रहा लेकिन विदेश की बात बन जाने पर उसकी गेम भी खत्म हो गई। 

नीग्रो को बर्दाश्त नहीं हो रही पंजाबियों की उन्नति 
पिता गुरमेज सिंह ने कहा कि उनके बेटे जैसे कई पंजाबी युवक हर रोज ही विदेशों में नीग्रो की गोलियों का शिकार हो रहे हैं जिसका कारण नीग्रो पंजाबियों की उन्नति बर्दाश्त नहीं होना है, जबकि पंजाबी युवक विदेश में जाकर अपने सपने को साकार करने के लिए कड़ी से कड़ी मेहनत करते हैं, जिसके लिए उन्हें बड़ी से बड़ी मुश्किल से गुजरना पड़ता है। गुरमेज सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार को अपने देश के नागरिकों की हिफाजत के लिए सख्त कदम उठाने चाहिएं, वर्ना ऐसी कीमती जानों को रोका नहीं जा सकेगा। 

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