Punjab में इस खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार को जारी करने पड़े सख्त आदेश, पढ़ें पूरी खबर
punjabkesari.in Wednesday, Jun 11, 2025 - 02:01 PM (IST)

पंजाब डेस्कः पंजाबवासियों के लिए एक चौंका देने वाली खबर सामने आई है। दरअसल, पंजाब की मिट्टी अत्यधिक रसायनों के इस्तेमाल के कारण बांझपन का शिकार हो गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, पंजाब की मिट्टी इस समय वेंटिलेटर पर है और इसे जीवित बनाए रखने के लिए अब अधिक मात्रा में रसायनों का प्रयोग करना आवश्यक हो गया है। जैविक रूप से, पंजाब के अधिकांश इलाकों की मिट्टी अपनी फसल देने की क्षमता खो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद फसल निकालने के लिए रसायनों का उपयोग पहले से कहीं ज्यादा बढ़ा दिया गया है। दूसरी ओर, भूजल संकट भी मिट्टी में नमी की उचित मात्रा को घटा रहा है, जिससे फसल उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है।
केंद्र सरकार ने जारी किए सख्त आदेश
भविष्य में इस खतरे को देखते हुए, केंद्रीय कृषि विभाग ने सख्त निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत, पंजाब के सभी जिला कृषि अधिकारियों को 10 से 15 हजार मिट्टी के सैंपल इकट्ठे करने का लक्ष्य दिया गया है। इन सैंपलों के आधार पर मिट्टी की गुणवत्ता का आकलन किया जाएगा और फिर किसानों को रसायनों के सही इस्तेमाल और मात्रा के बारे में जागरूक किया जाएगा।
पैदावार में लगातार गिरावट दर्ज
खन्ना के गांव रौणी के युवा किसान अवतार सिंह ग्रेवाल का कहना है कि पंजाब में फसल विविधता और टिकाऊ भूजल प्रबंधन से संबंधित कई कार्यक्रम वर्षों से चल रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात और भी बदतर होते जा रहे हैं। अवतार सिंह ने बताया कि करीब ढाई दशक पहले तक पंजाब के अधिकांश क्षेत्रों की मिट्टी जीववायु और मित्र कीटों से भरपूर हुआ करती थी, लेकिन रसायनों ने मिट्टी की प्राकृतिक शक्ति को नष्ट कर दिया है। यही वजह है कि पिछले 10 वर्षों से पूरे पंजाब में गेहूं और धान की पैदावार में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2014-15 के आसपास पंजाब में गेहूं की औसत पैदावार प्रति एकड़ 25 से 28 क्विंटल और धान की पैदावार 30 से 40 क्विंटल प्रति एकड़ हुआ करती थी लेकिन वर्तमान में गेहूं की पैदावार घटकर 22 क्विंटल और धान की 28 क्विंटल प्रति एकड़ रह गई है।