कांग्रेस को पुनर्जीवित करने को राहुल गांधी करेंगे देशव्यापी पदयात्रा

punjabkesari.in Tuesday, Jul 02, 2019 - 09:08 AM (IST)

जालंधर(चोपड़ा): लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के हुए हश्र से आहत राहुल ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश कर रखी है । वह अभी तक अपने फैसले पर पूरी तरह से अडिग दिखाई भी दे रहे हैं परंतु पार्टी की गतिविधियों में वह लगातार शामिल हो रहे हैं। 

राहुल ने दिए पार्टी को मजबूत करने के संकेत
यू.पी. व हरियाणा कांग्रेस नेताओं से बैठकों के बाद अब 5 कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग करके उन्होंने संकेत दे दिए हैं कि वह पार्टी प्रधान न रहने के बावजूद कांग्रेस को मजबूत करने के लिए अपना काम जारी रखेंगे। इसी कड़ी में राहुल गांधी पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए एक देशव्यापी पदयात्रा करने की योजना बना रहे हैं। कांग्रेस के उच्चतम सूत्रों के अनुसार पदयात्रा के माध्यम से राहुल गांधी कांग्रेस की विचारधारा, उसके राष्ट्र निर्माण के एजैंडे और स्वतंत्रता संग्राम में पार्टी की भूमिका के प्रसार के लिए सड़कों पर उतरेंगे। अभी वह केवल गैर नेहरू-गांधी परिवार के किसी वरिष्ठ कांग्रेस नेता को अध्यक्ष बनाने के कांग्रेस कार्यसमिति के फैसले की प्रतीक्षा कर रहे हैं। 

जनता से जुड़ेंगे राहुल
सूत्रों के अनुसार कार्यसमिति के पार्टी प्रमुख अथवा कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति के उपरांत राहुल गांधी नियमित बैठकों और पार्टी कार्यों से मुक्त हो जाएंगे, जिसके उपरांत वह देश की जनता के साथ जुड़ने पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्हें अहसास है कि देश भर के लोग कांग्रेस के साथ एक गहरे ऐतिहासिक बंधन से बंधे हुए हैं । कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए केवल उनके दिल को झिझोडने मात्र की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि राष्ट्रभर में प्रत्येक परिवार में एक कांग्रेसी (या तो बुजुर्ग या युवा) है और ऐसे लोगों को पार्टी में सक्रिय करने के दूरगामी परिणाम सामने आ सकते हैं। 

राहुल जल्द ही बनाएंगे योजना
राहुल पदयात्रा में अपने साथ युवा और वरिष्ठ नेताओं की एक संयुक्त टीम तैयार करेंगे, जिसके बारे में जल्द ही योजना बनाई जाएगी। वर्ष 2004 में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी ऐसे ही अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एन.डी.ए. सरकार को साधने के लिए लोकसभा चुनावों के लिए सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया था। सोनिया ने 2004 में पार्टी को शानदार जीत दिलाई थी। चूंकि अब लोकसभा चुनाव निपट चुके हैं और राहुल के पास हाशिए पर आ चुकी कांग्रेस को पुन: खड़ा करने के लिए पर्याप्त समय भी है। 

अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े राहुल 
यही कारण है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा राहुल गांधी को अपने पद पर बने रहने के लगातार किए जा रहे अनुरोध के बावजूद वह अपने फैसले पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि जनता से जुड़ने के लिए इस बड़े पैमाने पर काम करने की उनकी योजना को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि राहुल पार्टी अध्यक्ष के रूप में अपना इस्तीफा वापस नहीं लेंगे। कांग्रेस के नेताओं को यह भी लगता है कि लोकसभा चुनावों में पार्टी के फ्लॉप शो के बावजूद राहुल को बहुत सहानुभूति मिली है और वह खुद को जनता से जमीनी स्तर पर जुड़े नेता की सटीक भूमिका में लाकर इस सहानुभूति को कैश कर सकते हैं।  राहुल द्वारा पद छोडऩे के अपने फैसले की घोषणा के बाद, राज्य इकाइयों के 200 के करीब पदाधिकारियों ने उनके नक्शेकदमों पर चलते हुए अपने पदों से इस्तीफे दे दिए हैं ।  यह क्रम निरंतर जारी है। इसी बीच पार्टी ने कहा कि पूरा संगठन एक स्वर में लोकसभा चुनावों में हार की सामूहिक जिम्मेदारी लेते हुए राहुल को पद पर बने रहने का आह्वान कर रहे हैं। 

लोकसभा चुनाव में हारने के बाद पार्टी के कई नेताओं ने दिया इस्तीफा
संवाददाता सम्मेलन में, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेरा ने कहा कि पार्टी के कई नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है, देशभर के कांग्रेसियों की भावना है कि राहुल को पार्टी अध्यक्ष के रूप में बागदौर संभालनी चाहिए। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने अपना पद क्यों नहीं छोड़ा, इस सवाल पर खेरा ने कहा कि हर कांग्रेसी की राहुल को ही प्रधान देखने की इच्छा है, लोगों के पास अपने अनुरोध को व्यक्त करने के अलग-अलग तरीके हैं और इस्तीफे देकर उन्हें मनाने का कुछ नेताओं का अपना प्रयास है।

क्या राहुल का विकल्प बनेंगे सुशील कुमार शिंदे
गांधी परिवार के खासे नजदीकी सुशील कुमार शिंदे कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रधान पद की दौड़ में सबसे अग्रणी बने हुए हैं। शिंदे के नाम पर गांधी परिवार से भी सहमति मिलने की चर्चाएं बनी हुई हैं। कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो इससे पूर्व मल्लिका अर्जुन खडग़े, अशोक गहलोत, मुकुल वासनिक, जनार्धन द्विवेदी, गुलाम नबी आजाद, ए.के. एंटनी के नामों पर भी विचार किया गया, परंतु शिंदे की स्वच्छ छवि व उनके हमेशा पार्टी के अनुशासन में बने रहने को लेकर आम सहमति उनके नाम पर टिक गई है। चूंकि अभी प्रधान के नाम की घोषणा में पार्टी कोई जल्दबाजी करने के मूड में नहीं है परंतु फिर भी राहुल के किसी भी सूरत में न मानने के बाद विकल्प को लेकर शिंदे के नाम पर अंतिम मोहर लग सकती है।

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