मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर की छापेमारी, सामने आई हैरान कर देने वाली वजह
punjabkesari.in Saturday, Jun 07, 2025 - 11:01 AM (IST)

जालंधर (खुराना): पिछले कुछ समय से वैसे तो जालंधर नगर निगम के पूरे सिस्टम का भट्ठा बैठ चुका है परंतु शहर में लगातार बढ़ रही सीवरेज जाम की समस्या निगम अधिकारियों और राजनेताओं के कंट्रोल से बाहर हो गई थी। मेयर वनीत धीर को अपना पदभार संभाले करीब 5 महीने का समय हो चुका है और वह लगभग हर रोज दफ्तर जाकर पूरी हाजिरी दे रहे हैं। मेयर ऑफिस में उनका ज्यादातर समय पार्षदों और आम लोगों की सीवरेज जाम संबंधी शिकायतों को सुनने और हल करने में ही बीत जाता है। नगर निगम का ओ. एंड एम. सेल सीवर लाइनों की सफाई और सुपर सक्शन आदि पर हर महीने करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है परंतु इसके बावजूद सीवर संबंधी समस्याएं लगातार बढ़ रही थीं, जिस कारण मेयर और अन्य नेताओं को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था।
आज मेयर वनीत धीर और सीनियर डिप्टी मेयर बलबीर सिंह बिट्टू ने अचानक जैतेवाली सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया। इस दौरान मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर उस समय हैरान रह गए जब जैतेवाली ट्रीटमैंट प्लांट बिल्कुल बंद मिला। जबकि दूसरी ओर रामा मंडी की कई कॉलोनियों, विशेषकर दकोहा, भुल्लर कालोनी आदि में लोग सीवरेज जाम से परेशान थे और कई मोहल्ले, कॉलोनियां, गलियां गंदे पानी में डूबी हुई थीं।
गार अलग करने वाली मेन मोटर साल भर से खराब, प्लांट के अंदर जा ही नहीं रहा था पानी
मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर ने सबसे पहले वह स्थान देखा जहां से सीवरेज का गंदा पानी जैतेवाली प्लांट में प्रवेश करता है। वहां सीवरेज के गंदे पानी से गार आदि अलग करने हेतु एक मोटर लगी हुई है, जो पिछले 1 साल से खराब पड़ी थी। वहां इतनी गार जम चुकी थी कि सीवरेज का पानी जैतेवाली प्लांट के अंदर जा ही नहीं रहा था। जब दोनों ने प्लांट के अंदर जाकर देखा तो सभी कंप्यूटर, मशीनरी, मोटरें आदि बंद पड़ी थीं। ठेकेदार कंपनी के कुछ आदमी वहां मौजूद थे, परंतु कुछ भी नहीं कर रहे थे। जब उनसे प्लांट चलाने को कहा गया तो सिर्फ एक मोटर ही चल पाई।
दौरे के दौरान पाया गया कि कुल लगी 6 मोटरों में से तीन तो बिल्कुल खराब पड़ी थीं और उनके पैनल तक नहीं थे, जबकि बाकी दो मोटरें भी चलने वाली स्थिति में नहीं थीं। जब मेयर और बिट्टू ने प्लांट के कंप्यूटरों को ऑपरेट करके देखा तो हैरानीजनक बात यह थी कि प्लांट कोई भी काम नहीं कर रहा था।
गौरतलब है कि निगम ने वहां एक सरकारी कर्मचारी को भी देखरेख हेतु तैनात किया हुआ है, परंतु उसने भी बताया कि मेन मोटर साल भर से खराब पड़ी है और कई मोटरें काम ही नहीं कर रही हैं। उस सरकारी कर्मचारी ने मेयर को बताया कि ठेकेदार कंपनी के आदमी अक्सर उसे प्लांट के अंदर नहीं आने देते और छुट्टी वाले दिन तो उसे बाहर से ही लौटा दिया जाता है। एक और बात सामने आई कि जनरेटर को भी मैन्युअल मोड पर रखा गया था और वहां जिस प्रकार सूखी हुई गार और मशीनरी की हालत थी, उससे साफ प्रतीत हो रहा था कि प्लांट को कभी-कभार ही आधा अधूरा चलाया जाता है।
ठेकेदार ने 3.67 करोड़ में ले रखा है मेंटेनैंस का काम
मेयर वनीत धीर और बलबीर बिट्टू ने बताया कि लुधियाना की एक कंपनी ईकोटेक इंजीनियरिंग कंपनी ने 3.67 करोड़ में जैतेवाली प्लांट की ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस का कॉन्ट्रैक्ट ले रखा है। सिविल, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल तथा हॉर्टिकल्चर मेंटेनैंस की जिम्मेदारी कंपनी की थी, परंतु कंपनी का काम संतोषजनक नहीं दिखा। यह भी सामने आया कि जो एस्टिमेट तथा टेंडर परफॉर्मेंस आधारित होने चाहिए थे, उन्हें एकमुश्त रखा गया था, जिससे सारा फायदा कॉन्ट्रैक्ट लेने वाली कंपनी को हो रहा था और निगम को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा था।
कच्चे एस.डी.ओ. गगन लूथरा की जवाबदेही तय होगी
सीनियर डिप्टी मेयर बलबीर सिंह बिट्टू ने बताया कि निगम के ज्यादातर एसटीपीज़ का चार्ज आउटसोर्स आधार पर रखे गए एसडीओ गगन लूथरा के अधीन है। परंतु जैतेवाली प्लांट पर छापेमारी दौरान जो हालात सामने आए, उसकी पूरी जिम्मेदारी गगन लूथरा की बनती है जो या तो इस ओर ध्यान नहीं दे रहे थे या ठेकेदार कंपनी से मिले हुए थे। मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर ने आदेश जारी किए हैं कि लापरवाही हेतु कॉन्ट्रैक्ट लेने वाली कंपनी और एसडीओ गगन लूथरा को नोटिस जारी किए जाएं। साथ ही आगे से जैतेवाली प्लांट के संचालन के उचित इंतजाम सुनिश्चित किए जाएं। उन्होंने कहा कि मानसून सीजन को देखते हुए यह छापेमारी की गई है और बाकी प्लांट्स की वर्किंग को भी अचानक चेक किया जाएगा।
विजिलेंस जांच के लिए फिट केस
इन दिनों स्टेट विजिलेंस ने जालंधर निगम के बिल्डिंग विभाग, बी एंड आर तथा ओ. एंड एम. सेल पर शिकंजा कस रखा है। जहां अवैध बिल्डिंगों और कॉलोनियों से पॉलिटिकल वसूली के दोष सामने आ रहे हैं, वहीं बिना टैंडर तथा सैंक्शन के आधार पर करवाए गए करोड़ों रुपए के काम भी जांच का केंद्र बिंदु बने हुए हैं। शहर के एसटीपीज़ की ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस के काम में जिस प्रकार घोटाला हो रहा है, उसके चलते यह केस भी विजिलेंस जांच के लिए फिट माना जा रहा है।
खास बात यह है कि निगम द्वारा एसटीपीज को चलाने और मेंटेन करने के लिए करोड़ों रुपए हर महीने अदा किए जाते हैं। परंतु कॉन्ट्रैक्ट लेने वाली कंपनियों और संबंधित निगम अधिकारियों में इतनी गहरी सांठगांठ है कि निगम को हर महीने तगड़ा चूना लग रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में आम आदमी पार्टी की सरकार इस ओर भी ध्यान देकर एक बड़ा स्कैंडल सामने ला सकती है।
पने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here