डी.एम.डब्ल्यू. में इलैक्ट्रिक रेल इंजन बनाने का काम शुरू

punjabkesari.in Monday, Dec 11, 2017 - 11:46 AM (IST)

पटियाला(प्रतिभा) : पूरे देश में रेलवे को इलैक्ट्रिफाई करने के लिए रेलवे अथारिटी के इलैक्ट्रिक इंजन बनाने के प्रोजैक्ट के तहत डी.एम.डब्ल्यू. में इलैक्ट्रिक लोको (इंजन) बनाने की शुरूआत होने जा रही है। इसके लिए इलैक्ट्रिक लोको के पाट्र्स डी.एम.डब्ल्यू. में पहुंच चुके हैं। वहीं अब डी.एम.डब्ल्यू. अथारिटी का भी एक टैस्ट शुरू हो चुका है क्योंकि 2017-18 सैशन के लिए 2 इलैक्ट्रिक इंजन बनाकर देने हैं। इसके बाद 2018-19 के लिए यह लक्ष्य बढ़ाकर 60 कर दिया गया है। यानी नए सैशन में डी.एम.डब्ल्यू. को 60 इलैक्ट्रिक इंजन बनाकर देने होंगे। बता दें कि रेलमंत्री पीयूष गोयल ने पिछले दिनों एक बयान में कहा था कि जहां भी डीजल लोको बन रहे हैं, वहां ये बनने बंद कर दिए जाएंगे। क्योंकि पूरे देश में रेलवे लाइनों को इलैक्ट्रिफाई किया जा रहा है। ऐसे में रेलवे को अब डीजल इंजनों की जरूरत नहीं है। इन पर पैसा खर्च करना बेकार है। अब इलैक्ट्रिक लोको ही बनाए जाएंगे। हालांकि इस फैसले का डी.एम.डब्ल्यू. कर्मचारी यूनियनों ने विरोध भी जताया था। लेकिन रेलवे बोर्ड ने अपने फैसले को नहीं बदला और आखिरकार यहां डीजल इंजन की प्रोडक्शन को कम करके इलैक्ट्रिक लोको तैयार किए जाएंगे।

इलैक्ट्रिक इंजन के पार्ट्स भी पहुंचने शुरू हुए

डी.एम.डब्ल्यू. के पास अक्तूबर-2017 में ही रेलवे अथारिटी द्वारा एक पत्र भेजा गया था। इसमें यह साफ तौर पर कहा गया था कि अब डी.एम.डब्ल्यू. में सिर्फ इलैक्ट्रिक इंजन बनेंगे। उसे देखते हुए डी.एम.डब्ल्यू. ने इलैक्ट्रिक लोको के पार्ट्स के टैंडर भी मंगवाए और अब यहां काफी पार्ट्स इकट्ठे हो चुके हैं। इसके बाद रेलवे अथारिटी के निर्देशानुसार डी.एम.डब्ल्यू. में इलैक्ट्रिक लोको बनाए जाने हैं। पहले चरण में 2 इंजन बनने हैं।

देश की इन जगहों पर भी बन रहे हैं इंजन

डी.एम.डब्ल्यू. को जहां 2 इंजन बनाने का लक्ष्य मिला है। वहीं दूसरी तरफ देश की अहम लोकोमोटिव वक्र्स को भी इलैक्ट्रिक इंजन बनाने का लक्ष्य दिया गया है। सबसे पहले इलैक्ट्रिक लोकोमोटिव तैयार कर रही चितरंजन लोकोमोटिव वक्र्स पश्चिम बंगाल को &00 इंजन मार्च-2018 तक बनाने को कहा गया है। जबकि 2018-19 सैशन के लिए भी &00 इंजन ही तैयार करने हैं। इसके बाद डी.एम.डब्ल्यू. वाराणसी को मार्च-2018 तक 25 इंजन बनाने हैं। जबकि 2018-19 तक 17& इंजन बनाकर देने हैं। 

16 हजार करोड़ रुपए का खर्च घटेगा रेलवे का

रेलवे अथारिटी द्वारा देश में इलैक्ट्रिफिकेशन हर जगह पर की जा रही है। राजपुरा से धूरी तक भी इलैक्ट्रिफिकेशन का काम चल रहा है। इसके अलावा राज्य में अलग-अलग जिलों में इलैक्ट्रिफिकेशन करवाई जा रही है। रेलवे द्वारा इलैक्ट्रिफिकेशन प्रोजैक्ट चलाए जाने से 16 हजार करोड़ रुपए का खर्च कम होगा। क्योंकि अभी डीजल का खर्च रेलवे को 16 हजार करोड़ रुपए पड़ रहा है। इलैक्ट्रिफिकेशन होने के बाद यह खर्च काफी कम हो जाएगा।

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