Lockdown से ज्यादा घातक ‘रेल रोको’ आंदोलन, हो सकता है 15 लाख करोड़ का नुक्सान

punjabkesari.in Tuesday, Nov 03, 2020 - 09:59 AM (IST)

जालंधर/लुधियाना (सूरज ठाकुर, सर्बजीत): पहले लॉकडाऊन और अब 1 अक्तूबर से कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के शुरू किए गए रेल रोको आंदोलन ने पंजाब के उद्योगों की कमर तोड़ दी है। जानकारी के मुताबिक उद्योगों का करीब 13 हजार करोड़ रुपए का माल लुधियाना के ड्राई पोर्ट और रेलवे ट्रैक पर खड़ी गाडिय़ों में फंसा हुआ है। 

औद्योगिक क्षेत्र के व्यापारी संगठनों का मानना है कि यदि सप्लाई चेन दीवाली से नहीं खुली तो पंजाब के उद्योगों का सारा बिजनैस राजस्थान और दिल्ली के उद्योगों को शिफ्ट हो जाएगा जिससे आने वाले समय में राज्य को 15 लाख करोड़ के राजस्व का नुक्सान हो सकता है। 

यही नहीं ट्रेनों की आवाजाही से सूबे में यूरिया की भी कमी हो गई है जिसका किसानों को खुद भी नुक्सान उठाना पड़ रहा है। माल के 20 हजार कंटेनर रेलवे पोर्ट पर फंसे कृषि कानूनों के खिलाफ किसान जत्थेबंदियों के रेल रोको आंदोलन ने राज्य की अर्थ व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। हालांकि कैप्टन सरकार द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ बिल पास करने के बाद किसान जत्थेबंदियों ने मालगाड़ियों को चलाने के लिए रेलवे ट्रैक खाली कर दिए थे, लेकिन उसके बाद केंद्र सरकार ने ही पंजाब में मालगाडिय़ां चलाने से इंकार कर दिया था। रेलवे मंत्रालय इस बात पर अड़ा हुआ है कि राज्य सरकार पहले मालगाडिय़ां चलाने के लिए सुरक्षा की जिम्मेदारी ले। करीब एक माह से बंद हुई आवाजाही के कारण उद्योगों की हालत बहुत ही खराब होती चली जा रही है। नतीजन उद्योगों को उत्पादन के लिए कच्चा माल नहीं मिल रहा है और निर्यात करने वाला सामान 20 हजार कंटेनरों में रेलवे पोर्ट पर ही बंद पड़ा है।

ये उद्योग बर्बादी की कगार पर
रेल रोको आंदोलन से प्रभावित होने वाले उद्योगों में साइकिल, हौजरी, राइस प्रोसैसिंग, चमड़ा, इंजीनियरिंग का सामान, कपास, ट्रैक्टर के पुर्जे और हाथ से चलने वाले उपकरण उद्योग शामिल हैं। लुधियाना कस्टम्स हाऊस एजैंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश वर्मा के मुताबिक लगभग 4500 करोड़ रुपए का दूसरे देशों में निर्यात किए जाने वाला सामान या तो रेलवे स्टेशनों पर पड़ा है या फिर ट्रैक पर खड़ी मालगाडिय़ों में अटका पड़ा है। इसी तरह 7500 करोड़ रुपए का कच्चा माल लुधियाना के उद्योगों में नहीं पहुंच पा रहा है। इस कारण कई छोटे और बड़े उद्योगों में उत्पादन ठप्प होने की कगार पर है। वर्मा कहते हैं कि सरकार को इस समय रेल रोको आंदोलन से 300 करोड़ से अधिक का नुक्सान हो चुका है। ट्रेनों की आवाजाही के कारण पंजाब के उद्योगों का बिजनैस दूसरे राज्यों की ओर शिफ्ट हो रहा है।

साइकिल उद्योग संकट में
लॉकडाऊन की मार झेल चुके राज्य के साइकिल उद्योग पर भी किसानी आंदोलन के कारण संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कोविड संकट ने हाई-एंड फिटनैस और मनोरंजन बाइक की मांग में एक बड़ा उछाल ला दिया है लेकिन रेल रोको आंदोलन इस उद्योग पर भी भारी पड़ रहा है। हीरो साइकिल और एवन साइकिल जैसे ब्रांड्स का हाई-एंड साइकिलों में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल अलॉय, रिम्स और गियर पार्ट्स दिल्ली, राजस्थान या अंबाला में फंसे हुए हैं। हीरो साइकिल के सी.एम.डी. पंकज मुंजाल का कहना है कि भारत विदेशों में बढ़ती साइकिल की मांग को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा था। एवन साइकिल्स के सी.एम.डी. ओंकार सिंह पाहवा का कहना है कि हमने ताइवान से आयात करना शुरू कर दिया है। हमारी इकाई और कुछ अन्य साइकिल इकाइयों का कच्चा माल चीन से भी आ रहा है। यह माल कंटेनर ट्रेनों के जरिए हम तक पहुंचता है, जो रास्ते में फंस गए हैं।

कपड़ा और इंजीनियरिंग उद्योग एक माह से मालगाडिय़ां न चलने के कारण कपड़ा और इंजीनियरिंग उद्योग भी संकट में हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक कच्चे माल की वजह से जहां छह कपड़ा उद्योगों का परिचालन बंद हो चुका है वहीं इंजीनियरिंग उद्योग में उत्पादन 20-30 प्रतिशत कम हो चुका है। लुधियाना हैंड टूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एस.सी. रल्हन के मुताबिक कंटेनर कच्चे माल और तैयार माल ले जा रहे हैं जिसमें 6000 से 7000 करोड़ रुपए के धागे, स्टील, साइकिल पार्ट्स, हाथ उपकरण और अन्य सामान शामिल हैं। यह सभी कहीं न कहीं रेलवे पोर्ट्स पर फंसे हुए हैं। मालगाडिय़ों का परिचालन नहीं होने से हमें पहले ही 1500 से 2000 करोड़ रुपए का वित्तीय नुक्सान उठाना पड़ रहा है।

यूरिया की कमी से गेहूं-सब्जियों की फसल प्रभावित
किसानों के रेल रोको आंदोलन से उन्हें भी रबी की फसल के दौरान खासा नुक्सान उठाना पड़ सकता है। पंजाब में रबी की फसल के लिए 14.50 लाख टन यूरिया की जरूरत है, बताया जा रहा है कि राज्य में केवल 75,000 टन यूरिया ही उपलब्ध है। चार लाख टन यूरिया की खेप अक्तूबर में आने वाली थी, लेकिन केवल एक लाख टन ही पहुंची। मालगाडिय़ों के रद्द होने से गेहूं और सब्जियों की फसलों के लिए यूरिया की भारी कमी हो गई है और राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि इस वजह से रबी फसल की बुवाई प्रभावित हो सकती है। किसानों को रबी फसलों की बुवाई के लिए यूरिया और डी.ए.पी. (डायमोनियम फॉस्फेट) की जरूरत होती है। किसानों का आंदोलन जारी रहा तो इस बार राज्य में खाद की कमी के कारण गेहूं के उत्पादन में भी कमी आएगी।

कभी भी हो सकता है ब्लैकआऊट
रेल यातायात ठप होने के कारण राज्य के पावर प्लांट्स में कोयले की सप्लाई भी ठप हो चुकी है। पांच में से चार थर्मल पावर प्लांट बंद हो चुके हैं। राज्य बिजली निगम लि. के चेयरमैन-सह-प्रबंध निदेशक ए. वेणु प्रसाद ने यह जानकारी दी है कि राजपुरा में नाभा थर्मल प्लांट और मानसा में तलवंडी साबो पावर लि. में कोयला पूरी तरह से खत्म हो गया है। 

ज्यादा दिन तक राज्य सरकार पूल में बिजली खरीदने की हालत में भी नहीं है। जाहिर है कि किसानों की समस्या का यदि कोई समाधान नहीं निकला तो पूरे राज्य में कभी भी ब्लैकआऊट हो सकता है। इन गंभीर परिस्थितियों के चलते फैडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीयल एंड कमर्शियल ऑर्गेनाइजेशन (फिको) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह से किसानों के मुद्दों को हल करने का अनुरोध किया है। फिको के संगठन में 200 से अधिक सदस्य हैं और उनमें से अधिकांश साइकिल, ऑटोमोबाइल और प्लाईवुड उद्योगों से संबंधित हैं।

कृषि कानूनों से बिगड़ी स्थिति : समीर जैन 
इस बारे में पंजाब व्यापार मंडल के जनरल सैक्रेटरी समीर जैन ने बताया कि इस साल के मार्च महीने से तालाबंदी होने के कारण पहले ही पंजाब का व्यापारी बड़ी समस्याओं का सामना कर रहा है। कई महीने बंद रहने उपरांत जब फैक्टरियां खुलीं तो मजदूरों की कमी ने फैक्टरियों के काम और व्यापार पर रोक लगाई। तालाबंदी खत्म होने के बाद व्यापारियों का काम लाइन पर आने ही लगा था कि केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए कृषि कानूनों के विरुद्ध किसान लगातार प्रदर्शन करने लगे। मालगाडिय़ां न चलने के कारण लुधियाना की बंदरगाह पर हजारों कंटेनर फंसे हुए हैं। इसकी कीमत 4000 करोड़ से भी ऊपर है। बाकी स्थानों पर भी बंदरगाह तक पहुंचने के लिए सामान तैयार है जोकि इस संख्या से अलग है।

सरकार व किसानों की रस्साकशी में पिस रहा उद्योग वर्ग 
यूनाइटिड साइकिल एंड पार्ट्स मैन्युफैक्चरिंग एसो. के प्रधान डी.एस. चावला ने कहा कि कच्चा माल फैक्टरियों तक आना बंद हो गया है। यदि आता भी है तो वह महंगे भाव में मिलता है। फैक्टरियां बंद होने की कगार पर हैं परन्तु न ही राज्य की कोई राजनीतिक पार्टी उद्योगपतियों के साथ खड़ी है और न ही केंद्र की। उनके मुताबिक सरकार और किसान की रस्साकशी में उद्योग वर्ग बड़े स्तर पर पिस रहा है। इसी एसोसिएशन के सैक्रेटरी हरसिमरन सिंह ने बताया कि 4000 से अधिक कंटेनर बंदरगाह पर फंसे हैं और बाकी माल फैक्टरियों में पड़ा है। यदि सड़क रास्ते भी कंटेनरों को भेजना शुरू करते हैं तो खर्चा आमदन के मुकाबले दोगुना हो जाएगा।

केंद्र सरकार कर रही ड्रामेबाजी : राजेवाल
भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के प्रधान बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसान जत्थेबंदियों द्वारा मालगाडिय़ों को हरी झंडी देने उपरांत भी केन्द्र सरकार ने मालगाडिय़ां पंजाब में बंद कर दी हैं। केन्द्र सरकार पंजाब की अर्थ व्यवस्था बंद करना चाहती है। यदि खादों की बात करें तो पहले ही पंजाब के नंगल और बङ्क्षठडा में खादों की फैक्टरियां हैं। पंजाब के किसानों की मांग इनसे पूरी की जा सकती है परन्तु पंजाब के लिए खादें कांडला से आती हैं। 
केन्द्र सरकार यह ड्रामेबाजी कर रही है कि पंजाब के बाकी लोग किसानों के प्रदर्शनों से दुखी हो जाएं परन्तु ऐसा नहीं है अब पूरा पंजाब एक हो चुका है। उन्होंने कहा कि 5 नवम्बर को पूरे भारत में चक्का जाम है, यदि फिर भी सरकार किसानों की मांग नहीं मानती तो किसान जत्थेबंदियां भाजपा नेताओं के घरों का घेराव करेंगी। केन्द्र सरकार चाहती है कि किसान हिंसक हों और कोई गलत कदम उठाएं परन्तु ऐसा नहीं होगा। किसानों का शांतिमय प्रदर्शन तब तक चलता रहेगा जब तक केन्द्र सरकार कोई हल नहीं निकालती।

Tania pathak