घाटे में चल रही पैसेंजर ट्रेनों को बंद कर सकता है रेलवे, यात्रियों की सुविधा के लिए होगा दूसरा विकल्प

punjabkesari.in Sunday, Sep 13, 2020 - 04:01 PM (IST)

लुधियाना(गोतम): कोरोना महामारी के कारण किए गए लॉकडाउन के चलते पैंसेजर ट्रेनें रद्द होने की वजह से रेलवे विभाग की आर्थिक स्थित पटरी से उतरती दिखाई दे रही है। आर्थिक स्थिति पर काबू पाने के लिए विभाग की तरफ से कई दूसरे रास्ते निकाले जा रहे हैं जिसके चलते रेल मुलाजिमों को बढ़िया मैडीकल सुविधा उपलब्ध करवाने की आड़ में रेलवे के अस्पताल बंद करने, मालगाड़ियों से आय बढ़ाने के लिए उस पर फोकस करने, पार्सल ट्रेनों को बढ़ावा देने के साथ अन्य विकल्प निकाले गए हैं।

इस दौरान विभाग की तरफ से जहां मालगाड़ियों को जीरो बेस्ड टाइम टेबल के साथ चलाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं अब पैसेंजर ट्रेनों को भी जीरो बेस्ड टाइम टेबल से चलाकर अपनी कई सौ करोड़ रूपए इन्कम बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है। इसके लिए रेलवे यात्रा भाड़ा व अन्य चार्ज भी नहीं बढ़ाना चाहता।

रेलवे सूत्रों का कहना है कि आने वाले समय में लाकडाउन के बाद ऐसी कई ट्रेनों को हटाया जा सकता है जिनमें यात्रियों की संख्या क्षमता से आधी या उससे भी कम रहती है और सालभर में घाटे में जाती है। ऐसी ट्रेनों में यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए नए विकल्प निकाले जाएंगे। 

सूत्रों का मानना है कि पैसेंजर ट्रेनों को हटाने के बाद उसके स्थान पर अधिक से अधिक मालगाड़ियों को चलाया जाएगा और इन ट्रेनों के साथ-साथ पैसेंजर ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ा दी जाएगी। जीरो बेस्ड टाइम टेबल के अनुसार ट्रेनों को समय पर चलाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक ट्रेनें चल सकें।

इसके अलावा लंबी दूरी की ट्रेनों के 200 किलोमीटर की दूरी तक अगर कोई बड़ा शहर नहीं आता तो वहां उसका ठहराव बंद कर उसके स्थान पर अन्य पैसेंजर ट्रेनों को ठहराव दिया जाएगा, ताकि लोगों को परेशानी न झेलनी पड़े। इसके अलावा 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को विशेष स्थान दिया जाएगा।

अधिकतर लंबी दूरी की ट्रेनों में रेलवे एल.एच.बी. लिंक हाफमैन बुश के 22 कोच लगाए जाएंगे जिनकी क्षमता आई.सी.एफ. कोच इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के कोच से अधिक होती है और यह सुरक्षा के मद्देनजर बढ़िया है। अधिकतर ट्रेनों में आई.सी.एफ. के 24 कोच लगाए जाते हैं। 


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Sunita sarangal

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