शहीद का गांव नहीं बन सका आदर्श ग्राम, सांसद बिट्टू बोले-योजना ही ‘जुमला’ थी

punjabkesari.in Saturday, Mar 30, 2019 - 12:41 PM (IST)

मुल्लांपुर/लुधियाना (कालिया/हितेश):आम चुनावों का बिगुल बजने के बाद सत्ताधारी पार्टियों के नेता जहां लोगों के बीच जाकर अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं । वहीं, विपक्ष द्वारा केंद्र व राज्य सरकार के काम की खामियां गिनाने का कोई मौका नहीं गंवाया जा रहा है। इसी तरह जो मौजूदा सांसद लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, उनसे भी लोगों द्वारा रिपोर्ट कार्ड मांगा जा रहा है। इनमें लुधियाना से रवनीत बिट्टू का नाम भी शामिल है। उनके द्वारा आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया गया गांव इस्सेवाल 5 साल में भी आदर्श नहीं बन पाया है।

इसके तहत इस गांव के लोग आज भी पानी-सीवरेज व सड़कों जैसी मूलभूत सुविधाओं के इंतजार में हैं। इसे लेकर लोगों द्वारा मौजूदा सांसद पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि उन्होंने गांव में कोई काम नहीं करवाया जबकि केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ते हुए बिट्टू ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से अपनी स्कीमों के तहत एक रुपए की ग्रांट नहीं दी गई जिस कारण आदर्श ग्राम योजना जुमला बनकर रह गई।   

शहीद निर्मलजीत सेखों के नाम से जाना जाता है इस्सेवाल

गांव इस्सेवाल को शहीद निर्मलजीत सिंह सेखों के नाम से जाना जाता है, जो एयरफोर्स में सेवाएं देते हुए 1971 की जंग में शहीद हो गए थे। उन्हें परमवीर चक्र का सम्मान भी मिला हुआ है और उनकी याद में डाक टिकट भी जारी की गई है। लेकिन शहीद के गांव के लोगों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने के मामले में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई।

4 गांव गोद लेने की सिफारिश
यहां बताना उचित होगा कि आदर्श ग्राम योजना के तहत सांसद द्वारा हर साल एक गांव को गोद लेने का प्रावधान रखा गया था लेकिन रिकार्ड के मुताबिक बिट्टू द्वारा पहले साल इस्सेवाल का नाम देने के बाद अगले 4 साल किसी गांव का नाम प्रशासन के जरिए केंद्र सरकार को नहीं भेजा गया। इसे लेकर बिट्टू ने सफाई दी है कि पहले साल की गई सिफारिश के प्रति केंद्र सरकार की उदासीनता को देखने के बाद किसी गांव का नाम न भेजना ही उचित समझा गया। 

हैल्थ सैंटर में नहीं होते डाक्टर के दर्शन
भले ही आदर्श ग्राम योजना के तहत फंड न मिलने के लिए एम.पी. बिट्टू ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन राजय सरकार के लेवल पर होने वाले कई कामों से संबंधित सुविधाएं भी गांव इस्सेवाल के लोगों को नहीं मिल रही हैं जिसके तहत गांव में सरकारी हैल्थ सैंटर तो बना हुआ है लेकिन वहां कभी डाक्टर के दर्शन नहीं होते जिस कारण लोगों को एमरजैंसी में सेहत सुविधाएं नहीं मिल पातीं और रूटीन चैकअप के लिए भी गांव से काफी दूर स्थित प्राइवेट अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है। 

विकास से अधूरा पड़ा गांव : सरपंच हरिन्द्र सिंह 
सरपंच हरिन्द्र सिंह ने कहा कि  गांव में गलियों, नालियों, ङ्क्षलक सड़कों आदि का काम अधूरा पड़ा है । डिस्पैंसरी में डाक्टरों की कमी के कारण सिर्फ स्टाफ नर्स ही काम चला रही है। यातायात के लिए कोई भी सरकारी बस नहीं लगाई गई और सांझ केंद्र भी बंद पड़ा है।

बस की सुविधा नहीं
लोगों में रोष है कि गांव इस्सेवाल के लिए कोई बस सुविधा नहीं है। इसी तरह गांव में सरकारी व प्राइवेट बैंक नहीं है। इस वजह से पैंशन लेने के लिए बड़ी मुश्किल से बैंक पहुंचते हैं तो आने-जाने में 100 रुपए किराया ही लग जाता है।

सांसद ने ये करवाए काम
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सीवरेज सिस्टम के निर्माण के लिए दिए गए 10 लाख।
*बिजली की वोल्टेज की समस्या हल करने के लिए 29 लाख की लागत से नए ट्रांसफार्मर व वायरिंग लगाई गई।
*3.71 लाख की लागत से बनाया गार्डन।
*स्कूल में कमरों के निर्माण के लिए दिए 5 लाख।
*7 लाख की लागत से मनरेगा के तहत बन रहा है पार्क।

क्या कहना है सांसद का
पी.एम. मोदी द्वारा स्मार्ट सिटी की तर्ज पर जो आदर्श ग्राम योजना लागू की गई थी उसमें सांसद को एक गांव को गोद लेने के लिए कहा गया था। इसके तहत उन्होंने शहीद निर्मलजीत सेखों के गांव इस्सेवाल को चुना। इस गांव के विकास के लिए उन्होंने तो एम.पी. लैंड फंड से मदद देने में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से अपनी स्कीमों के तहत एक रुपए की ग्रांट नहीं दी गई। इस वजह से आदर्श ग्राम योजना भी जुमला बनकर रह गई।’’ -एम.पी. रवनीत बिट्टू 

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