दूध में डिटर्जैंट और रिफाइंड ऑयल हो सकता है मिक्स, उबालने पर रंग बदले तो समझो सिंथैटिक है
punjabkesari.in Friday, Aug 23, 2019 - 01:14 PM (IST)

जालंधर (रमन): शहर में सिंथैटिक मिल्क बनाने के लिए खुलेआम कैमिकल का इस्तेमाल होता है। आप सिंथैटिक मिल्क पी रहे हैं इसका पता लैबोरेटरी में टैस्ट के बाद ही चल सकता है लेकिन साधारण रूप से आप घर में इसका पता दूध उबालने और ठंडा करने पर लगा सकते हैं। यदि उबालने और ठंडा करने पर दूध का रंग हल्का पीला हो जाता है तो समझें दूध में सिंथैटिक कैमिकल है। इसके अलावा एक और साधारण टैस्ट यह है कि दूध को हाथ की हथेली में लेकर उसे उंगली से मलना शुरू कर दें। यदि दूध में झाग बनने लगे तो भी दूध में कैमिकल होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि असली दूध को उंगली से मलने पर कभी झाग उत्पन्न नहीं होती। दूध में झाग तभी उत्पन्न होती है जब उसमें डिटर्जैंट और रिफाइंड ऑयल मिक्स हो। वहीं खाद्य विभाग की टीम इस मामले में खामोश है और इक्का-दुक्का जगहों पर सैंपल भरकर खानापूर्ति की जाती है।
नवजात को ऐसा दूध देने से हो सकता है पोलियो!
डाक्टर द्वारा हमेशा बच्चों को मां का दूध देने की सलाह दी जाती है लेकिन कई बार मां का दूध नहीं आने पर बच्चों को गाय/भैंस का दूध देना शुरू कर दिया जाता है। मिलावटखोर सिंथैटिक दूध में कैमिकल्स के अलावा पानी का इस्तेमाल करते हैं। यदि दूध में संक्रमित पानी मिला हुआ है तो बच्चों को पोलियो की बीमारी भी हो सकती है।
शूगर के मरीजों को नहीं पीना चाहिए दूध
सिंथैटिक दूध बनाने वाले दूध में मीठे की मात्रा सही करने और कैमिकल की कड़वाहट दूर करने के लिए दूध में चीनी, ग्लूकोज और यहां तक कि गन्ने का रस भी मिलाते हैं। वैसे गन्ने का रस नुक्सानदायक नहीं है लेकिन दूध में चीनी और ग्लूकोज शूगर के मरीजों में ब्लड शूगर की मात्रा बढ़ा सकती है।
दूध से नपुंसकता और बांझपन
कई बार जब भैंस या गाय दूध नहीं देती तो पशुपालक आक्सीटोसिन के इंजैक्शन का इस्तेमाल करते हैं और मवेशी का दूध उतर आता है। यही ऑक्सीटोसिन इंजैक्शन का उपयोग गर्भवती महिलाओं में डिलीवरी के दौरान किया जाता है और वह भी सीमित मात्रा में। ऑक्सीटोसिन लगा कर उतारा गया दूध पीने से पुरुष में नपुंसकता और महिलाओं में बांझपन की शिकायत हो सकती है।
ये हैं दूध, मावा, पनीर में मिलावट पता लगाने के घरेलू नुस्खे
-एक लीटर दूध में एक चम्मच अरहर या सोयाबीन को पीसकर डाल दें। दूध का सफेद रंग चला जाएगा मतलब इसमें हानिकारक रसायन है।
-एक मोमबत्ती जलाएं और कांच के गिलास को दूध से भरें। मोमबती से एक फीट की ऊंचाई पर गिलास को ठीक मोमबत्ती की लौ के ऊपर ले जाएं और गिलास के ऊपर से मोमबत्ती की लौ देखें। अगर लौ लंबी दिखे तो दूध शुद्ध है। अगर लौ फैली हुई दिखे तो दूध अशुद्ध है।
-दूध को गर्म करने के बाद ठंडा होने दें। इसके बाद इसमें नींबू निचोड़ें। दूध फट जाता है तो वह शुद्ध है। अगर वह नहीं फटता तो वह अशुद्ध है।