खालिस्तान न कभी बनने दिया, न बनने देंगे: बिट्टा

punjabkesari.in Thursday, Jul 25, 2019 - 09:59 AM (IST)

जालंधर (नरेश): एंटी टैरेरिस्ट फ्रंट के चेयरमैन मनिंद्रजीत सिंह बिट्टा ने कहा है कि विदेशों में चल रही खालिस्तानी मुहिम पूरी तरह फेल होगी और पंजाब में न कभी खालिस्तान बनने दिया है और न बनने देंगे। पंजाब केसरी के साथ विशेष बातचीत दौरान बिट्टा ने कहा है कि मुट्ठी भर लोग विदेशों में बैठकर भारत को तोडऩे की साजिश रच रहे हैं लेकिन यह साजिश कामयाब नहीं होगी। बिट्टा ने इस दौरान जम्मू-कश्मीर में धारा 370, जम्मू-कश्मीर को लेकर अमरीका के रवैये के साथ-साथ देश की सुरक्षा व्यवस्था और कारगिल के विजयी दिवस को लेकर बातचीत की। पेश है पूरी बातचीत :

प्र. : देश कारगिल का विजय दिवस मना रहा है। आप इसे कैसे याद करते हैं?
उ.: कारगिल में सैंकड़ों सैनिकों ने शहादत देकर देश का सिर ऊंचा रखा और पाकिस्तान को सेना के समक्ष मुंह की खानी पड़ी थी लेकिन बड़े दुख की बात है कि कारगिल विजय दिवस को अतीत की सरकारों ने महत्व नहीं दिया। इस सरकार के दौरान न सिर्फ इस जीत के शहीदों को याद किया जा रहा है बल्कि देश की सेना को इतना मजबूत कर दिया गया है कि पाकिस्तान अब दूसरे कारगिल के बारे में सोच भी नहीं सकता। केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा पुख्ता करने के साथ-साथ अलगाववादियों पर जो चाबुक चलाया है उससे पाक परस्तों के हौसले पस्त हैं और सरकार इस मामले में बधाई की पात्र है।

प्र. : विदेशों में चल रही रैफरैंडम 2020 मुहिम को आप कैसे देखते हैं?
उ. : सबसे पहली बात तो यह है कि विदेशों में बसने वाले सारे सिख इस मुहिम का हिस्सा नहीं हैं और अमरीका, कनाडा, यू.के. जैसे देशों में लाखों की संख्या में देशभक्त सिखों ने भारत का मान बढ़ाया है और सिखी को विदेशों में जिंदा रखा है तथा भारतीय संस्कृति को विदेशों में खास पहचान दिलाई है लेकिन इसके बावजूद मुट्ठी भर लोग ऐसे हैं जो देश को तोडऩे की बात करते हैं। उन्हें यह समझ नहीं है कि अब खालिस्तान को लेकर जन समर्थन नहीं है। खालिस्तान न कभी बनने दिया और न कभी बनने देंगे।

प्र.: गृह मंत्रालय द्वारा सिख फॉर जस्टिस पर प्रतिबंध लगाए जाने को आप कैसे देखते हैं?
उ.: सिख फॉर जस्टिस से जुड़े 4-5 लोगों ने इंगलैंड में मैच के दौरान खालिस्तान का झंडा फहराया तो उसके अगले ही दिन भारत में केंद्रीय कैबिनेट ने इस संस्था पर पाबंदी लगा दी। सरकार का यह फैसला यह संदेश देने के लिए काफी है कि देश अब बदल चुका है और फैसले लेने में सालों का समय नहीं घंटों का समय लगता है। इस पाबंदी का एक सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यदि सिख फॉर जस्टिस से जुड़े लोग भारत से पाकिस्तान जाने वाले सिख श्रद्धालुओं को भड़काने की कोशिश करेंगे तो भारत पाकिस्तान के समक्ष इस आधार पर यह मुद्दा उठा सकता है कि सिख फॉर जस्टिस जैसी संस्था भारत में प्रतिबंधित है तो पाकिस्तान में उसके साथ जुड़े लोग भारत से जाने वाले सिखों को कैसे भड़का सकते हैं?

प्र.: डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा हाल ही में कश्मीर मामले में मध्यस्थता पर दिए गए बयान को आप कैसे देखते हैं?
उ.: यह सारा वाकया पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के अमरीका दौरे के दौरान हुआ और जिस तरीके से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की वहां पर अंतर्राष्ट्रीय जलालत हुई उसे पूरी दुनिया ने देखा और दुनिया को भारत व पाकिस्तान के बीच का फर्क भी समझ में आया होगा। रही बात कश्मीर को लेकर मध्यस्थता पर ट्रम्प के बयान की तो इस मामले में प्रधानमंत्री का स्टैंड लाजवाब है। उन्होंने अमरीका के राष्ट्रपति के साथ अपनी दोस्ती को दरकिनार करते हुए ‘राष्ट्र प्रथम’ का नारा देते हुए कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताने के साथ-साथ इसे द्विपक्षीय मसला बताया और साथ ही साफ किया कि इस मामले में पी.एम. मोदी की ट्रम्प से कोई बात नहीं हुई है।

प्र.: पंजाब में आर.एस.एस. नेताओं पर हुए हमलों को आप किस तरह से देखते हैं?
उ.: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में कुछ लोगों ने गलत धारणा फैलाई हुई है लेकिन सच्चाई यह है कि संघ से जुड़े लोग समाज सेवा के कार्य में जुटे हुए हैं। मैंने खुद इसका अनुभव किया। राजस्थान के बीकानेर में 50 डिग्री की गर्मी के दौरान संघ से जुड़े स्वयंसेवकों को बी.एस.एफ. के साथ मिलकर मैंने खुद सेवा कार्यों में जुटे देखा और यह काम संघ से जुड़ी संस्थाएं 25 साल से कर रही हैं। ये लोग राजस्थान के रेगिस्तान से लेकर गुजरात तथा महाराष्ट्र के समुद्र तक सक्रिय हैं और लोगों को देश की सुरक्षा के बारे में जानकारी देते हैं। संघ ऐसी संस्था नहीं हालांकि सुरक्षा हासिल करने के लिए पंजाब में कुछ लोग हिंदुत्व का सहारा लेते हैं और ड्रामेबाजी करके समाज में दिखावे के लिए गनमैन लेते हैं। ये लोग गलत हैं। 

प्र.: हाल ही में गृह मंत्रालय ने कई नेताओं की सुरक्षा वापस ली है, उसे आप कैसे देखते हैं?
उ.: सुरक्षा एक ड्रामा बन चुका है। कुछ लोग इस मामले में सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। कोई उठ कर दुबई से किसी को धमकी दे देता है तो वह अपनी जान का हवाला देकर सुरक्षा मांगने पहुंच जाता है। सुरक्षा उन लोगों को चाहिए जो जनता की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं, जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। समाज में गनमैन लेकर भय का झूठा ड्रामा करने वालों को सुरक्षा की जरूरत नहीं है। गृह मंत्रालय ने तमाम ऐसे नेताओं की सुरक्षा वापस लेकर अच्छा फैसला किया है।

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