कैंसर का कारण बन रहा ‘रोस्टेड मीट’, चिकन का भार बढ़ाने के लिए लगाए जा रहे हैं टीके

punjabkesari.in Sunday, Dec 08, 2019 - 09:59 AM (IST)

जालंधर(हरिंदर शाह): कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। खुराक व कैंसर का संबंध सदियों से चला आ रहा है। अमरीका के नैशनल कैंसर इंस्टीच्यूट के एक अध्ययन के मुताबिक 35 प्रतिशत कैंसर खुराक के कारण होते हैं जोकि रोके जा सकते हैं। कैंसर व खुराक के आपसी संबंध पर काफी खोजें हुई हैं जिनमें दर्शाया गया है कि जानवर का मीट, अंडे, चिकन जोकि चर्बी से भरपूर हैं तथा इनके सेवन से कैंसर ज्यादा होता है। इसके उलट जिस खुराक में सब्जियां, फल व रेशे वाले पदार्थ हैं उनसे कैंसर कम होता है। ऐसी खुराक का सेवन कर कैंसर की बीमारी से बचा जा सकता है। जानवरों के मांस में आमतौर पर चर्बी ज्यादा होती है। अगर मांस को सीधे आग पर रोस्ट या ग्रिल किया जाता है तो उसमें मौजूद चर्बी से पोलीसाइक्लिक हाईड्रोकार्बन एक कैमीकल पैदा होता है जो आंतड़ियों, फेफड़ों, चमड़ी व पाखाना का कैंसर पैदा कर सकता है। यह कैमीकल तम्बाकू, कोयला व सड़कों पर डाली जाने वाली लुक को जलाने से भी पैदा होता है। जो लोग शाकाहारी हैं तथा ज्यादा सब्जियां, फल व गिरियों से भरपूर खुराक का सेवन करते हैं उन्हें कैंसर इसलिए कम होता है क्योंकि इन पदार्थों में विटामिन, रेशा, मिनरल व फाइटोकैमिकल होते हैं जो एंटी ऑक्सीडैंट होते हैं तथा कैंसर होने से रोकते हैं। 


चिकन का आकार व भार बढ़ाने के लिए लगाए जा रहे हार्मोन के टीके
मार्कीट में बिकने वाला चिकन हानिकारक हो सकता है क्योंकि उसका आकार व भार हार्मोन के टीके लगाकर बढ़ाया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। एक इंटरनैशनल पत्रिका ‘साइंस ऑफ टोटल इन्वॉरनमैंट’ मुताबिक सन 2014 में सारे विश्व में चिकन का आकार व भार बढ़ाने के लिए 78000 टन एंटीबायटिक व भार बढ़ाने वाले हार्मोन दिए गए थे। इसकी मात्रा सन् 2020 में बढ़ कर 1,05,600 टन हो जाएगी। विदेशों में चिकन पैकेटों में मिलता है। उस पर हार्मोन फ्री लिखा होता है। इसलिए मांसाहारी लोगों को यह जानकारी होनी चाहिए कि खाने वाला चिकन हार्मोन फ्री हो।



मोटापे के कारण महिलाओं को हो सकता है छाती या बच्चेदानी का कैंसर
मीट, अंडे, चिकन में चर्बी ज्यादा होने के कारण मोटापा हो सकता है। महिलाओं में मोटापे के कारण छाती या बच्चेदानी का कैंसर हो सकता है। एक अध्ययन के मुताबिक मोटी महिलाओं के खून में इस्ट्रोजन जो एक हार्मोन है, की मात्रा ज्यादा होती है तथा यह चर्बी से बनता है। इस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं में छाती व बच्चेदानी के कैंसर का कारण बन सकता है। एक खोज के मुताबिक सोयाबीन जिसमें आइसोफलेवन नामक पदार्थ होता है, खाने से छाती तथा आंतड़ियों के कैंसर की रोकथाम हो सकती है।



विटामिन ए,सी व डी शरीर के सेहतमंद तत्वों को कैंसर में बदलने से रोकते हैं
गवर्नमैंट मैडीकल कालेज अमृतसर के पैथोलॉजी के प्रोफैसर डा. अमरजीत सिंह ने बताया कि विटामिन ए, सी व डी जोकि गाजर, संतरे, बादाम, मौसमी में मिलते हैं, शरीर के सेहतमंद तत्वों को कैंसर में बदलने से रोकते हैं। एक खोज के मुताबिक विटामिन ‘ए’ नॉर्मल तत्वों को कैंसर के तत्वों में बदलने से रोक सकता है। विटामिन ‘ए’ में बीटा-कैरोटीन नामक एक पदार्थ होता है तथा यह विटामिन आम, तरबूज, पपीता, खुरमानी में ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। अमरीका की एक प्राइवेट सेहत फाऊंडेशन संस्था ने अध्ययन किया कि बीटा-कैरोटीन फेफड़ों के कैंसर को रोकता है। जो लोग सिगरेट पीते हैं उन्हें गले व फेफड़ों का कैंसर हो सकता है पर जो लोग तम्बाकू पीने के साथ बीटा-कैरोटीन भरपूर फलों का सेवन करते हैं उनमें फेफड़ों का कैंसर कम हो जाता है। टमाटर में भी कैंसर को रोकने वाला पदार्थ लाईकोपीन पाया जाता है।

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Sunita sarangal