Russia Ukraine War: जान हथेली पर लेकर घर से निकले लोगों के ऊपर से गुजरी बसें, मंजर देख हर आंख रोई
punjabkesari.in Thursday, Mar 03, 2022 - 01:05 PM (IST)
जालंधर (पुनीत): भारतीय सेना के विमान की बुडापोस्ट पहुंचने की खबरें जैसे ही मीलों पैदल चल चुके विद्यार्थियों तक पहुंची तो उन्हें भूख-प्यास भूल गई और उनके कदम तेजी से एयरपोर्ट की तरफ बढ़ने लगे। अभी उक्त विद्यार्थियों को 2 दिन का समय बुडापोस्ट पहुंचने में लगेगा, वह पिछले 3 दिनों से पैदल चल रहे हैं और उनके पास खाने का कोई सामान नहीं है। रास्ते में 1-2 स्थानों पर उन्हें कुछ खाना मुहैया हुआ है लेकिन इतने कम खाने से उनकी भूख नहीं मिट पाई। अब फ्लाइट तक पहुंचने का इंतजार है। ठंड बेहद अधिक है, माइनिस डिग्री तापमान है, जिसके चलते वह जहां भी रूकते है वहां पर ठंड अधिक लगने लगती है, इसलिए वह बिना रूके बस चलते ही जा रहे हैं।
उक्त बातें पोलैंड का बार्डर पार करके बुडापोस्ट की तरफ जा रहे विद्यार्थी अमन मेहरा ने बताई। व्हाट्सअप के जरिए उसने बताया कि खारकीव से वह हंगरी के लिए रवाना हुए थे, इसके बाद पोलैंड के रास्ते बुडापोस्ट की तरफ जा रहे हैं। खारकीव में बमबारी रूक-रूक कर बारिश की तरह हो रही है। वहीं हजारों की तादाद में स्टूडैंट्स ने खारकीव और पोलतावा छोड़कर बार्डर की तरफ रूख कर लिया। उसने बताया कि खराकीव में जिस यूर्निविसटी के पास वह रूके हुए थे, वहां पर भी बम गिरा और क्लासरूम तबाह हो गए। खरकीव से निकलने वाले रास्ते बमबारी के कारण खून से लथपथ हो चुके हैं। जिन बसों के जरिए वह पालैंड के बार्डर तक पहुंचे उक्त बस चालक ने रास्ते में कहीं भी बस नहीं रोकी, बसों को आते देखकर कई लोग बसों की तरफ भागकर आते देखे जा रहे हैं, इसलिए कई स्थानों पर तो बसों को लाशों के ऊपर से होकर निकलना पड़ा। मौत का तांडव देखकर बच्चों की आंखों के साथ-साथ उनका दिल भी रोया है। उनका कहा है कि कुछ दोस्तों को फ्लाइटस मिल चुकी है और वह इंडिया के लिए रवाना हो रहे हैं, भारतीय मंत्री भी बुडापोस्ट में पहुंचे हुए हैं जिसके चलते उन्हें वापस जाने की उम्मीद बंधी है।
मिलो पैदल आ रहे बच्चों के लिए बसें भेजी जाए
विद्यार्थियों ने बताया कि बार्डर पर बच्चों को लेकर जाने के लिए बेहद कम बसें खड़ी है, जबकि हजारों की तादाद में विद्यार्थी मौजूद है। उन्हें बसों में बैठने के लिए अपनी बारी आने का 4-5 दिन इंतजार करना पड़ना था, लेकिन वहां पर रूकने के स्थान पर वह पैदल ही आगे के लिए निकल गए। उन्होंने भारतीय सरकार से गुहार लगाई है कि बार्डर से जो विद्यार्थी पैदल एयरपोर्ट के लिए निकले है, उन्हें लेकर जाने के लिए बसों का प्रबंध करवाया जाए। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि सफर इतना लंबा होगा।