अकाली दल के लिए आसान नहीं लोकसभा चुनाव 2019 की राह

punjabkesari.in Tuesday, Dec 18, 2018 - 02:50 PM (IST)

चंडीगढ़ःपिछले काफी समय से विद्रोह का सामना कर रही शिरोमणि अकाली दल के लिए लोकसभा चुनाव 2019 की राह आसान नहीं होगी। शिअद से  बागी हुए टकसाली नेताओं ने नई पार्टी का ऐलान कर दिया है। इससे साफ जाहिर होता है कि अकाली दल के लिए लोकसभा चुनावों को फतेह कर पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुकिन है। अकाली दल को अलविदा कह चुके सांसद रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा तथा शेर सिंह घुबाया का विकल्प न ढूंढ पाने से सुखबीर बादल खासे परेशान है। आपकों बता दें कि फिरोजपुर से सासंद शेर सिंह घुबाया का  2.5 लाख राय सिखों पर खासा प्रभाव हैं।

पार्टी सूत्रों अनुसार सुखबीर इन हालातों में फिरोजपुर में बठिंडा से सांसद तथा केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल को चुनाव मैदान में उतार सकते है। पर फिर पार्टी को बंठिडा तथा खड़ूर साहिब के चुनाव मैदान में उतारने के लिए मजबूत दावेदार को ढूंढना पड़ेगा। इस समय ब्रह्मपुरा खड़ूर साहिब से सांसद हैं। उल्लेखनीय है कि घुबाया ने 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले तो ब्रह्मपुरा ने सितम्बर 2018 में पार्टी की सीनियर नेताओं पर अधिकारों का दुरप्रयोग का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने अन्य बागी टकसाली नेताओं के साथ  मिलकर 16  दिसम्बर को शिरोमणि अकाली दल टकसाली का गठन किया है। यह पार्टी और कुछ तो नहीं पर अकाली दल के वोट बैंक को तोड़ने में जरूर कामयाब होगी।  

पटियाला सीट के लिए भी ढूंढना होगा मजबूत विकल्प
इसके साथ ही विधानसभा चुनावों में अकाली दल की तरफ से चुनाव लड़ चुके जे.जे सिंह भी निजी कारणों के कारण पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। पटियाला से लोकसभा 2014 के चुनावों में दीपइंद्र सिंह को  कांग्रेसी नेत्री महारानी परनीत कौर तथा आप नेता धर्मवीर गांधी के समक्ष उतारा गया था। उस बार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह का गढ़ होने के कारण यहां से अकाली दल को मजबूत दावेदार उतारना पड़ेगा। 2009 -2014 के लोकसभा चुनावों में अकाली दल भाजपा के साथ गठजोड कर चुनाव मैदान में उतरा है। इस बार हो सकता है दोनों पार्टियां सीटों में फेरबदल कर मजबूत दावेदारों को चुनाव मैदान में उतारे। 

swetha