एक लॉबी के चलते रहस्यमयी हो रहा प्रदेश में सेल टैक्स विभाग में तबादलों का सिलसिला

punjabkesari.in Sunday, Jun 10, 2018 - 10:40 AM (IST)

अमृतसर(इन्द्रजीत): सरकार की कमाई का मुख्य स्रोत माने जाने वाला एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग सरकार की अनदेखी के कारण अपना संतुलन खोने लगा है। मुख्य तौर पर एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग के अधिकारियों की बदलियों को लेकर हरेक सप्ताह चर्चा तो होती है, मगर चर्चाओं में ही एक वर्ष गुजर गया है। तबादलों की राह देखते-देखते अब तो अधिकारियों के हौसले भी टूटने शुरू हो गए हैं, जबकि इससे पूर्व बादल सरकार के कार्यकाल में समय-समय पर नियम के अनुसार विभाग में फेरबदल होता रहता था। पिछले एक वर्ष से इन तबादलों पर अघोषित दबाव जहां विभाग के लिए एक सस्पैंस बना हुआ है, वहीं मीडिया की नजर में भी इन तबादलों पर रोक कई रहस्यों का संकेत दे रही है। 
 

 विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह के पास वर्तमान सरकार में 19 ऐसे विभाग हैं जिनमें प्रशासकीय सुधार, कृषि, बागवानी, भूमि, पानी बचत,  डिफैंस वैल्फेयर, आम प्रशासन, गृह व न्याय, अतिथि सत्कार, वाइल्ड लाइफ इत्यादि शामिल हैं। इमनें एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग भी मुख्यमंत्री के प्रभार तले है। पता चला है कि कैप्टन के इस बड़े काफिले में एक ऐसी लॉबी भी है जो इस विभाग पर अपना पूरा दबाव बनाए हुए है क्योंकि मुख्यमंत्री के पास काफी प्रभार पहले ही हैं, वहीं उनकी अन्य व्यवस्तताएं भी आड़े आ रही हैं जिसके कारण यह लॉबी एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग पर हावी होती जा रही है जिसमें मलाइदार पदों पर बैठे लोग जमकर आनंद ले रहे हैं और योग्य अधिकारी खुडेलाइन लगे हुए हैं। इसमें जहां कई अधिकारी मुनासिब पदों के इंतजार में हैं, वहीं कई ऐसे अधिकारी भी हैं जो इस लॉबी के साए तले अपने आप को अति सुरक्षित समझ रहे हैं। 

जी.एस.टी. की समस्याएं
*व्यापारियों के लटके रिफंड
*मुख्यमंत्री की व्यस्तता के कारण 15 माह में व्यापारियों से एक भी मीटिंग न हो पाना। 
*व्यापारियों की लोकल समस्याओं को सुनने के लिए उनके पास कोई जन-प्रतिनिधि उपस्थित न होना। 
*आम व्यापारियों की मुख्यमंत्री से जगजाहिर दूरी। 

पुलिस कार्रवाई हो रही और न जुर्माना मिल रहा

एक्साइज विभाग में बैठे योग्य अधिकारी जहां एक ओर एक्साइज की चोरी रोकने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं, वहीं राजनीतिक दबाव के कारण उनके हाथ बंधे हुए हैं। बार-बार शराब की बिना टैक्स के बड़ी खेपें पकड़ी जाना जिनमें कई खेपों में 5 हजार से लेकर 10 हजार पेटी की तस्करी। करोड़ों रुपए की टैक्स की देनदारी पुलिस के हस्तक्षेप से हाथ से निकल जाना। पुलिस कहती पर्चा दर्ज करो, विभाग कहता जुर्माना दो। नतीजा न पुलिस कार्रवाई हो रही और न जुर्माना मिल रहा। बरामद होने के बाद शराब की खेपें कहां जाती हैं यह रहस्य बरकरार हैं। 

मोबाइल विंग की भूमिका 
जी.एस.टी. विभाग मोबाइल विंग एक शक्तिशाली भूमिका निभा रहा है किन्तु दूसरे प्रदेशों में 2 से 3 प्रतिशत रेट में मिलने वाला 28/18 प्रतिशत जी.एस.टी. वैल्यू का बिल विभाग के लिए आफत बना है। जी.एस.टी. के सभी हथियार इस दो नंबरी खेल में पंगु हो चुके हैं और जुगाड़बाज लोग इस बिल का पूरी तरह से प्रयोग कर रहे हैं जिससे सरकार को करोड़ों का चूना लगता है। विभाग चाह कर भी इन बिलों को चैलेंज नहीं कर पाता। इन बिलों की आमद रोकने के लिए दिल्ली, एन.सी.आर., उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा जैसे प्रदेशों के विभागों से तालमेल की आवश्यकता है जो मुख्यमंत्री के सीधे हस्तक्षेप के बिना संभव नहीं।

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