अवैध माइनिंग के खेल में बढ़ सकती हैं लाडी शेरोवालिया की मुश्किलें

punjabkesari.in Saturday, Jul 07, 2018 - 09:23 AM (IST)

जालंधर(रविंदर): कांग्रेस के विधायक बनने के बाद जहां पुलिस व प्रशासन ने लाडी शेरोवालिया को अवैध माइनिंग के खेल में क्लीन चिट दे दी है और अदालत में केस कैंसिलेशन रिपोर्ट पेश कर दी है, मगर शिकायतकत्र्ता के तेवर के बाद लाडी शेरोवालिया की मुश्किलें फिर बढऩे की उम्मीद जग गई है। 

शिकायतकत्र्ता सी.पी.आई. नेता मोहन सिंह का कहना है कि वह पुलिस की कैंसिलेशन रिपोर्ट को अदालत में चुनौती देंगे। मोहन सिंह का कहना है कि पुलिस व प्रशासन ने सरकार के दबाव में यह सारा खेल खेला है और गहराई से अवैध माइनिंग के खेल की जांच नहीं की गई है। गौर हो कि लाडी शेरोवालिया के खिलाफ 4 मई को थाना महितपुर में अवैध माइनिंग एक्ट व चोरी की धारा का केस सी.पी.आई. नेता मोहन सिंह की शिकायत पर  दर्ज किया गया था। केस दर्ज होने के एक दिन बाद ही कांग्रेस ने लाडी शेरोवालिया को शाहकोट उपचुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित कर दिया था। शिकायतकत्र्ता मोहन सिंह का कहना है कि पुलिस व प्रशासन ने जांच रिपोर्ट को सरकार के दबाव में फाइल किया है। उनका कहना है कि पुलिस व प्रशासन ने ग्राऊंड वर्क नहीं किया है, जो उन्होंने खुद अपने दोस्त सरैन सिंह के साथ किया। उन्होंने 11 गांवों में पंचायती जमीन पर हो रही अवैध माइनिंग की फोटोग्राफी की है, जहां शेरोवालिया का खेल चलता था।

मोहन सिंह का कहना है कि इसके अलावा उनके पास कई और सबूत अवैध माइनिंग के हैं, जो वह अदालत के सामने रखेंगे। मोहन सिंह बतौर जे.बी.टी. टीचर 1975 में नौकरी छोड़कर कम्युनिस्ट लहर से जुड़ गए थे। वह इस समय ईंट भट्टा यूनियन के नेता भी हैं। उनका छोटा-सा घर कम्युनिस्ट लहर से जुड़ी यादों व कम्युनिस्ट नेताओं की फोटो से भरा पड़ा है। शहीद भगत सिंह की तस्वीर उनके घर के प्रत्येक कमरे में मौजूद है। मोहन सिंह का कहना है कि शिकायत के बाद लगातार उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है और इस बारे में वह पहले ही लाडी शेरोवालिया के खिलाफ हाईकोर्ट में शिकायत दर्ज करवा चुके हैं। पिछले 2 महीने से उसे लगातार परेशान किया जा रहा है, मगर वह किसी तरह की कोई सिक्योरिटी नहीं लेना चाहता, क्योंकि उसका जमीर इसकी इजाजत नहीं देता। पुलिस ने मोहन सिंह का मोबाइल नंबर शेरोवालिया के खिलाफ दर्ज एफ.आई.आर. में लिखा था तो यह काफी वायरल हो गया था और लगातार मोहन सिंह को इसके बारे में प्रदेश भर से फोन आ रहे थे। इसके बाद मोहन सिंह ने अपना मोबाइल नंबर बदल लिया था। जब मोहन सिंह से एफ.आई.आर. दर्ज करने वाले एस.एच.ओ. परमिंदर बाजवा के बारे पूछा गया तो उन्होंने उसके प्रति सहानूभुति दिखाते हुए कहा कि वह एक अच्छा अफसर था, मगर गंदी सियासत की भेंट चढ़ गया। 

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