सैनिटाइजर निर्माताओं ने GST खिलाफ खोला मोर्चा, कहा- इसका वर्गीकरण डिसइंफेक्टेंट के तौर पर करना गलत

punjabkesari.in Wednesday, Jul 15, 2020 - 06:16 PM (IST)

चंडीगढ़: जीएसटी प्राधिकरण द्वारा जीएसटी के अनुचित वर्गीकरण का आरोप लगाए जाने पर सेनिटाइजर कंपनियों ने प्राधिकरण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कंपनियों का कहना है कि सेनिटाइजर को आवश्यक वस्तु घोषित किए जाने और सेनिटाइजर की अधिकतम कीमत तय किए जाने के बावजूद उद्यमियों ने युद्ध स्तर पर हैंड सैनेटाइजर का उत्पादन किया। मगर जीएसटी प्राधिकरण उद्यमियों को कोरोना योद्धा के रूप में सममानित करने की बजाए टैक्स चोर साबित करने की कोशिश कर रहा है। 

सेनिटाइजर कंपनियों के अनुसार हैंड सेनेटाइजर तैयार करने वाली कंपनियां ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के तहत ड्रग लाइसेंस लेकर सेनिटाइजर बना रही हैं। सेनिटाइजर का वर्गीकरण ‘मेडिसनल प्रेपरेशन’, के तौर पर ‘दी मेडिसिनल एंड टॉयलेट प्रेपरेशन एक्साइज ड्यूटी एक्ट 1955’ के तहत किया गया है। इसी अधिनियम के अनुसार कंपनियां एक्साइज डयूटी अदा भी कर रही हैं। वर्ष 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद मेडिकामेंटस श्रेणी के तहत एचएसएन 3004 के अनुसार सभी कंपनियां सेनिटाइजर पर 12 प्रतिशत जीएसटी भी जमा करवा रही है। लेकिन अचानक जीएसटी प्राधिकरण ने हैंड सेनेटाइजर को एचएसएन 3808 के अधीन डिस्इनफेक्टेंट की श्रेणी में शामिल कर दिया। इस श्रेणी के उत्पादों पर 18 फीसदी जीएसटी निर्धारित किया गया है। ऐसे में जीएसटी प्राधिकरण ने सेनिटाइजर निर्माता कंपनियों को जीएसटी चोरी के नोटिस भी भेज दिए। कंपनियों का कहना है कि सभी कंपनियां उपभोक्ताओं से 12 फीसदी जीएसटी वसूल कर नियमानुसार सरकार को अदा कर रही हैं। ऐसे में जीएसटी चोरी का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।


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Edited By

Tania pathak

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