लोकसभा में सांसद चौधरी ने परमाणु बिजली संयंत्रों के खतरे से केंद्र को किया आगाह

punjabkesari.in Thursday, Jun 27, 2019 - 09:47 AM (IST)

जालन्धर(धवन): कांग्रेसी सांसद चौधरी संतोख सिंह ने आज लोकसभा में केंद्र सरकार द्वारा देश में स्थापित किए जा रहे परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर सवाल करते हुए कहा कि क्लाइमेट चेंज की वजह से न्यूक्लीयर प्लांट्स को भी खतरा बढ़ा है। समुद्री तूफान, सुनामी, पानी के तापमान का बढऩे से न्यूक्लीयर प्लांट्स को नुक्सान पहुंचने का खतरा है।

न्यूक्लीयर डिजास्टर का रिस्क भी बहुत बढ़ा है।  उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 2011 में जापान में फूकुशिमा न्यूक्लीयर पावर प्लांट को भूकंप के कारण बंद करना पड़ा था। इसी तरह 2014 में भारत में कलपक्कम प्लांट को भी कुछ देर के लिए बंद करना पड़ा था। उन्होंने केंद्र सरकार से कहा कि न्यूक्लीयर पावर प्लांट से बिजली बनाने का जो खर्च आता है, वह बिजली के अन्य स्रोतों से बहुत अधिक है। सोलर से एक मैगावाट बिजली बनाने का खर्चा 4 से 5 करोड़ रुपए आता है। न्यूक्लीयर पावर से एक मैगावाट बिजली बनाने में 15 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। सांसद चौधरी द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री डा. जतिन्द्र सिंह ने कहा कि देश में जहां तक परमाणु बिजली संयंत्रों की सुरक्षा का सवाल है तो उसमें इस नियम पर सरकार काम कर रही है।

सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। जब कोई नया प्लांट प्लान किया जाता है तो कंस्ट्रक्शन से पहले ही योजना के दौरान उसका हर तीन महीने में जायजा लिया जाता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब परमाणु ऊर्जा संयंत्र काम करने शुरू करते हैं तो हर 10 वर्षों बाद उनके लाइसैंस को पुन: रिन्यू किया जाता है। देश में जिस तरह से बिजली की मांग बढ़ रही है, उसको देखते हुए अधिक से अधिक बिजली पैदा करने की जरूरत है। उन्होंने सांसद चौधरी की इस बात पर सहमति जताई कि एक मैगावाट परमाणु ऊर्जा पैदा करने पर 15 करोड़ की लागत आती है जबकि दूसरे स्रोतों की लागत 5 से 10 करोड़ आती है। सांसद चौधरी ने एक अन्य सप्लीमैंट्री सवाल करते हुए कहा कि परमाणु ऊर्जा नैशनल सिक्योरिटी एंड स्टेटेजिक पर्पस को पूरा करने का साधन है। इसका जवाब देते हुए डा. जतिन्द्र सिंह ने कहा कि इस समय 22 रिएक्टर फंक्शनल हैं और वर्तमान सरकार ने एक निर्णय लेते हुए 9 न्यूक्लीयर पावर और 12 एडीशनल रिएक्टर  2024-25 तक लगाने का फैसला किया है। इसमें कुछ दूसरे देशों की भागीदारी रहेगी। जापान से भी इस मामले में सहयोग लिया जा रहा है। 

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