ब्यास के बाद अब सतलुज भी होगा जहरीला

punjabkesari.in Tuesday, May 22, 2018 - 06:59 AM (IST)

जालन्धर(खुराना): हाल ही में बिना ट्रीट किए इंडस्ट्रीयल वेस्ट डाले जाने से ब्यास दरिया जहरीला हो गया जिस कारण उसमें लाखों की संख्या में मछलियां व अन्य जीव-जंतु मर गए। इस घटना को लेकर जहां पंजाब के दरियाओं में फैल रहे प्रदूषण को लेकर लोगों में सजगता आनी शुरू हो गई है वहीं माना जा रहा है कि ब्यास दरिया में फैल रहे प्रदूषण के बाद अब जहरीला होने की बारी सतलुज दरिया की है जो काफी हद तक पहले ही प्रदूषित हो चुका है।

अब जालंधर के बीच में से निकलती काला सिंघा ड्रेन की बात करें तो दशकों पहले यह नाला बरसाती पानी को बेईं तक पहुंचाया करता था। धीरे-धीरे शहर बड़ा होता गया और शहर का सारा सीवर इस नाले में डाला जाने लगा। चाहे शहर से निकलते सीवरेज को ट्रीट करने के लिए जालंधर में फोलड़ीवाल, बस्ती पीरदाद, जैतेवाली तथा बमियांवाल में ट्रीटमैंट प्लांट लगे हुए हैं परन्तु बढ़ती जनसंख्या के दृष्टिगत यह प्लांट नाकाफी सिद्ध हो रहे हैं, इस कारण प्रतिदिन 2 करोड़ लीटर से ज्यादा सीवरेज का गंदा पानी बगैर ट्रीट किए कालासिंघा ड्रेन में डाला जा रहा है और यह काम प्राइवेट तौर पर लोगों या इंडस्ट्री वाले नहीं कर रहे बल्कि जालंधर नगर निगम जैसा सरकारी संस्थान ही ऐसा करने में लगा हुआ है। 

उत्तरी विधानसभा क्षेत्र का पानी नहीं हो रहा ट्रीट
फोलड़ीवाल ट्रीटमैंट प्लांट, जैतेवाली तथा बमियांवाल प्लांट जालंधर छावनी व सैंट्रल विधानसभा क्षेत्रों में आते हैं जबकि बस्ती पीरदाद स्थित सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट जालंधर वैस्ट क्षेत्र में आता है। शहर के सबसे बड़े उत्तरी विधानसभा क्षेत्र में एक भी सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट नहीं हैं और इस क्षेत्र का सारा सीवर जो 20 एम.एल.डी. यानी 2 करोड़ लीटर प्रतिदिन बनता है, सारा का सारा कालासिंघा ड्रेन में फैंका जा रहा है। इसके लिए गुरु अमरदास कालोनी के निकट, शहीद भगत सिंह कालोनी के निकट तथा मकसूदां सब्जी मंडी के निकट बने सीवरेज डिस्पोजलों का इस्तेमाल किया जा रहा है जहां से सीवरेज का सारा पानी सीधा ड्रेन में डाल दिया जाता है।

इससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि उत्तरी विधानसभा क्षेत्र में फोकल प्वाइंट, इंडस्ट्रीयल एस्टेट, एस्टेट एक्सटैंशन, इंडस्ट्रीयल एरिया व कई इंडस्ट्रीयल जोन पड़ते हैं और ज्यादातर इंडस्ट्री का पानी कालासिंघा डे्रन में जा रहा है। 

43 एम.एल.डी. का प्लांट  पीरदाद में विचाराधीन
नगर निगम के ओ. एंड एम. सैल के एस.ई. किशोर बांसल बताते हैं कि बस्ती पीरदाद में नया एस.टी.पी. लगाने हेतु प्रक्रिया चल रही है। पी.एम.आई. डी.सी. व विशेषज्ञों की टीम ने दौरा करके मौजूदा प्लांट के साथ बचती जगह पर 43 एम.एल.डी. क्षमता वाला एक और प्लांट लगाने हेतु सर्वे किया है। प्रोजैक्ट पर करीब 50 करोड़ रुपए लागत आएगी इसलिए यह प्रोजैक्ट स्मार्ट सिटी या अमरुत योजना में डाला जा सकता है। नया प्लांट लग जाने से अगले कुछ सालों के लिए समस्या हल हो जाएगी। 

जालंधर की इंडस्ट्री का गंदा पानी नहीं पड़ रहा ड्रेन में : कक्कड़
जालंधर की इंडस्ट्रीयल इकाइयों का गंदा पानी काला संघिया ड्रेन में नहीं पड़ रहा। इस बारे जानकारी देते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वातावरण अधिकारी अरुण कक्कड़ ने बताया कि जालंधर की इंडस्ट्री का सारा पानी ट्रीट होकर ही आगे निकलता है। 250 फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदे पानी को फैक्ट्रियों में लगे सी.टी.पी. द्वारा ट्रीट किया जाता है और उसके बाद सीवरेज में डाला जाता है। 274 इलैक्ट्रो प्लेटिंग यूनिट ऐसे हैं जिनका गंदा पानी लुधियाना ट्रीटमैंट के लिए भेजा जाता है। लैदर काम्पलैक्स की सारी फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा पानी वहां लगे सी.टी.पी. में ट्रीट होता है। नगर निगम जालंधर के सीवरेज के पानी  को ट्रीट करने के लिए 6 ट्रीटमैंट प्लांट चल रहे हैं।

3 एस.टी.पी. फोलड़ीवाल में चल रहे हैं जिनमें से एक 100 एम.एल.डी. और 2 प्लांट 25-25 एम.एल.डी. पानी ट्रीट करते हैं। बस्ती पीरदाद में 50 एम.एल.डी. पानी ट्रीट करने वाला एस.टी.पी. चल रहा है। 10 एम.एल.डी. पानी बम्बइयांवाल के एस.टी.पी. पर ट्रीट हो रहा है। जालंधर नगर निगम से 325 एम.एल.डी. पानी निकलता है और 260 एम.एल.डी. पानी ट्रीट होता है। स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट में फोलड़ीवाल व बस्ती पीरदाद के एस.टी.पी. को अपग्रेड करने की योजना है। अगर ये दोनों प्लांट अपग्रेड हो जाते हैं तो नगर निगम का सारा पानी ट्रीट होकर ही सीवरेज में गिरेगा।

Anjna