सहजधारी सिखों का वोटिंग अधिकार बहाल करवाने के लिए बिट्टू ने पेश किया बिल

punjabkesari.in Thursday, Jul 11, 2019 - 11:18 AM (IST)

जालंधर(नरेश): सहजधारी सिखों को गुरुद्वारा चुनाव के दौरान वोट का अधिकार दिलाने के लिए लुधियाना के कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने लोकसभा में प्राइवेट मैंबर बिल पेश किया है। हालांकि इससे पहले 2016 में सहजधारी सिखों को वोटिंग राइट से दूर करने वाले बिल को राज्यसभा में कांग्रेस की ही मदद से एन.डी.ए. सरकार पास कर चुकी है, लेकिन अब पार्टी के लुधियाना से सांसद सहजधारी सिखों को वोट का अधिकार दिलाने के लिए फिर बिल लाए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने बिल को असंवैधानिक ठहराया था
पिछली एन.डी.ए. सरकार के दौरान गृह मंत्रालय की तरफ से सिख गुरुद्वारा अमैंडमैंट बिल-2016 संसद में पेश किया गया था। इस बिल के जरिए गैर-अमृतधारी और सहजधारी सिखों को गुरुद्वारा चुनाव के दौरान वोट डालने से वंचित कर दिया गया था। यह बिल 16 मार्च 2016 को पहले राज्यसभा और फिर 25 अप्रैल 2016 को लोकसभा में पास किया गया था। जिस समय यह बिल संसद में पास हुआ उस दौरान सहजधारी सिखों के वोटिंग राइट को लेकर एक मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था, लिहाजा कोर्ट के पास मामला लंबित होने के बावजूद संसद में बिल पास होने को माननीय अदालत ने गैर-संवैधानिक करार देते हुए सहजधारी सिख फैडरेशन को स्पैशल लिबर्टी देते हुए बिल की वैधता को अदालत में चुनौती देने का अधिकार दिया था। इस मामले में उच्च न्यायालय में इसे लेकर एक जनहित याचिका 2017 में दायर की थी। इस याचिका पर अब अगली सुनवाई 16 सितम्बर को होनी है और इस बीच संसद में यह प्राइवेट मैंबर बिल आ गया है।

मैंने उस समय भी संसद में बिल का विरोध किया था : बिट्टू
रवनीत बिट्टू ने कहा कि जिस समय राज्यसभा में यह बिल पास हुआ उस दौरान भी मैंने बिल पर बहस के दौरान संसद में इस बिल का विरोध किया था। बतौर सिख सहजधारी सिखों को वोटिंग का अधिकार दिए जाने के मामले पर मेरी अपनी सोच है और मैं आज भी अपनी सोच पर कायम हूं और इसी कारण मैं सहजधारी सिखों को वोट का अधिकार दिलाने के लिए बिल लेकर आया हूं। आप उस समय  संसद की कार्रवाई देख सकते हैं, मैंने उस दौरान भी इस मामले पर केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल से तीखी नोक-झोंक हुई थी।  

कांग्रेस की नीयत साफ होती तो बिल पास न होता: रानू
इस बीच सहजधारी सिख फैडरेशन के अध्यक्ष डाक्टर परमजीत सिंह रानू ने कहा कि 2016 में जिस समय कांग्रेस राज्यसभा में इस बिल का समर्थन कर रही थी उस दौरान हमने कांग्रेस से बिल पास न करवाने की अपील की थी लेकिन कांग्रेस उस दौरान अकाली दल के साथ मिल गई और हमारा वोटिंग राइट छीनने वाला बिल राज्यसभा में पास करवा दिया। यदि कांग्रेस की इस मामले में नीयत साफ होती तो उसी समय यह बिल पास न होता और 70 लाख सहजधारी सिखों को वोटिंग के अधिकार से वंचित न किया जाता। 2011 की जनगणना के हिसाब से पंजाब में करीब पौने 2 करोड़ सिख हैं। इनमें से 55 लाख सिखों को गुरुद्वारा चुनाव में वोट डालने का अधिकार है जबकि करीब 50 लाख सिख नाबालिग हैं। इस लिहाज से करीब 70 लाख सहजधारी सिखों को इस बिल के जरिए वोट के अधिकार से वंचित किया गया है।

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