कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने की CM चन्नी की तारीफ

punjabkesari.in Wednesday, Feb 16, 2022 - 01:34 PM (IST)

जालंधरः पंजाब में विधानसभा चुनाव को अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। सभी दलों के बड़े नेता अपने-अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए प्रचार करने पंजाब पहुंचे हुए हैं। राजस्थान कांग्रेस के बड़े नेता सचिन पायलट भी कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में लोगों को रिझाने में जुटे हैं। वह कहते हैं कि पहली बार कांग्रेस पार्टी ने एक ऐसे व्यक्ति को सी. एम. बनाया है, जो दलित समाज से आते हैं। 70 साल के इतिहास में ऐसा हुआ नहीं है। चन्नी ने किसान, गरीब और मिडल क्लास के लिए काम किया है। पेश हैं पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार के श्रमित चौधरी के साथ राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट से विशेष बातचीत के मुख्य अंश...

प्र. सरकार के साढ़े चार साल के कामकाज को लेकर पंजाब में नैगेटिविटी है। आपके पुराने साथी दूसरी जगह चले गए हैं? प्रधानमंत्री मोदी ने रैली करके कहा कि हम नशा मुक्त पंजाब बनाएंगे, पंजाब कांग्रेस यह नहीं कर पाई। यह आपको कितना बड़ा मुझ नजर आ रहा है?
उ. देखिए, बी.जे.पी. का पंजाब में कोई मतलब नहीं है। वो रेलिया कर रहे हैं, संसाधन लगा रहे है लेकिन यहा बी. जे.पी. का कुछ नहीं निकलेगा। जहां तक कांग्रेस की बात है, जो नेतृत्व परिवर्तन हुआ. सी. एम. चेंज हुए वो सब विधायकों के मन मुताबिक हुआ। विद्ययक दल का नेता कौन होगा, इसका निर्णय विधायक करते हैं। उन सबने आम राय बनाकर बोला कि हम चेंज चाहते है, इसलिए चरणजीत सिंह चन्नी कोकाग्रेसने मुख्यमंत्री बनाया यह दुर्भाग्य है कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह पार्टी छोड़कर चले गए और उन्होंने अपनी नई पार्टी बनाई है। यहां बसपा अकाली दल, पी.एल. सी. भाजपा का गठबंधन है। आम आदमी पार्टी भी है। बहुत से दल लड़ रहे हैं लेकिन बड़ी पार्टी कांग्रेस है। हम बहुमत से जीतेंगे, हमें पूरा विश्वास है।

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प्र. प्रधानमंत्री ने एक इंटरव्यू में तीसरी पार्टी का जिक्र किया था। तीसरी पार्टी के बड़े रसूख की बात उन्होंने कही थी, जो तमाम सर्व और बातों से सामने आ रहा है। वो आपको कितनी बड़ी चुनौती नजर आ रही है। यहां तीसरी पार्टी का मतलब क्या आम आदमी पार्टी है?
उ. आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार है। आम आदमी पार्टी ने अनेक राज्यों में चुनाव लड़े है। यहां पर भी उसके विधायक जीते थे और बाद में पार्टी छोड़ गए हर पार्टी को चुनाव लड़ने का अधिकार है। मैं इसे गलत नहीं मानता हूं लेकिन जो गवर्नेस मॉडल रहा और कांग्रेस का इतिहास रहा, उसे लोग भूले नहीं हैं। पंजाब के लिए कांग्रेस के नेताओं ने जो शहादत दी है, जो बलिदान दिया है, वो लोगों को याद है। यहां की मिट्टी में कांग्रेस नेताओं का खून मिला हुआ है। ठीक है कि आम आदमी पार्टी अपना प्रचार कर रही है। उसका थोड़ा बहुत वोट लास्ट टाइम बढ़ा था लेकिन इस बार वो बहुत ज्यादा बढ़ा पाएगी. में ऐसा नहीं मानता विपक्ष का वोट बटा हुआ है और कांग्रेस के खिलाफ सब लड़ रहे हैं। इटस एवरीबडी वर्सेज कांग्रेस है। इसका हमें फायदा मिलेगा।

प्र. अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि सारे मिलकर मुझे गालियां दे रहे हैं और मेरा विरोध कर रहे हैं लेकिन आप कह रहे हैं कि कांग्रेस को टारगेट किया जा रहा है?
उ. हमें उनका विरोध करने की कोई जरूरत नहीं है। अरविंद केजरीवाल का विरोध उनके ही लोग कर चुक है। चाहे अन्ना हजारे, योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण हो, तो मैं इस बात पर नहीं जाना चाहता हम तो मुद्दों घर चुनाव लड़ रहे हैं। हमने कभी नैगेटिव पॉलिटिक्स नहीं की है। मैं तो कभी नैगेटिव पॉलिटिक्स करता भी नहीं हूँ। एक पॉजिटिव एजेंडा होना चाहिए, एक रोडमैप और ब्लूप्रिंट होना चाहिए और उसके आधार पर हम चुनाव लड़ रहे हैं। चन्नी जी एक नेक व्यक्ति हैं, जमीन से जुड़े हैं, लोग उन्हें पसंद कर रहे हैं। तीन महीने बहुत कम समय होता है, फिर भी उन्होंने एक छाप छोड़ी है। चाहे वो बिजली की बात हो या गरीबों को मकान देने की, उसका फायदा निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी को मिलेगा।

प्र. केजरीवाल ने लिखकर दे दिया है कि चरणजीत सिंह चन्नी दोनों सीटों से हार रहे हैं। आपको चुनौती नहीं लग रही कि सी.एम. उम्मीदवार के लिए ये दावे हो रहे हैं?
उ. उन्होंने लिखकर दिया है और अगर चन्नी साहब दोनों सीटों से जीत गए तो वो फिर क्या करेंगे ये उन्होंने नहीं कहा। उन्होंने कहा, हरेंगे, वैसे इलेक्शन से पहले हर नेता अपनी बात रखता है लेकिन चन्नी जी दोनों सीटों से जीतेंगे और भारी मतों से जीतेंगे हम हास्ने की नहीं जीतने की बात करते है लास्ट टाइम भी हवा बनी थी कि आम आदमी पार्टी के बहुत वॉलंटियर्स आ गए थे। दुनिया भर के लोग आ गए थे लेकिन अल्टीमेटली परिणाम 2017 में जो आए, वो सबने देखें थे। मुझे लगता है कि उसी तरह के परिणाम एक बार फिर 2022 में आएंगे।

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प्र. सी. एम. चन्नी की प्रॉपटी कोलेकर बड़ी बातें हुई चर्चा थी कि वह इलेक्शन कमीशन के दर पर जाएंगे लेकिन प्रोग्राम • कैंसिल हो गया ? चन्नीसाहब को राहुल गांधी कहते हैं कि हमने गरीब सी. एम. उम्मीदवार दिया है, पर विरोधी पार्टियां बहुत तंज कस रही है?
उ. विरोधी पार्टियों को यह हजम नहीं हो रहा है कि गरीब घर में पैदा होकर एक व्यक्ति विधायक, नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री बन सकता है। उनको तो काग्रेस पार्टी को एफिशिएट करना चाहिए, जो काम 70 साल में किसी पार्टी ने नहीं किया वो काम कांग्रेस ने किया है। एक दलित व्यक्ति को मौका दिया है, इसलिए नहीं कि वह दलित समाज से हैं बल्कि इसलिए कि वे जुझारू है और वह पब्लिक की नब्ज को समझते हैं। अब चुनाव से पहले एजेंसियों छोड़ दो, उनके ऊपर आरोप लगा दो ई.डी. इन्कम टैक्स ये सब 5 साल तक सो रहे थे और अब एकदम से इनकी नींद खुल गई। पब्लिक सब जानती है कि एक दलित व्यक्ति को ये हजम नहीं कर पा रहे हैं कि वह इस पोस्ट पर कैसे बैठा है? हमने तो अब डिक्लेयर कर दिया है कि चत्र अगले सी.एम. बनेगे, इसलिए सब बौखलाए हुए हैं और चौतरफा अटैक कर रहे हैं।

प्र. कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी की रैली में नवजोत सिंह सिद्धू की नाराजगी सामने आई। इस नाराजगी को आप इंटर्नली कैसे बैलेंस करेंगे ? 
उ. नाराजगी क्या हो सकती है, उन्हें पार्टी ने अध्यक्ष बना रखा है और वह एक महत्वपूर्ण नेता है। पूरे प्रदेश में सब उनको जानते हैं और विपक्ष से लड़ने का उनमें एक जज्बा है। वह अपनी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं तो सारे विरोधी मिलकर उनको वहां घेरना चाहते हैं। वह अपने विधानसभा क्षेत्र में व्यस्त है और उन्होंने पूरा प्रचार किया है। वह राहुल जी के साथ गए थे। प्रियंका जी के साथ वह जा रहे हैं। मुझे लगता है कि वह पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं और यह भी चुनाव जीतेंगे, उनका सरकार बनाने में अहम रोल होगा।

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प्र. बिक्रम मजीठिया अकाली दल से नवजोत सिद्ध को चुनौती दे रहे हैं। इसको लेकर पार्टी के अंदर कोई घबराहट है? 
उ. जिस सीट से सिद्धू जी लड़ रहे हैं वह से वह एम.प्रौ. और विधायक रह चुके हैं। मजीठिया के लिए वह नया इलाका है। मुझे नहीं लगता कि बहुत ज्यादा चैलेंज नवजोत सिंह सिद्धू को मिलेगा। वहां पर हम लोग जीतेंगे और अच्छे मतों से जीतेगे। अकाली दल और बसपा का जो गठबंधन है, मुझे नहीं लगता कि वह बहुत ज्यादा सीटें जीत पाएंगे, बल्कि पहले से कम जीतेंगे।

प्र. कांग्रेस के सामने आपसी फूट और अंदरूनी कलह की चुनौती बड़ी रहती है। आपको लेकर भी बहुत चर्चाएं हैं। पंजाब में भी ऐसी चर्चाएं होती रहती हैं। पार्टी क्या काम करे कि ऐसी चुनौतियों से पार पाया जा सके ?
उ. हम किसी से कोई झगड़ा नहीं करते हैं। मुझे मेरी पार्टी में बोलने का अधिकार है। डेढ़-दो साल पहले मैंने यह कहा कि राजस्थान में हम पार्टी को रिपीट कैसे करें आपको याद होगा कि एक बार हमारे 150 विधायक थे 5 साल बाद 50 विधायक रह गए। फिर दोबारा सरकार बनी तो हमारे 100 विधायक बने, फिर -20 रह गए। हम दोबारा अपने आप को रिपीट कैसे करें, यह मेरी प्राथमिकता है। ये सुझाव मैंने पार्टी को, सोनिया जी को और राहुल जी को दिए हैं। उन्होंने कमेटी बनाई है और अब हम लोग सही दिशा में कदम उठा रहे हैं। अगले साल राजस्थान में चुनाव है। आपसी फूट किसी में नहीं है लेकिन संवाद, चर्चा और मसलों पर अपनी बात को रखें, यही लोकतंत्र की बहुत बड़ी जरूरत है। अब तानाशाही नहीं है कि एक बंद के कहने से सब लाइन पर चलेंगे जो पार्टी का निर्णय अंत में हो जाता है, उसके साथ फिर सब लोग खड़े रहते हैं।

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बीजेपी का महत्व अकाली दल के साथ रहने से था लेकिन वह बहुत ज्यादा सीटें नहीं निकाल पाएंगी
प्र. जेंद्र सिंह शेखावत ने पंजाब बीजेपी को हाथों में ले लिया है। वह कह रहे हैं कि नया पंजाब बीजेपी के साथ होगा। बहुत अच्छी पंजाबी भी उन्होंने सीख ली है, राजस्थान में भी वह सी.एम. अशोक गहलोत के बेटे को हराकर आए थे। इधर वह क्या बड़ा कर पाएंगे?
उ. मुझे नहीं लगता कि वह बहुत ज्यादा कुछ कर पाएंगे। बीजेपी का महत्व अकाली दल के साथ रहने सा था, लेकिन वह बहुत ज्यादा सीटें नहीं निकाल पाएंगे। वह प्रचार बहुत कर रहे हैं, होर्डिंग्स, बैनर्स लगा रहे हैं। संसाधन बहुत जाया कर रहे हैं लेकिन आखिरकार लोग जानते हैं कि बीजेपी की सरकार बनने का सवाल ही नहीं उठता है। मैं मानता हूं कि लोग अपना वोट बेकार नहीं करेंगे।

प्र. कैप्टन साहब उनके साथ हैं। वोह कह हे हैं कि वह नैशनलिस्ट सी.एम. रहे हैं। उनको इससे मजबूत मिल रही है?
उ. चुनाव से पहले क्लेम तो हर पार्टी करती हैं। पंजाब का मतदाता समझदार और बहुत सुलझा हुआ है। वह उसी को वोट डालेगा, जो जीतने वाला है और वह कांग्रेस पार्टी है।

प्र. मतदाता को आप समझदात बता रहे हैं, लेकिन बुत सारे ऐसे उम्मीदवार हैं जिन्होंने अपने लोग पार्टी के दूसरे उम्मीदवार के आगे खड़े किए हैं, फिर वोटर कैसे स्पष्ट होकर अपनी राय बनाए?
उ. उम्मीदवार आते-जाते रहते हैं। पार्टी की सोच, विचारधारा, संस्कृति, संस्कार और इतिहास नहीं बदला जा सकता। पार्टी को देखकर सिंबल पर वोट डलता है। 117 सीटें पंजाब में हैं, हम 117 ही टिकट दे सकते हैं। 200 नहीं दे सकते, इसलिए हर व्यक्ति को खुश करना बड़ा मुश्किल है, लेकिन मुझे लग रहा है कि जो हमने उम्मीदवार उतारे हैं, वो जीतने वाले हैं और हम लोग चुनाव जीतेंगे।

प्र. कांग्रेस को कितनी सीटों की उम्मीद है?
उ. मैं भविष्यवाणी नहीं कर सकता लेकिन मुझे लगता है कि जितनी सीटें पहले मिली थी, उससे ज्यादा मिलेंगी।

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News Editor

Urmila

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