एन.जी.टी. चेयरमैन का खुलासाः सीवरेज का 50 प्रतिशत पानी अनट्रिटिड , 351 नदियां प्रदूषित

punjabkesari.in Sunday, Dec 15, 2019 - 09:03 AM (IST)

चंडीगढ़/जालंधर/लुधियाना(अश्विनी/खुराना/धीमान): नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने देश भर के सीवरेज वेस्ट की मैनेजमैंट पर चौंकाने वाला खुलासा किया है। गोयल ने कहा है कि देश भर के शहरों में रोजाना सीवरेज का 50 प्रतिशत पानी भी ट्रीट नहीं हो पाता और शेष गंदा पानी देश की नदियों में गिराया जा रहा है जिस कारण देश भर की 351 नदियां प्रदूषित हैं। चंडीगढ़ में पर्यावरण पर बुलाई गई रिजनल कॉन्फ्रैंस में हिस्सा लेने आए गोयल ने कहा कि एन.जी.टी. ने 3 दिसम्बर को देश के कोस्टल राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को बुलाकर एक महीने के भीतर सीवरेज के पानी के ट्रीटमैंट को लेकर अपनी योजना एन.जी.टी. को सौंपने के लिए कहा है। 

ऐसा न होने की स्थिति में राज्यों को हर महीने 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। देश की कोस्टल लाइन 7,555 किलोमीटर की है और इस कोस्टल लाइन के किनारे वाले महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में चेन्नई, कोलकाता, कोच्चि, मुम्बई जैसे बड़े 77 शहर आते हैं। गोयल ने कहा कि देश में नदियों के प्रदूषण के लिए इंडस्ट्रियल और डोमैस्टिक वेस्ट जिम्मेदार है। इंडस्ट्रियल वेस्ट को लेकर तो कड़े कानून हैं और इंडस्ट्री की तालाबंदी का भी विकल्प मौजूद है लेकिन घरों से निकलने वाले गंदे पानी को ट्रीट करने के लिए राज्य सरकारों के स्थानीय निकाय विभाग जिम्मेदार हैं और ये विभाग अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ नहीं कर रहे। 

पराली पर किसानों को जागरूक किया जाए
पराली के प्रदूषण को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में गोयल ने कहा कि इस काम के लिए किसानों में जागरूकता फैलाना जरूरी है, जागरूकता के अभाव में ही किसान पराली जला रहे हैं लेकिन तकनीक का इस्तेमाल करके और किसानों को इसकी वैकल्पिक व्यवस्था देकर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिकों का मत है कि पराली को जलाए बिना भी किसान भूमि की उर्वरता बनाए रख सकते हैं और अगली फसल की बिजाई की जा सकती है। गोयल ने कहा कि यह समस्या सभी की है और इस समस्या के समाधान के लिए सबको मिलकर काम करना होगा। 

अंडरग्राऊंड वाटर, क्लीन एनर्जी, सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट, प्रदूषण व अन्य विषयों पर पढ़े पेपर
पंजाब सरकार के साइंस, टैक्नोलॉजी व पर्यावरण विभाग द्वारा चंडीगढ़ के एक होटल में पर्यावरण विषय पर करवाई गई रिजनल कांफ्रैंस के दौरान दिन भर चर्चा हुई। इस कांफ्रैंस के दौरान अंडरग्राऊंड वाटर, क्लीन एनर्जी, सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट, प्रदूषण व अन्य विषयों पर पेपर पढ़े। कांफ्रैंस के पहले सैशन के दौरान साइंस व टैक्नोलॉजी विभाग के प्रिंसीपल सैक्रेटरी आर.के. वर्मा ने रिजनल कांफ्रैंस के उद्देश्य के बारे में बताया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के पब्लिक हैल्थ के नैशनल प्रोफैशनल आफिसर मनजीत सलूजा ने वायु प्रदूषण विषय पर विचार व्यक्त किए। 

दूसरे सैशन में स्थानीय निकाय विभाग के सैक्रेटरी अजॉय शर्मा ने पूरे पंजाब के सीवरेज मैनेजमैंट व सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट प्लान पर प्रकाश डाला। इस सैशन में चीफ कंजर्वेटर धर्मेन्द्र शर्मा, पंजाब एनर्जी डिवैल्पमैंट एजैंसी के डायरैक्टर एम.पी. सिंह, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण विभाग के मैम्बर सैक्रेटरी एस. नारायणन, हिमाचल से मैम्बर सैक्रेटरी आदित्य नेगी, चंडीगढ़ प्रशासन के एडिशनल सैक्रेटरी टी.सी. नौटियाल, यू.पी.के पूर्व चीफ सैक्रेटरी डा. अनूप पांडे ने अपने-अपने राज्यों के एक्शन प्लान के पेपर प्रस्तुत किए।

तीसरे सैशन के दौरान टाटा प्रोजैक्ट के मनीष त्रिपाठी, दोराहा की बी.डी.पी.ओ. नवदीप कौर, यमुना मॉनीटरिंग कमेटी की सदस्य शैलजा चन्द्रा, नवांशहर कौंसिल के अध्यक्ष ललित मोहन पाठक ने अपने-अपने अनुभवों को उपस्थिति के साथ सांझा किया। चौथे सैशन के दौरान विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं से आए डा.एस.के. दास, डा. एस.के. गोयल, डा. बोधराज मेहता, डा. विनायक सिन्हा, डा. सुदेश नारायणन व इंजीनियर प्रदीप गर्ग ने रिसर्च पेपर पढ़े। 

ब्यास की बॉयोडायवर्सिटी पर ध्यान दे सरकार
संत सीचेवाल ने चड्ढा शूगर मिल से बहे शीरे के कारण ब्यास नदी की ध्वस्त बॉयोडायवर्सिटी को दोबारा से रिवाइव करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने का आह्वान किया है। सींचेवाल ने कहा कि शीरे ने नदी का जो नुक्सान किया है, उसकी पूर्ति के लिए कोई काम नहीं किया जा रहा। ब्यास नदी में कई प्रजाति की मछलियां गायब हो चुकी हैं। पर्यावरण संरक्षण की पहल होगी तो भरपाई में दशकों लग जाएंगे। संत सीचेवाल ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित चड्ढा शूगर मिल मामले पर कहा कि पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट में लगी स्टे हटवाने के लिए प्रयास करने चाहिएं, ताकि चड्ढा शूगर मिल को लेकर मॉनीटरिंग कमेटी ने जो दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, उनको अमल में लाया जा सके। उन्होंने कहा कि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही नदियों में प्रदूषण कम नहीं हो रहा है। सतलुज नदी की हालत यह है कि प्रदूषण के कारण बुड्ढा नाला के बाद हरीके पतन तक नदी की पूरी बॉयोडायवर्सिटी ध्वस्त हो चुकी है। नदी में मछलियां तो दूर, मेंढक तक दिखाई नहीं देते। संत सींचेवाल ने कहा कि सतलुज-ब्यास नदी के प्रदूषण पर ट्रिब्यूनल द्वारा गठित मॉनीटरिंग कमेटी लगातार निर्देश दे रही है लेकिन अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे। 

अफसरों को पता ही नहीं, गंदगी कहां से आ रही : रिटायर्ड जस्टिस  
घग्गर नदी के प्रदूषण पर गठित मॉनीटरिंग कमेटी के चेयरमैन रिटायर्ड जस्टिस प्रितम पाल सिंह ने कहा कि जिन अधिकारियों के कंधों पर प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेदारी है, उनमें से कई अफसरों को यह तक नहीं पता कि प्रदूषण का स्रोत क्या है। निजी अनुभव सांझा करते हुए उन्होंने कहा कि गत दिनों औद्योगिक इकाइयों की जांच पड़ताल दौरान पाया कि यह औद्योगिक इकाइयां भूमिगत पाइपों के जरिए नदियों में गंदगी धकेल रही हैं लेकिन स्थानीय अधिकारियों को इसकी खबर ही नहीं है। 

इंदौर मॉडल से हो पंजाब में कूड़े के ढेर की मैनेजमैंट 
कान्फ्रैंस के दौरान इंदौर नगर निगम से आए अधिकारियों ने शहर में सॉलेड वेस्ट के प्रबंधन को लेकर किए जा रहे काम का मॉडल भी प्रदर्शित किया। इंदौर में महज 10 करोड़ की लागत से 100 एकड़ में फैले 13 लाख टन कचरे का सफाया किया गया है। ट्रिब्यूनल इसी मॉडल के हिसाब से यानी एक लाख टन कचरे पर करीब 1 करोड़ की लागत से सफाई चाहता है। ट्रिब्यूनल ने पंजाब सरकार को कहा है कि इंदौर मॉडल के हिसाब से कूड़े के ढेर का सफाया करें। 

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Sunita sarangal