शाहपुर कंडी डैम प्रोजैक्ट पर ब्रेक

punjabkesari.in Tuesday, Jul 16, 2019 - 12:17 PM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): शाहपुर कंडी डैम प्रोजैक्ट पर ब्रेक लग गई है। पंजाब वन विभाग ने निर्माण अधीन आने वाली वन भूमि के चलते जल स्रोत विभाग को तत्काल कार्य रोकने के आदेश दिए हैं। दरअसल, पंजाब जल स्रोत विभाग ने डैम निर्माण के लिए 109.64 हैक्टेयर वन भूमि डायवर्ट करने का प्रस्ताव वन विभाग को भेजा था जिसकी मंजूरी केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय स्तर पर दी जानी है।

प्रस्ताव में जल स्रोत विभाग ने भूमि पर हरे-भरे 16,160 वृक्षों और 889 अंडरसाइज पोल को काटने की अनुमति मांगी थी। इसके आधार पर वन विभाग ने डैम के निर्माण कार्य को तत्काल रोकने का आदेश दिया है। रिपोर्ट में वन विभाग के अधिकारियों ने लिखा है कि शाहपुर कंडी डैम योजना के चीफ इंजीनियर ने फोरैस्ट कंजर्वेशन एक्ट, 1980 के तहत वन भूमि को डायवर्ट करने का प्रस्ताव वन विभाग को भेजा है।
वन अधिकारियों के स्तर पर मौका-मुआयना करने के दौरान पाया कि डैम निर्माण के लिए जल स्रोत विभाग को 333.91 हैक्टेयर वन भूमि की जरूरत है लेकिन 109.64 हैक्टेयर वन भूमि को डायवर्ट करने का ही प्रस्ताव भेजा है। जल स्रोत विभाग ने पंजाब लैंड प्रीजर्वेशन एक्ट अधीन 58.75 हैक्टेयर डिलिस्टिड लैंड और 165.91 हैक्टेयर नदी तल की जमीन को प्रस्ताव में शामिल नहीं किया है। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि डैम निर्माण का कार्य चालू हो चुका है लेकिन जल स्रोत विभाग का कहना है कि कार्य 1999 में ही शुरू हो गया था। फिलहाल वन विभाग के अधिकारियों ने निर्माण से जुड़े कार्यों को तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए कहा है। पंजाब वन विभाग ने मंजूरी के लिए रिपोर्ट पर्यावरण मंत्रालय को भेज दी है।

हर बार अटकता रहा है शाहपुर कंडी डैम प्रोजैक्ट
शाहपुर कंडी डैम योजना कई बार लटक चुकी है। वैसे योजना का शिलान्यास अप्रैल, 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने किया था लेकिन 3 साल का लक्ष्य होने के बावजूद प्रोजैक्ट अधर में लटका रहा। वर्ष 2001 दौरान प्लाङ्क्षनग कमीशन ने हरी झंडी दिखाई लेकिन वर्ष 2004 में पंजाब सरकार की ओर से सभी समझौतों को रद्द करने की घोषणा के साथ ही योजना अधर में लटक गई। वर्ष 2008 में राष्ट्रीय योजना घोषित किया गया लेकिन निर्माण कार्य वर्ष 2013 में शुरू हुआ। अगस्त, 2014 में जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बीच विवाद के कारण योजना एक बार फिर अधर में लटक गई। नवम्बर, 2018 में योजना का दोबारा आगाज किया गया लेकिन निर्माण करने वाली कंपनी की बकाया धनराशि के कारण कई माह कार्य चालू नहीं हो पाया। अब निर्माण कार्य चालू होना था तो वन्य क्षेत्र के कारण रोक लगा दी गई है।

पर्यावरण मंत्रालय ने तलब की रिपोर्ट
अब पर्यावरण मंत्रालय ने चंडीगढ़ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय से रिपोर्ट तलब की है। 5 जुलाई को डिप्टी इंस्पैक्टर जनरल ऑफ फोरैस्ट ने क्षेत्रीय कार्यालय को भेजे पत्र में कहा कि उनके अधिकारी प्रस्तावित योजना अधीन आने वाले वन्य क्षेत्र का निरीक्षण करें और जल्द मामले की पूरी रिपोर्ट मंत्रालय में जमा करवाई जाए। क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारियों की मानें तो जल्द विशेषज्ञों की टीम निरीक्षण कर मंत्रालय को रिपोर्ट सबमिट करेगी।

1904 में घोषित किया गया वन्य क्षेत्र 
रावी नदी के किनारों सहित तल वाले कुछ हिस्से को 5 जनवरी, 1904 को जारी अधिसूचना के तहत वन्य क्षेत्र घोषित किया गया था। जल स्रोत विभाग ने दावा किया है कि डैम योजना से लैंड यूज में कोई तबदीली नहीं आएगी। अलबत्ता, योजना के जरिए 206 मैगावाट बिजली पैदा होगी। शाहपुर कंडी डैम योजना से 55.5 मीटर ऊंचा डैम निर्माण होगा जिससे कृषि भूमि की सिंचाई व्यवस्था पुख्ता होगी। साथ ही करीब 5,000 लोगों को रोजगार मिलेगा।

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