जलियांवाला बाग को विश्व का सबसे खूबसूरत स्मारक बनाया जाएगा : श्वेत मलिक

punjabkesari.in Thursday, Jan 10, 2019 - 08:35 AM (IST)

अमृतसर(कमल): भारत की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों की धरती जलियांवाला बाग को जहां देश का हर आदमी नमन करता है, वहीं विदेश के लोग भी इसे सजदा करने यहां आते हैं और शहीदों को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। उधर केन्द्र सरकार भी इस पवित्र शहीदी स्थल को विकसित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तथा राज्यसभा सांसद व जलियांवाला बाग ट्रस्ट के ट्रस्टी श्वेत मलिक द्वारा जलियांवाला बाग को विकसित करने और भारतीय व विदेशी सैलानियों को इसके इतिहास से रू-ब-रू करवाने के लगातार प्रयास जारी हैं। इसके चलते मलिक द्वारा इस ऐतिहासिक जगह के महत्व को दुनिया के सामने लाने के लिए सांस्कृतिक मंत्री महेश शर्मा की अध्यक्षता में जलियांवाला बाग के विकास का ब्लू प्रिंट तैयार करके इसके विकास दस्तावेज को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। श्वेत मलिक ने कहा कि जलियांवाला बाग को विश्व का सबसे खूबसूरत स्मारक बनाया जाएगा।

मलिक ने कहा कि केन्द्र में कांग्रेस सरकार के समय इस ऐतिहासिक स्थल को नजरअंदाज किया जाता रहा है। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जलियांवाला बाग के पहले ट्रस्टी थे। देश की आजादी से लेकर 70 साल तक चली कांग्रेस सरकार में जलियांवाला बाग की स्थिति बहुत दयनीय बनी हुई थी और सैलानियों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। मलिक ने बताया कि करीब 2 महीने पहले उन्हें ट्रस्टी बनाया गया है और ट्रस्ट की तेजी से चली कार्रवाई के चलते जलियांवाला बाग के विकास दस्तावेज पास हो सके हैं।

मलिक ने कहा कि बाग में स्थित अमर ज्योति के आसपास के स्थल कासौंदर्यीकरण किया जाएगा और यहां पर सलामी के लिए बी.एस.एफ. के उच्च अधिकारियों से बात की जाएगी ताकि भारत-पाक सीमा पर होने वाली रिट्रीट सैरेमनी की तरह यहां पर सलामी परेड का आयोजन किया जा सके व शहीदों को रोज सलामी दी जा सके। मलिक ने इस सबके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्तमंत्री अरुण जेतली व सांस्कृतिक मंत्री महेश शर्मा से कई बार मुलाकात की। अभी इसको देखने आने वाले सैलानियों को बहुत कम समय मिलता है, लेकिन अब सैलानियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इसको देखने का समय भी बढ़ा कर रात 9 बजे तक कर दिया जाएगा, ताकि किसी भी सैलानी के मन को ठेस न पहुंचे और वे अपने देश के इस स्वॄणम इतिहास को जाने बिना मायूस न लौटें।

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