जालंधर में हो रही पंथक बैठक को लेकर शिरोमणि अकाली दल की चिंता बढ़ी

punjabkesari.in Thursday, Feb 13, 2020 - 11:05 AM (IST)

जालंधर(बुलंद): शिरोमणि अकाली दल के लिए लगातार चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। दिल्ली में 60 प्रतिशत से ज्यादा सिख वोट आम आदमी पार्टी के खाते में जाने से शिरोमणि अकाली दल की चिंता बढनी स्वाभाविक ही थी परंतु जालंधर में हो रहे एक बड़े पंथक इकट्ठ को लेकर रातों की नींद उड़ी हुई है। असल में शिरोमणि अकाली दल से अलग होकर टकसाली अकाली दल बनाने वाले सारे नेता इस पंथक बैठक में पहुंच रहे हैं।

इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल के सीनियर नेता रहे सुखदेव सिंह ढींडसा और अकाली दल (1920) के नेता रविंद्र सिंह व कांग्रेस पार्टी के साथ रहे भाई वीर सिंह भी इस पंथक इकट्ठ में शामिल होने के लिए आ रहे हैं। शिअद जालंधर के पूर्व प्रधान रहे गुरचरण सिंह चन्नी ने बताया कि 13 फरवरी को 2.30 बजे जालंधर के गुरुद्वारा 9वीं पातशाही गुरु तेग बहादुर नगर में यह एक बड़ा पंथक इकट्ठ हो रहा है जो आने वाले चुनावों की रणनीति तैयार करेगा, साथ ही शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पर हो चुके एक ही परिवार के कब्जे को कैसे हटाया जाए, इस बारे में भी चर्चा करेगा। 

जानकारों की मानें तो इस पंथक बैठक में सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता व वर्कर शामिल हो सकते हैं जो सिख धर्म के प्रति सम्पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखते हों और जो चाहते हों कि भविष्य में पंजाब व सिख धर्म नशे, बेरोजगारी, हिंसा तथा अन्य प्रकार की समस्याओं से बाहर आए। हैरानी की बात तो यह है कि जहां इस पंथक बैठक में शिरोमणि अकाली दल के सभी विरोधियों की नजरें टिकी हैं, वहीं खुद शिरोमणि अकाली दल भी इस पंथक बैठक पर निगाह रखे हुए है।  

क्या शिरोमणि अकाली दल से अलग हुए सभी नेता मिलकर कोई ऐसा तीसरा बदल शिअद के विरोध में खड़ा कर पाते हैं जो शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को बादल परिवार से मुक्त करवा पाए या फिर यह सब तब तक ही अपना अस्तित्व कायम रख पाते हैं जब तक शिअद दोबारा सत्ता में नहीं आ जाता। वहीं मामले बारे शिअद के नेता दलजीत चीमा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमें इस प्रकार की बैठकों से कोई फर्क नहीं पडऩे वाला क्योंकि जो लोग शिरोमणि अकाली दल के साथ जुड़े हैं, वे हमेशा पार्टी के साथ ही खड़े हैं। 


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swetha

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