Smoking करने वाले जरा ध्यान दें! सामने आई ये रिपोर्ट

punjabkesari.in Wednesday, Aug 06, 2025 - 04:26 PM (IST)

संगरूर/बरनाला(विवेक सिंधवानी, रवि): धूम्रपान, बीड़ी, सिगरेट, और तंबाकू एक ऐसा मीठा जहर है जो शरीर में एक बार प्रवेश कर जाता है तो उसे इतना खोखला कर देता है कि इसका सेवन करने वाले व्यक्ति का 50 वर्ष की आयु पार करने के बाद जीवन नर्क से भी बदतर हो जाता है। हमारे देश की यह विडंबना है कि हम सिगरेट और पान मसाला के सभी पैकेटों पर चेतावनी लिखते तो हैं पर उस पर आज तक अमल नहीं हो पाया है।

कई बार हम अपने शरीर को ऐसी आदतें डाल देते हैं, जिसके कारण हम स्वयं अपनी मौत का शिकार हो जाते हैं। तंबाकू आज दुनिया में होने वाली सभी मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है। हमारे देश के लगभग 19 से 20 करोड़ लोग तंबाकू की लत का शिकार हैं। लोग बीड़ी, सिगरेट, गुटका, खैनी का इस्तेमाल करते हैं। हर वर्ष देर-सवेर लोग इस लत के कारण कैंसर का शिकार हो जाते हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 70 प्रतिशत लोग तंबाकू, सिगरेट के कारण ही कैंसर का शिकार होते हैं। सरकार और गैर-सरकारी संगठनों का पूरा ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि समाज को कैंसर मुक्त कैसे बनाया जाए। हम हर वर्ष तंबाकू विरोधी दिवस भी मनाते हैं, पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े और धूम्रपान का घातक प्रभाव

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के आंकड़े बताते हैं कि धूम्रपान की वजह से प्रतिवर्ष दुनिया भर में 70 से 80 लाख लोगों की आकस्मिक मृत्यु हो जाती है। यह आंकड़ा इस समस्या की भयावहता को दर्शाता है। अमरीका में हाल ही में हुए अनुसंधान से पता चलता है कि धूम्रपान करने वाले पुरुषों को फेफड़ों का कैंसर होने की संभावना 35 गुना अधिक होती है, जबकि धूम्रपान करने वाली महिलाओं को यह खतरा 12 गुना रहता है। ये आंकड़े बताते हैं कि धूम्रपान केवल एक लत नहीं, बल्कि एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी मानना है कि तंबाकू और सिगरेट में निकोटिन नामक एक ऐसा मिश्रण होता है जो सिगरेट, बीड़ी, और तंबाकू का सेवन करने वालों को अपनी ओर खींच लेता है, जिससे इस लत से छुटकारा पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसलिए इस लत से अगर आप छुटकारा पाना चाहते हैं तो इसका एकमात्र और पक्का इलाज है – इस लत से दूर रहना।

आगे का रास्ता : शिक्षा और सामूहिक प्रयास

यह स्पष्ट है कि तंबाकू और धूम्रपान से होने वाली मौतों को रोकने के लिए केवल सरकारी प्रयासों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। समाज के हर व्यक्ति, हर परिवार और हर संगठन को मिलकर काम करना होगा। स्कूल-कॉलेजों में छात्रों को इसके खतरों के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए, और सार्वजनिक स्थानों पर जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।

तंबाकू छोड़ना एक मुश्किल काम है, लेकिन असंभव नहीं। जो लोग इस लत से छुटकारा पाना चाहते हैं, उन्हें चिकित्सा सहायता और परामर्श उपलब्ध कराया जाना चाहिए। साथ ही, समाज में ऐसे माहौल का निर्माण करना होगा जहां धूम्रपान को स्वीकार्य न माना जाए और स्वस्थ जीवन शैली को प्रोत्साहित किया जाए। तभी हम अपने देश को तंबाकू मुक्त और स्वस्थ बना पाएंगे।

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Content Writer

Sunita sarangal

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