नए भाजपा प्रधान श्वेत मलिक के सामने हैं कई चुनौतियां

punjabkesari.in Sunday, Apr 01, 2018 - 03:20 PM (IST)

 जालंधर(पाहवा): पंजाब भाजपा अध्यक्ष विजय सांपला को पद से हटा कर उनकी जगह राज्यसभा सदस्य श्वेत मलिक को तैनात किया गया है। श्वेत मलिक के लिए पंजाब में भाजपा अध्यक्ष का ताज एक ऐसा अवसर है जिसमें वह अपने आप को प्रमाणित कर सकते हैं। मलिक के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं जिनका उन्हें सामना करना होगा। 

शहरी वोट बैंक समेटना

जी.एस.टी. और नोटबंदी के बाद शहरी वोट बैंक भाजपा से काफी नाराज है। पंजाब में भी इसका काफी असर हुआ है। ऐसे में मलिक के सामने सबसे बड़ा चैलेंज है वोट बैंक को समेटना। इसी वोट बैंक के कारण पार्टी पंजाब में निकाय चुनावों में हार का मुंह देख चुकी है। 

गुटबाजी 

पंजाब में भाजपा में गुटबाजी काफी हावी है। आज की तारीख में भाजपा के सामने यह सबसे बड़ा चैलेंज है। मलिक के लिए गुटबाजी को खत्म करना प्रमुखता होगी। खुद मलिक को इस गुटबाजी से बाहर रहना भी एक बड़ा चैलेंज है। वैसे अभी तक वह किसी गुट में नहीं हैं। उन्हें अपनी यही इमेज बना कर रखनी होगी। 

वर्करों को जोडना

श्वेत मलिक के सामने अध्यक्ष बनने के बाद सबसे बड़ा चैलेंज है वर्करों को दोबारा पार्टी के साथ जोडऩा। पिछले कुछ समय से पंजाब में भाजपा का वर्कर बेहद खराब दौर से गुजरा है। वर्कर पार्टी में सम्मान न मिलने के कारण काफी देर से दरकिनार महसूस कर रहा है। घर बैठे ऐसे वर्कर को मान-सम्मान का विश्वास दिलवा कर उसे दोबारा पार्टी में लाना इतना आसान भी नहीं होगा। 

लोकसभा चुनाव
पंजाब में लोकसभा चुनावों में भाजपा को 3 में से 2 सीटें मिली थीं। उसके बाद हुए उपचुनाव में भाजपा अमृतसर तथा गुरदासपुर की सीट बुरी तरह से हारी। बेशक गुरदासपुर में विनोद खन्ना जबरदस्त तरीके से जीते थे लेकिन उपचुनाव में वह सीट भाजपा उतने ही जबरदस्त तरीके से हारी। ऐसे में मलिक  को अब चुनावों के लिए तैयारी करनी होगी खासकर लोकसभा चुनाव के लिए जो कभी भी हो सकते हैं। 

राजनीतिक सफर
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श्वेत मलिक ने इलैक्ट्रॉनिक एवं कम्यूनिकेशन में इंजीनियरिंग, मैडीकल कम्प्यूटर जापान से पी.जी.टी. की शिक्षा हासिल की।

*वर्ष 1992 में राजनीतिक जीवन में प्रवेश करते हुए भाजयुमो कार्यकर्ता से शुरूआत की।

*शहरी भाजयुमो, शहरी भाजपा में कई पदों पर रहते हुए पहली बार वह 1997 से 2002 तक तथा दूसरी बार 2007 से 2012 तक पार्षद रहे।

*तीसरी बार भी पार्षद चुने जाने के पश्चात 2007 से 2012 तक स्थानीय नगर निगम के मेयर पद पर रहते हुए 1600 करोड़ रुपए के विकास कार्य करवाए।

*2012 में उन्हें निगम चुनावों में जहां पराजय का सामना करना पड़ा था, वहीं पार्टी हाईकमान ने उनकी काबिलियत को देखते हुए वर्ष 2016 में उन्हें राज्यसभा सांसद बना कर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी।

*पार्टी हाईकमान ने उन्हें अब पंजाब प्रदेशाध्यक्ष की भी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।    

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