कला जगत में भी Underworld, पहले चमकीला और अब मूसेवाला बने शिकार

punjabkesari.in Tuesday, May 31, 2022 - 11:58 AM (IST)

चंडीगढ़(रमनजीत सिंह): पंजाबी गायकी को पसंद करने वाला हर शख्स चमकीला से वाकिफ है। अमर सिंह चमकीला। 80 और 90 के दशक में दुनियाभर में बसने वाले पंजाबियों की संगीत पिपासा शांत करने वाला चमकीला। 28 बरस की उम्र में इस स्टार गायक चमकीला की गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी। 
नाम आतंकवादियों का लगा था लेकिन चर्चाएं और भी बहुत सी थीं, जिनमें से एक यह भी थी कि अपनी गायकी का धंधा चौपट होने की वजह से उस वक्त के ही कुछ गायकों ने सुपारी देकर यह काम करवाया था, लेकिन यह हत्या का मामला कभी सुलझाया नहीं जा सका। 

अब, चमकीला की हत्या के करीब 34 वर्ष बाद गायकी के क्षेत्र में ठीक चमकीला की ही तरह प्रसिद्धि हासिल करने वाले शुभदीप सिंह उर्फ सिद्धू मूसेवाला की भी हत्या गोलियों की बरसात करके कर दी गई। वह भी 28 वर्ष का था और अपने गायकी करियर की बुलंदी पर था। हत्या में कौन-कौन शामिल है और इसके पीछे क्या साजिश है, पुलिस उसका जल्द ही खुलासा करने की कोशिश और दावा कर रही है, लेकिन सोशल मीडिया पर घूम रही पोस्टों से यह बात एक बार फिर स्पष्ट हो गई है कि कला जगत के भीतर भी एक ‘अंडरवल्र्ड’ काम करता है। ठीक वैसा ही जैसा कभी बॉलीवुड में चर्चित रहा है।  जिस तरह से कल मूसेवाला की हत्या के बाद सोशल मीडिया पर गैंगस्टरों के एक पेज पर मूसेवाला की हत्या की जिम्मेवारी ली गई और मूसेवाला को कुछ लोगों की हत्या में भूमिका निभाने वाला करार दिया गया, ठीक वैसे  ही एक दूसरे गैंगस्टर ग्रुप द्वारा सोशल मीडिया के अपने पेज पर पंजाबी सिंगर मनकीरत औलख को सीधे-सीधे धमकाते हुए सिद्धू मूसेवाला की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगा दिया गया है। 

सोशल मीडिया की लड़ाई से गिरफ्तारी तक भी पहुंचे गायक
2019 के दौरान गायक एली मांगट और रम्मी रंधावा व प्रिंस रंधावा के बीच कई दिन तक सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को धमकाने, चैलेंज करने व नीचा दिखाने की लड़ाई चली। बाद में दोनों तरफ से एक-दूसरे को देख लेने के लिए मोहाली में आमना-सामना होना तय हुआ और अंतत: पुलिस ने एली मांगट को गिरफ्तार किया।

गुटों में बंटे हुए हैं कलाकार भी
कोई माने या न माने, लेकिन जिस तरह से कभी बॉलीवुड में सुना करते थे कि बड़े सितारों द्वारा अपने-अपने गुट बनाकर जूनियर कलाकारों को कंट्रोल किया जाता है और फिल्मों में काम दिलाने के लिए गुटबाजी का ख्याल रखा जाता है, ठीक वैसे ही पंजाब में भी कलाकारों, खासकर गायकों के गुट बने हुए हैं। गायक अपने विरोधी गुट वाले गायकों के खिलाफ न सिर्फ सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार करते हैं, बल्कि कई गानों के जरिए भी एक-दूसरे को नीचा दिखाने का प्रयास करते रहते हैं। इस सब के पीछे हजारों करोड़ रुपए की पंजाबी संगीत इंडस्ट्री है, जोकि पंजाब से लेकर दुनिया के हर कोने में बसे पंजाबियों की बदौलत लगातार कायम है और गायकों को उनकी अकूत संपत्ति बनाने का मौका भी देती है। चर्चा है कि सिद्धू मूसेवाला पंजाब के गायकों की गुटबाजी से अलग रहा और अपने दम पर सभी को पीछे छोड़ता चला गया। उसकी देखा-देखी कुछ अन्य गायकों द्वारा भी गुटबाजी से दूरी बनाने का प्रयास किया गया, जिस वजह से गुटों को चलाने वालों की कमाई पर भी असर पडऩे लगा था। जिसकी वजह से ही गैंगस्टरों को काम पर लगाया गया। चर्चा यह भी है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान कुछ उच्च पुलिस अधिकारियों द्वारा भी इस धंधे से अच्छी कमाई की गई और गैंगस्टरों को फिरौती उगाहने के लिए संरक्षण भी दिया जाता रहा है।


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Vatika

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