सिद्धू की यू-ट्यूब चैनल लांचिंग ने पंजाब की राजनीति में लाई गर्मी
punjabkesari.in Sunday, Mar 15, 2020 - 09:07 AM (IST)
पटियाला/अमृतसर(राजेश,जोसन,कमल): लगभग 9 महीनों की राजनीतिक चुप्पी के बाद पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्टाइल में अपने मन की बात करने की नीति के अंतर्गत लांच किए गए यू-ट्यूब चैनल ने पंजाब की राजनीति में अचानक गर्मी ला दी है। जैसे ही इस संबंधी नवजोत सिंह सिद्धू का प्रैस नोट जारी हुआ तो पंजाब के राजनीतिक गलियारों में नई चर्चा शुरू हो गई। राजनीति से संबंध रखने वाला हर व्यक्ति चाहे वह गांव का पंच हो, नगर कौंसिल का एम.सी. हो, विधायक, मंत्री या पूर्व मंत्री हो, सिद्धू के अगले कदम बारे चर्चा करता दिखाई दे रहा है।
मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू से स्थानीय निकाय विभाग वापस लेने के बाद सिद्धू ने अपने मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था और 9 महीने से वह बिल्कुल चुप थे और इस संबंधी आत्म चिंतन और आत्म मंथन कर रहे थे। गुरु नानक देव जी के जन्म स्थान करतारपुर साहिब का रास्ता खोलने का क्रैडिट सिख संगत की तरफ से नवजोत सिंह सिद्धू को दिया जा रहा है। बेशक केंद्र की मोदी सरकार और कै. अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार यह कॉरीडोर खोलने को अपना योगदान बता रहे हैं, परन्तु पंजाब के लोगों ने इस का सेहरा नवजोत सिंह सिद्धू को दिया है।
मौजूदा हालात में सिख मतदाता पूरी तरह नवजोत सिंह सिद्धू की तरफ झुके हुए हैं, जिस कारण शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी पूरी तरह घबराए हुए हैं। राजनीतिक माहिर बताते हैं कि 2022 की विधान सभा चुनाव में सिद्धू जिस तरफ होंगे, उसी की सरकार बनने की संभावना है। यदि कांग्रेस ने सिद्धू को न संभाला तो इस के नतीजे पार्टी के लिए नुक्सानदेह हो सकते हैं।
सिद्धू का मुख्य एजैंडा बादल और मजीठिया परिवार का विरोध है। यदि आम अदामी पार्टी नवजोत सिंह सिद्धू को अपना मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने में सफल होती है तो पंजाब विधान सभा चुनाव के नतीजे दिल्ली की समान आने की संभावना है। सिद्धू जहां 4 बार एम.पी. रह चुके हैं, वहीं मौजूदा समय में अमृतसर पूर्वी हलके से विधायक हैं। सिद्धू जैसा वक्ता मौजूदा समय पंजाब की किसी भी राजनातिक पार्टी के पास नहीं है। वह अपने भाषणओं द्वारा लोगों के दिलों पर राज करते हैं। क्रिकेटर, कमैंटर और कामेडियन के तौर पर उन का इंटरनैशनल स्तर पर नाम हो चुका है। ऐसे हालात में पंजाब की राजनीति में सिद्धू को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
बेशक मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह के साथ सिद्धू के मतभेद हैं, परन्तु पंजाब के राजनीतिक मंच पर सिद्धू एक ध्रुव तारे की तरह चमक रहे हैं। जो पार्टी 2022 की चुनाव में सिद्धू को अपने साथ लेगी, उसे बड़ा लाभ मिलेगा। यदि उनके यू-ट्यूब चैनल लांच करने की समूचे पंजाब में चर्चा छिड़ सकती है तो जब वह किसी भी पार्टी का चेहरा बनेंगे तो पंजाब में एक नई लहर खड़ी होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।