कैप्टन के चक्रव्यूह में फंसे सिद्धू, राहुल की खेती बचाओ यात्रा से हुए OUT

punjabkesari.in Thursday, Oct 08, 2020 - 09:00 AM (IST)

पटियाला(राजेश पंजोला) : मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह से नाराज चल रहे पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू कैप्टन अमरेंद्र सिंह के राजनीतिक चक्रव्यूह में ऐसे फंसे कि उन्हें राहुल गांधी की खेती बचाओ रैली से ही आऊट होना पड़ा। यह अलग बात है कि कांग्रेस आलाकमान हर हाल में सिद्धू को कांग्रेस में ही रखना चाहती है और कांग्रेस के नवनियुक्त पंजाब इंचार्ज हरीश रावत इस दिशा में काम भी कर रहे हैं परंतु कैप्टन की टीम किसी भी हाल में सिद्धू को पंजाब का हीरो नहीं बनने देना चाहती।
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हरीश रावत के कहने पर सिद्धू मोगा में हुई रैली में शामिल तो हुए परंतु अपनी आदत के मुताबिक उन्होंने प्रोटोकाल की परवाह नहीं की और मंच पर खूब मनमानी की। उन्हें दो मिनट के लिए बोलने का समय दिया गया था परंतु वह 13 मिनट बोले और इस भाषण दौरान मोदी सरकार के साथ-साथ पंजाब की कैप्टन सरकार को भी लपेटे में लिया। कैप्टन खेमे ने इस रैली में सिद्धू की तरफ से किए गए व्यवहार को ही मुद्दा बना लिया। सबसे पहले तो कैप्टन के मंत्री इस बात से ही नाराज हो गए कि जब मंत्रियों को मंच पर दूसरी लाइन में बैठाया गया तो सिद्धू को किस हैसियत से फ्रंट सीट पर बैठाया गया। सिद्धू न पंजाब कांग्रेस के प्रधान हैं न सरकार में मंत्री, वह एक साधारण विधायक हैं। लिहाजा उन्हें विधायकों की श्रेणी में ही रखा जाना चाहिए था।सिद्धू के इसी व्यवहार को मुद्दा बना कर उन्हें अन्य किसी भी रैली में नहीं बुलाया गया और इस यात्रा से आऊट कर दिया गया। कैप्टन ने अपना पूरा तंत्र व मंत्रियों को इसी काम में लगा दिया कि अगले दो दिनों तक सिद्धू को कांग्रेस के कार्यक्रमों से दूर रखा जाए ताकि वह हाईलाइट न हो सके। इन 2 दिनों में जितने भी नेता राहुल गांधी को मिले सभी ने राहुल को यही रिपोर्ट दी कि सिद्धू के व्यवहार के कारण पार्टी को नुक्सान ही हुआ है।

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प्रैस कांफ्रैंस में भी नहीं पूछने दिया सिद्धू का सवाल
सिद्धू के मामले में कैप्टन खेमे ने फील्डिंग इतनी टाइट की हुई थी कि पटियाला में हुई प्रैस कांफ्रैंस में भी सिद्धू संबंधी कोई सवाल नहीं पूछने दिया गया। कांफ्रैंस में पहले ही निर्धारित था कि कौन पत्रकार क्या सवाल पूछेगा? खेती यात्रा दौरान पंजाब कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा मुद्दा नवजोत सिंह सिद्धू का ही था, इसलिए सरकार की च्वाइस के मुताबिक ही पत्रकारों को सवाल पूछने का मौका दिया गया। ऐसा लग रहा था कि जैसे सभी पत्रकारों को कहा गया हो कि सिद्धू संबंधी कोई भी सवाल न पूछा जाए व ऐसा कोई सवाल न किया जाए जो मुख्यमंत्री के खिलाफ जाए। इसी प्रैस कांफ्रैंस में राहुल गांधी निष्पक्ष प्रैस की वकालत कर रहे थे जबकि उनकी प्रैस कांफ्रैंस देखने से लग रहा था कि जैसे पूरी तरह से कांफ्रैंस कैप्चर की हुई हो।

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प्रताप बाजवा को रवीन ठुकराल से बाद दी सीट
इस प्रैस कांफ्रैंस में राज्यसभा सांसद व कैप्टन अमरेंद्र सिंह के विरोधी प्रताप सिंह बाजवा भी मौजूद थे। सिटिंग प्लान बड़ा ही अजीबो-गरीब था। प्रताप सिंह बाजवा को बिल्कुल किनारे वाली सीट पर बैठाया गया था। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल भी बाजवा से पहले बैठे हुए थे। प्रत्येक नेता के सामने नेम प्लेट लगी हुई थी। इससे स्पष्ट है कि सब कुछ पहले से ही निर्धारित था। ऐसा करके यह संदेश दिया गया है कि जिसकी मुख्यमंत्री के साथ ‘बनती’ है वही पंजाब की राजनीति में स्थान पा सकता है।ऐसा करके कैप्टन ने संदेश दिया कि उनका सलाहकार भी बाजवा से ऊपर है।यह अलग बात है कि हलका सनौर में हुई रैली में बाजवा को मान-सम्मान मिला और उन्हें स्टेज से बुलवाया भी गया, इसका कारण यह था कि प्रताप बाजवा व हलका सनौर के इंचार्ज हरिन्द्रपाल सिंह हैरीमान घनिष्ट मित्र हैं और बेअंत सिंह सरकार के समय से इकट्ठे चल रहे हैं।


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