यह है  रीयल ‘वीरा’,भाई के लिए नंगे पांवों करने जाती सुबह-शाम अरदास

punjabkesari.in Tuesday, Mar 20, 2018 - 10:59 AM (IST)

अमृतसर (स.ह., नवदीप): यह 7 साल की गुरनाज दीप कौर है। गुरुओं पर ‘नाज’ है और हर रोज सुबह-शाम ‘दीप’ जलाकर विश्व भर की शांति के साथ अपने छोटे भाई विश्व दीप सिंह के लिए अरदास करने नंगे पांव गुरुद्वारा जाती है। तीन साल की उम्र से चाहे बारिश हो या ओले पड़े वो ‘होले-होले’ नन्हें कदमों से गांव के गुरुद्वारे में अरदास करने जाना पक्का नियम है।

गुरनाज कहीं भी रहे सुबह-शाम एक ही अरदास ‘वाहे गुरु जी, मेरे वीर नूं जल्दी ठीक हो जावे, मैं उन्नू पायलट बनाणा हैगा’। गुरनाज कहती है कि राखी के दिन मैं बहुत रब से रोई। मुझे सपना आया कि मेरा वीरा ठीक हो गया है, मम्मी कहती है कि सपना सुबह आया था, तेरा वीरा जल्द ही ठीक हो जाएगा। 

 

‘पंजाब केसरी’ के साथ तोतली भाषा में ‘वीरा’ कहती है कि मम्मी एक दिन पापा से कह रही थी कि डॉक्टर वीर के बारे में कह रहे थे कि वाहेगुरु जी के हाथ में सब कुछ है, मैं वाहेगुरु जी के पास गांव के गुरुद्वारे में गई थी, तब से जा रही हूं। बता दें कि जिन दिनों छोटे पर्दे पर दिखाया जाने वाला सीरियल ‘वीर की अरदास वीरा’ की दीवानगी में बच्चे खाना-पीना छोड़ देते थे, भाई-बहन का बचपन की कहानी घर-घर में देखकर वीरा की वाहवाही की जाती थी।
 

उसी दौरान श्री मुक्तसर साहिब में अमनदीप सिंह के घर बेटा पैदा हुआ। गांव में मिठाइयां बंटी तो गांव वाले कहने लगे कि ‘वीरा’ का घर ‘वीर’ आया है। बेटे को जन्म देने वाली मां सुखजिंद्र दीप कौर चाहती थी कि बेटे का नाम ऐसा रखा जाए जो ‘यूनीक’ हो। यह सुन कर अमनदीप सिंह ने कहा कि मैंने ऐसा नाम सोचा है, जिसमें पूरे परिवार के नाम शामिल हैं और दुनियां भर में ‘यूनीक’ भी है, उन्होंने नाम रखा विश्व दीप सिंह। विश्व के नाम के साथ मां, बहन व पिता के नाम से  ‘दीप’ शामिल किया गया। 

 

विश्व दीप सिंह को घर में निशू बुलाया जाने लगा। एक साल की उम्र में जब विश्व पैरों पर खड़ा नहीं हुआ तो परिजन उसका पहले घरेलू इलाज करवाया, फिर बाद में देश के हर अस्पताल लेकर गए। विश्व मां के कोख से ही ‘सेरेब्रल पॉलिसी’ बीमारी से ग्रस्त होने से पैरों पर खड़ा न हो पा रहा था। लाखों रुपए इलाज में खर्च करने के बाद अमनदीप सिंह को किसी ने सलाह दी कि अमृतसर में एक डा. हरप्रीत सिंह बावा हैं, जिसके पास अब विश्व दीप सिंह का इलाज चल रहा है। उक्त डाक्टर का कहना है कि उक्त बीमारी से देश में 25 लाख बच्चे ग्रस्त हैं। हर एक हजार बच्चों में ऐसे बच्चों की गिनती औसत करीब पांच होती है, इस बीमारी में धैर्य के साथ इलाज हो समय के साथ सफलता मिलती है। विश्व जल्द दौड़ेगा यह सौ प्रतिशत उम्मीद है। 

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