स्मार्ट सिटी योजना का फंड खर्च करने में लुधियाना पीछे,सूरत आगे
punjabkesari.in Wednesday, Dec 26, 2018 - 10:12 AM (IST)
लुधियाना: मोदी सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी योजना के तहत पहली सूची में शामिल किए गए पंजाब का लुधियाना शहर केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए फंड को इस्तेमाल करने के मामले में फिसड्डी साबित हो रहा है। इस योजना के तहत लुधियाना को अब तक 196 करोड़ रुपए का फंड जारी हुआ है लेकिन लुधियाना ने इसमें से महज 12.45 करोड़ रुपए ही खर्च किए हैं। यह कुल जारी किए गए फंड का 6.40 फीसदी बनता है।
लुधियाना हौजरी का एक बड़ा केंद्र है और इसके मुकाबले देश के दूसरे बड़े केंद्र सूरत ने केंद्र सरकार द्वारा इस योजना के तहत जारी किए गए 291 करोड़ रुपए के फंड में से 290.75 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं और सूरत का फंड खर्च करने के मामले में पहला नम्बर है और इस शहर ने खुद को स्मार्ट बनाने के लिए 99.90 फीसदी फंड खर्च कर दिया है। ऐसा नहीं है कि स्मार्ट सिटी का फंड खर्च न करने की सूची में अकेला फिसड्डी शहर है। इस सूची में पहला नम्बर गुवाहाटी का है जिसने महज 1.72 फीसदी फंड ही खर्च किया है।
इस योजना में शामिल किए गए पहले 20 शहरों में से 10 शहर ऐसे हैं, जो केंद्र द्वारा जारी किए गए फंड का 50 फीसदी हिस्सा भी खर्च नहीं कर पाए हैं। इनमें कोच्चि, बिलागवी, देवनागरी, सोलापुर, उदयपुर, दिल्ली, जयपुर और पुणे शामिल हैं। शहरी विकास मंत्रालय द्वारा यह योजना जनवरी 2016 को शुरू की गई थी और इसमें शुरूआती दौर में 20 शहर शामिल किए गए थे। हालांकि मंत्रालय को लगता है कि शहरों को स्मार्ट बनाने की प्रक्रिया धीमी नहीं है।
पंजाब ने नहीं दी 50 फीसदी मैचिंग ग्रांट
स्मार्ट सिटी के डायरैक्टर कुणाल कुमार का कहना है कि यह कंसैप्ट नया है और अधिकतर शहरों को वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए स्पैशल पर्पज व्हीकल (एस.पी.वी.) बनाने में ही 12 से 18 महीने का समय लग गया। इसके अलावा इस प्रक्रिया में कंसल्टैंट और माहिरों की मदद ली जानी थी। इनके जरिए ही विकास की परियोजनाओं के डिटेल प्रोजैक्ट रिपोर्ट बनाए जाने थे। हालांकि कुछ शहरों ने इस मामले में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इस मामले में सूरत पिछले 2 साल से लगातार टॉप पर चल रहा है। अलग-अलग शहरों के नगर निगम इस योजना पर अलग-अलग तरीके से काम कर रहे हैं और इस काम में उनका निजी अनुभव भी काम आ रहा है।
शहर | फंड जारी (करोड़ में) | फंड इस्तेमाल (करोड़ में) | इस्तेमाल का प्रतिशत |
गुवाहाटी | 196 | 3.38 | 1.72 |
कोच्चि | 196 | 4.58 | 2.30 |
लुधियाना | 196 | 12.45 | 6.40 |
बिलागवी | 196 | 14.72 | 7.50 |
देवनागरी | 196 | 21.9 | 11.20 |
सोलापुर | 196 | 27.81 | 196 |
उदयपुर | 196 | 28.86 | 14.70 |
नई दिल्ली | 196 | 50.36 | 25.70 |
जयपुर | 196 | 63.25 | 32.30 |
पुणे | 196 | 83.21 | 42.50 |
जबलपुर | 196 | 109.61 | 55.90 |
भोपाल | 289 | 196.00 | 67.80 |
चेन्नई | 196 | 142.63 | 72.809 |
विशाखापट्टनम | 291 | 221.73 | 76.23 |
कोयंबटूर | 196 | 150.27 | 76.70 |
भुवनेश्वर | 196 | 162.46 | 82.90 |
अहमदाबाद | 196 | 187.92 | 95.80 |
इंदौर | 196 | 190.02 | 37.20 |
काकीनडा | 196 | 194.63 | 99.30 |
सूरत | 291 | 290.75 | 99.90 |
दाहरण के तौर पर सूरत की नगर निगम का अपना बजट ही 5 से 6 हजार करोड़ रुपए का है। लिहाजा सूरत को इस मामले में काम करने का बेहतरीन अनुभव है। जिसके आधार पर सूरत इस दिशा में शीर्ष पर जा रहा है। यदि हम बात पंजाब की करे तो लुधियाना देश के अन्य शहरों के मुकाबले छोटा शहर है और इस शहर के पास बहुत ज्यादा माहिर लोग नहीं है। इस तथ्य के अलावा पंजाब सरकार ने इस योजना के तहत दी जाने वाली 50 फीसदी मैङ्क्षचग ग्रांट नहीं दी है और लुधियाना नगर निगम वित्तीय संसाधनों को जुटाने में सफल नहीं हो पाया है। लिहाजा लुधियाना इस मामले में पिछड़ा गया है। इसके बावजूद इस सूची में शामिल किए गए शहर योजना को गंभीरता के साथ लागू करने में जुटे हैं।