तस्करों की पनाहगाह बने बॉर्डर फैंसिंग के पार सरकंडे

punjabkesari.in Friday, Jun 22, 2018 - 07:34 AM (IST)

अमृतसर (नीरज): अजनाला स्थित भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से सटी सबसे संवेदनशील बी.ओ.पीज में से एक कक्कड़ बी.ओ.पी. में बी.एस.एफ. व सी.आई (काऊंटर इंटैलीजैंस) की तरफ से बॉर्डर फैंसिंग के 300 मीटर आगे व पाकिस्तान बॉर्डर से 50 मीटर पीछे सरकंडों में दबाई गई हैरोइन की खेप पकड़े जाने का मामला सामने आने के बाद जहां बी.एस.एफ. व काऊंटर इंटैलीजैंस की टीम उन किसानों की तलाश में जुट गई है जो बॉर्डर फैंसिंग के पार खेती करने के लिए जाते हैं तो वहीं एक बार फिर से यह साबित हो गया है कि फैंसिंग के पार दीवार बनकर खड़े सरकंडे तस्करों की पनाहगाह बने हुए हैं।
इस मामले में यह भी सामने आया है कि सरकंडों के नीचे दबाई गई हैरोइन की खेप व बॉर्डर फैंसिंग के पार शुरू की जाने वाली धान की खेती आपस में इंटरङ्क्षलक्ड है क्योंकि पंजाब सरकार के निर्देशानुसार 20 जून को ही धान की बीजाई का काम शुरू होता है और 20 जून को ही बी.एस.एफ. व सी.आई. की टीम फैंसिंग के पार जाकर सरकंडों में दबाई गई हैरोइन की खेप को पकड़ लेती है। इतना ही नहीं इन सरकंडों के पास बहता सक्की नाला भी सुरक्षा एजैंसियों के लिए सिरदर्द बना हुआ है क्योंकि इसी नाले से कई बार बड़ी-बड़ी खेपें पकड़ी जा चुकी हैं और आतंकी घुसपैठ की भी संभावना बनी रहती है।

पंजाब सरकार की तरफ से भले ही नशे के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया जा रहा है लेकिन आज भी बॉर्डर के आसपास फैंसिंग के पार खेती करने वाले कुछ किसान रूपी तस्कर देशद्रोह करने से बाज नहीं आ रहे हैं। यह माना जा रहा है के सरकंडों के नीचे दबाई गई हैरोइन की खेप को फैंसिंग के पार खेती करने जाने वाले किसी न किसी किसान या उसके कारिन्दे ने ही रिसीव करना था।

10 फुट ऊंचे सरकंडों की कटाई करना आसान नहीं
भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर फैंसिंग के पार धान व गेहूं की खड़ी फसल के साथ-साथ फैंसिंग के आसपास बहने वाले नाले व ऊंचे लंबे सरकंडों काटना भी आसान नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर होने के चलते बी.एस.एफ. की भी मजबूरी है कि इन 10 फुट ऊंचे सरकंडों की कटाई भी नहीं की जा सकती है। ऊपर से नाले के पानी को कंट्रोल करना तो बिल्कुल ही नामुमकिन है। यदि इन सरकंडों को काटा भी जाता है तो दोबारा से बारिश के सीजन में उग जाते हैं। इसके अलावा कुछ सुरक्षा कारणों के चलते भी इनकी कटाई नहीं की जा सकती है लेकिन इसका फायदा तस्करों को मिल रहा है। 

डैपो वालंटियर्स सीमावर्ती इलाकों में फेल
नशे की तस्करी, नशे का प्रयोग व इसकी बिक्री रोकने के लिए पंजाब सरकार की तरफ से बनाई गई डैपो वालंटियर्स की फौज सीमावर्ती इलाके में सरगर्म तस्करों को ट्रेस करने व इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने में फेल नजर आ रही है। पाकिस्तानी तस्कर तो फैंसिंग के पास हैरोइन दबाकर चले जाते हैं लेकिन इसको निकालने का काम फैंसिंग के पार खेती करने वाले कुछ किसान रूपी तस्कर ही करते हैं जिनको जागरूक किया जाना बहुत जरूरी है।

 अजनाला सैक्टर में ही मारे गए थे 3 घुसपैठिए
पठानकोट व दीनानगर में आतंकवादी हमलों के बाद जहां पंजाब बॉर्डर पर हैरोइन स्मगङ्क्षलग के साथ-साथ तीसरी बार आतंकी घुसपैठ का भय बना हुआ है, वहीं 2 बार हमला करने के बाद अब पाकिस्तानी आतंकवादी तीसरी बार हमला करने की फिराक में हैं जिसकी सूचना केन्द्रीय गृह मंत्रालय को है। इस संभावना को देखते हुए पूरे पंजाब बॉर्डर में कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं और बी.एस.एफ. भी कड़ी चौकसी बरत रही है। पिछले वर्ष इसी अजनाला सैक्टर में 3 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराए जाने व 3 घुसपैठियों की गिरफ्तारी होने के बाद सुरक्षा एजैंसियों का फोकस अजनाला सैक्टर की तरफ भी है। 

जेल से भी नैटवर्क चला रहे तस्कर
हैरोइन तस्करी के मामले में यह भी सामने आ चुका है कि तस्कर जेलों में बंद होने के बावजूद जेल से ही अपना नैटवर्क चलाने में कामयाब हो रहे हैं। जेलों के अंदर से बार-बार मोबाइल मिलने की घटनाएं साबित कर रही हैं कि पुराने तस्कर सजा काटने के साथ-साथ अपना काम भी कर रहे हैं और जेलों में जैमर न होने का फायदा उठा रहे हैं। इतना ही नहीं सारी बात कोड-वर्ड में की जाती है।

सैदपुर के तस्कर बिल्ला पर नहीं कसा जाता शिकंजा
हैरोइन व हथियारों की खेप के साथ तस्कर सोनू व रांझा को रंगे हाथों गिरफ्तार करने के मामलेमें खुलासा किया था कि वह सैदपुर के तस्कर बिल्ला के लिए काम करते थे और बिल्ला उनको प्रति पैकेट के हिसाब से 20 हजार रुपए देता था। इतना ही नहीं तस्करों ने बताया था कि बिल्ला के पास उनके जैसे कुरियरों की एक बड़ी टीम है जो भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे अलग-अलग इलाकों से हैरोइन व हथियारों की खेप निकालने का काम करती है लेकिन सुरक्षा एजैंसियां अभी भी बिल्ले को गिरफ्तार करने में कामयाब नहीं हो सकी हैं।

पाकिस्तान रेंजर्स सरेआम करते हैं तस्करों की मदद
हैरोइन, हथियारों की तस्करी से लेकर आतंकी घुसपैठ तक के मामलों में यह साबित हो चुका है कि पाकिस्तान रेंजर्स व जम्मू-कश्मीर जैसे इलाकों में पाकिस्तानी सेना तस्करों व आतंकवादियों की मदद कर रही है। बी.एस.एफ. की तरफ से जब तस्करों को मार गिराया जाता है तो रेंजर्स उनकी लाश लेने से इंकार कर देते हैं। इतना ही नहीं गोलीबारी के दौरान तस्करों को रेंजर्स की तरफ से कवरिंग फायर भी दिया जाता है।

Anjna