आतंकवाद को बढ़ावा देने में social media की अहम भूमिका

punjabkesari.in Thursday, Feb 28, 2019 - 10:52 AM (IST)

अमृतसर (कक्कड़): जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने हेतु सोशल मीडिया की अहम भूमिका सामने आ रही है। यह पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों और पाकिस्तानी एजैंसी इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आई.एस.पी.आर.) की सोची-समझी साजिश का लक्ष्य है। इसी एजैंसी द्वारा कश्मीर के युवकों को पत्थरबाजी की वीडियो वायरल कर उनको आजाद कश्मीर बनाने संबंधी भड़काया गया था।

सीमा पार से फर्जी खबरों के सहारे कश्मीरियों को भड़काने का क्रम जारी
सोशल मीडिया के माध्यम से भारत के जम्मू-कश्मीर में जहर घोलने संबंधी भी पुलवामा और शोपियां जिले के युवकों को ज्यादा प्रभावित किया गया है। पता चला है कि उक्त जिलों में बागवानी और शिक्षा के क्षेत्र में समृद्ध लोगों की आमदन काफी अच्छी है जिसके चलते उनके बच्चों के पास मोबाइल होना कोई बड़ी बात नहीं लेकिन सोशल मीडिया के जरिए सरहद पार से मिलते गलत संदेश उन्हें बगावत के रास्ते की ओर ले जा रहे हैं।


सीमापार से ही शुरू होता है संचालन
यह भी पता चला है कि पुलवामा हमले के बाद सोशल मीडिया जरिए घाटी और सीमापार से फर्जी खबरों के सहारे कश्मीरियों को भड़काने का क्रम जारी है। किसी भी स्थान पर आतंकी गतिविधियों को फैलाने और बढ़ाने में वहां के स्थानीय लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और यही काम आतंकी समूह कर रहे हैं। इसके लिए उनकी सहायता सोशल मीडिया कर रहा है, नए-नए व्हाट्सएप समूहों का संचालन सीमापार से ही शुरू होता है और वीडियो-ऑडियो के अलावा भारत के खिलाफ जहर भरे संदेशों का प्रचार होता है।


फेसबुक खोलते ही मिलती है भड़काऊ सामग्री
पाकिस्तान में सक्रिय विभिन्न आतंकी संगठनों द्वारा सोशल मीडिया पर जहर की ऐसी फसल तैयार की जा रही है जिसमें एक कश्मीरी युवक को उसके सोशल मीडिया खातेमें हर दिन करीब 20 से 30 मरे या जिंदा आतंकियों को तस्वीरें देखने को मिलती हैं साथ ही कश्मीर की आजादी हेतु तैयार की गई विपरीत सामग्री देखने को मिलती है। कश्मीरी युवक जैसे ही अपना फेसबुक या व्हाट्सएप खोलता है तो उसे ऐसी भड़काऊ सामग्री मिलती है जिससे उक्त युवाओं के मन में बदला लेने की भावना पैदा होती है। सीमा पार से फर्जी खबरों के सहारे कश्मीरियों को भड़काने का क्रम जारी ठ्ठ सीमापार से ही शुरू होता है संचालन

Anjna