बहरों को आवाज सुनाने के लिए भगत सिंह ने किए थे धमाके

punjabkesari.in Friday, Mar 23, 2018 - 02:01 PM (IST)

जालंधरःलाला लाजपय राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु ने  अंग्रेजों को ललकारा। वर्ष 1928,इंडिया में अंग्रेजी हुकूमत। 30 अक्टूबर को साइमन कमीशन लाहौर पहुंचा। लाला लाजपत राय की अगुवाई में इंडियंस ने विरोध प्रदर्शन किया। क्रूर सुप्रीटेंडेंट जेम्स ए स्कॉट ने लाठीचार्ज का आदेश दिया। लोगों पर खूब लाठियां चलाई गईं। लाला लाजपत राय बुरी तरह घायल हो गए। 18 दिन बाद लाला लाजपत राय ने दुनिया में अपनी आखिरी सांस ली। लाला लाजपय राय की मौत से क्रांतिकारियों में गुस्सा भर गया। 17 दिसंबर 1928 दिन तय हुआ स्कॉट की हत्या के लिए लेकिन निशानदेही में थोड़ी सी चूक हो गई स्कॉट की जगह असिस्टेंट सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस जॉन पी सांडर्स क्रांतिकारियों का निशाना बन गए।

 

सांडर्स जब लाहौर के पुलिस हेडक्वार्टर से निकल रहे थे, तभी भगत सिंह और राजगुरु ने उन पर गोली चला दी। भगत सिंह पर कई किताब लिखने वाले जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर चमन लाल ने बताया, ‘सांडर्स पर सबसे पहले गोली राजगुरु ने चलाई थी, उसके बाद भगत सिंह ने सांडर्स पर गोली चलाई।’सांडर्स की हत्या के बाद दोनों लाहौर से निकल लिए। अंग्रेजी हुकूमत सांडर्स की सरेआम हत्या से बौखला गई। भगत सिंह भगवती चरण वोहरा की वाइफ दुर्गावती देवी के साथ कपल की तरह और राजगुरु नौकर की वेशभूषा में लाहौर से निकल गए।

 

बहरों को आवाज सुनाने के लिए धमाके
अंग्रेज सरकार दो नए बिल ला रही थी। पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड डिस्प्यूट्स बिल। कहा जाता है कि ये दो कानून इंडियंस के लिए बेहद खतरनाक थे। सरकार इन्हें पास करने का फैसला ले चुकी थी। बिल के आने से क्रांतिकारियों के दमन की तैयारी थी। ये अप्रैल 1929 का वक्त था। तय हुआ कि असेंबली में बम फैंका जाएगा। किसी की जान लेने के लिए नहीं, बस सरकार और लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए। बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह इस काम के लिए चुने गए। 8 अप्रैल 1929 को जब दिल्ली की असेंबली में बिल पर बहस चल रही थी, तभी असेंबली के उस हिस्से में, जहां कोई नहीं बैठा हुआ था, वहां दोनों ने बम फैंककर इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।

 

क्यों हुई भगत सिंह की गिरफ्तारी?
कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि भगत सिंह को फांसी असेंबली पर बम फैंकने की वजह से हुई। पर ऐसा नहीं है। असेंबली में बम फैंकने के बाद बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह के पकड़े जाने के बाद क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी का दौर शुरू हुआ। राजगुरु को पुणे से अरेस्ट किया गया। सुखदेव भी अप्रैल महीने में ही लाहौर से गिरफ्तार कर लिए गए। भगत सिंह को पूरी तरह फंसाने के लिए अंग्रजी सरकार ने पुराने केस खंगालने शुरू कर दिए।

 

60 हजार रुपए में भगत सिंह की जमानत
अक्टूबर 1926 में दशहरे के मौके पर लाहौर में बम फटा। बम कांड में भगत सिंह को 26 मई 1927 को पहली बार गिरफ्तार किया गया। कुछ हफ्ते भगत सिंह को जेल में रखा गया। केस चला। बाद में सबूत न मिलने पर भगत सिंह को उस दौर में 60 हजार रुपए की जमानत पर रिहा किया गया।  

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