सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने से 3 राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ीं

punjabkesari.in Wednesday, Aug 14, 2019 - 12:42 PM (IST)

जालंधर(चोपड़ा): सोनिया गांधी के कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद देश भर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी व्याप्त है। इससे आगामी 6 माह में हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ गई हैं। हालांकि इन तीनों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं, परंतु पार्टी नेताओं में नई आशा बंधी है कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए विरोधी पार्टी को कठोर टक्कर देगी।  वर्णनीय है कि 2 नवम्बर को हरियाणा, 11 नवम्बर को महाराष्ट्र और 5 जनवरी को झारखंड विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है। 

कांग्रेसी नेताओं को पार्टी के फिर से बुलंदियों पर पहुंचने के आसार

कांग्रेस नेताओं का मानना है कि जिस प्रकार 21 वर्ष पहले भी सोनिया गांधी ने हाशिए पर जा रही कांग्रेस के अध्यक्ष की कमान संभाल कर पार्टी को बुलंदियों तक पहुंचाया था, ठीक उसी प्रकार वह एक बार फिर से वह चमत्कारी नेता साबित होगी। परंतु तब के हालात व आज की मौजूदा स्थिति में बहुत अंतर है। उस समय कांग्रेस के पास लोकसभा में 141 सांसद होने के कारण पार्टी की स्थिति खासी मजबूत थी, परंतु आज पार्टी लगातार 2 लोकसभा चुनावों को हार चुकी है। संसद में कांग्रेस की संख्या केवल 52 सांसदों तक सिमट चुकी है।1998 में जब सोनिया गांधी पार्टी की अध्यक्ष बनी थी, तब देश भर में सिर्फ 3 राज्यों में कांग्रेस की सरकारें थीं। इस वक्त 5 प्रदेशों में कांग्रेस शासन कर रही है, इसके बावजूद कार्यकत्र्ताओं में खासी मायूसी छाई हुई है। वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी ने पार्टी को देश में शिखर तक पहुंचा दिया है। भाजपा पहले के मुकाबले बहुत मजबूत है।  

पार्टी में गुटबाजी सबसे बड़ी चिंता

ऐसे में सोनिया गांधी के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होगी कि उन्हें भाजपा और केंद्र सरकार की लोकप्रियता के आगे कांग्रेस को सशक्त और विजयी पार्टी के तौर पर उभारना होगा।इसके अलावा पार्टी में गुटबाजी बेहद चिंताजनक स्थिति में है। केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 व 35ए को खत्म करने के फैसले से ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में मतभेद जगजाहिर हो चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान पार्टी कई गुटों में बंट चुकी है। कांग्रेस के युवा वर्ग और बुजुर्ग नेताओं के बीच मतभेद बढ़े हैं। सोनिया गांधी के लिए इन युवाओं व बुजुर्गों के बीच में सामंजस्य बैठाना आसान नहीं होगा। अंतरिम अध्यक्ष को जमीनी स्तर पर ऐसे कार्यकर्ता तैयार करने होंगे, जो भाजपा का डट कर मुकाबला कर सकें। 

सोनिया गांधी के लिए सबसे बड़ी चुनौतियां

  •  उन्हें ब्लाक स्तर से लेकर ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी तक नया संगठन तैयार करना होगा, जो देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति का मुकाबला कर सके।  
  • सोनिया गांधी को पार्टी के अंदर पनपी गुटबाजी, टूट और बिखराव को रोकना होगा।  
  • राष्ट्रीय मुद्दों पर तेजी से पार्टी का रूख तय करना होगा, ताकि पार्टी में अनुछेद 370 को लेकर पैदा हुए वैचारिक मतभेदों की स्थिति की पुनरावृत्ति न हो। हरियाणा, महाराष्ट्र व झारखंड़ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को जीत की दहलीज तक पहुंचाना होगा।

राहुल गांधी के इंकार के बाद उत्तर प्रदेश के नेताओं ने सोनिया के नाम का सुझाव दिया था 
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में उत्तर प्रदेश के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने नए अध्यक्ष के लिए राहुल गांधी के बाद सोनिया गांधी के नाम का सुझाव दिया था। इन नेताओं की राय लेने वाले समूह में शामिल पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने जब अंतरिम अध्यक्ष पद के लिए सोनिया गांधी से आग्रह किया तो वह इससे इंकार नहीं कर सकीं। दूसरे दौर की बैठक के दौरान सभी सदस्यों ने राहुल गांधी से अपने इस्तीफे के फैसले पर पुनॢवचार करने का आग्रह किया, परंतु प्रियंका गांधी वाड्रा ने स्पष्ट किया किराहुल गांधी अपना इस्तीफा वापिस लेने को तैयार नहीं है। इसके बाद चिदंबरम ने सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष बनने का सुझाव दिया था। 

जल्द चुनाव कराने का भरोसा लेने के बाद अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेवारी की पेशकश स्वीकार की
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सोनिया गांधी ने अध्यक्ष पद की जिम्मेवारी संभालने से साफ इंकार कर दिया था जिसके बाद कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों ने सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी से आग्रह किया था कि वे नए अध्यक्ष का नाम तय कर दें। पर गांधी परिवार ने नाम का प्रस्ताव देने से इंकार कर दिया। इसके बाद सी.डब्ल्यू.सी. ने एक सुर में सोनिया को अध्यक्ष बनने का आग्रह किया। कई नेताओं का कहना था कि सोनिया ही ऐसी नेता हैं जोकि कांग्रेस के बिखराव को रोकते हुए मौजूदा हालात में कांग्रेस को संभाल सकती हैं, परंतु सोनिया ने अध्यक्ष पद के लिए जल्द चुनाव कराने का भरोसा लेने के बाद अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेवारी संभालने की पेशकश को स्वीकार किया। 

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