गॉल ब्लैडर में स्टोन है तो सावधान, PGI की रिसर्च में हुआ हैरान कर देने वाला खुलासा
punjabkesari.in Monday, May 27, 2024 - 12:09 PM (IST)
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चंडीगढ़ : पित्त की थैली (गॉल ब्लैडर) में स्टोन ज्यादा लंबे समय तक बना रहे तो यह इंफेक्शन और बेक्टीरिया की बड़ी वजह बन सकता है। ऐसे में सर्जरी जल्द से जल्द जरूरी हो जाती है, लेकिन अगर मरीज को दर्द न हो तो मरीज को सालों साल पता नहीं चलता कि उसे स्टोन भी है। पी.जी.आई. गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की एक रिसर्च में पता चला है कि स्टोन ज्यादा देर तक रह जाए तो अलग-अलग किस्म के बैक्टीरिया की एक बड़ी वजह बनता ही है साथ ही कार्सिनोमा (कैंसर) की सूजन का कारण बनता है।
गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग से डॉ. डिंपल की यह रिसर्च है, जिसमें उनकी को ऑथर विभाग की हैड डॉ. उषा दत्ता रही। गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, माइक्रो बॉयोलॉजी, सर्जरी विभाग ने मिलकर यह रिसर्च की है। रिसर्च में 94 सैंपल्स साइज (मरीजों) लिया गया था, जिसमें 81 प्रतिशत महिलाएं थी। रिसर्च में सामने 69 केस में देखा गया है कि स्टोन की वजह से होने वाला बैक्टीरिया स्टोन में न मिलकर पित्त की थैली की अंदरूनी सतह पर पाया गया, जबकि 38 केस में स्टोन में वह बेक्टीरिया पाया गया। यह कोई इकलौता बेक्टीरिया नहीं था बल्कि कई तरह के बेक्टीरिया था। अभी तक कहा जाता है कि स्टोन में ही ज्यादातर बेक्टीरिया होता है।
ज्यादातर मामलों में लक्षण नहीं थे
रिसर्च में शामिल में किए गए ज्यादातर मरीजों को लक्षण नहीं थे। ऐसे में उन्हें पता ही नहीं था कि उन्हें स्टोन है लेकिन जब सर्जरी तक उनका टेस्ट किया गया तो बेक्टीरिया पाया गया। डॉक्टरों का कहना है कि यही सबसे बड़ी परेशानी इस बीमारी में हैं। मरीजों को काफी वक्त तक बीमारी का पता ही नहीं चलता क्योंकि उन्हें परेशानी नहीं आती। अगर कभी दर्द भी तो एमरजेंसी में इलाज या दूसरा इलाज दिया जाता है। सबसे खतरनाक बात यह है कि यही बेक्टीरिया कार्सिनोमा का बड़ा करना बनता है।
वही ज्यादा देर स्टोन शरीर में पड़े रहने से स्टोन बाइल डक्ट में जाने का खतरा रहता है। अगर स्टोन बाइल डक्ट में चला जाए तो मरीज को पीलिया होने का खतरा समेत कई दूसरी दिक्क्त होने का खतरा हो जाता है। ऐसे में अगर किसी मरीज को पित्त की थैली का पता चलता है तो उसे ज्यादा देर नहीं रखना चाहिए। जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से सलाह कर उसे निकलवा देना चाहिए।
यह होता है कार्सिनोमा
कार्सिनोमा सभी कैंसर की तरह तब शुरू होता है जब शरीर में एक आनुवंशिक उत्परिवर्तन (परिवर्तन) एक सामान्य, स्वस्थ कोशिका को कैंसर कोशिका में बदल देता है। वह कै सर कोशिका बढ़ती रहती है और अधिक कैंसर कोशिकाएं बनाती रहती है। इलाज न किए जाने पर कैंसर कोशिकाएं आसपास के स्वस्थ ऊतकों पर आक्रमण कर सकती है।
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