गन्ने के सीजन 2018-19 ने बढ़ाई किसानों की चिन्ता

punjabkesari.in Thursday, Sep 13, 2018 - 08:53 AM (IST)

होशियारपुर(घुम्मण): गन्ने के सीजन 2018-19 के शुरू होने से पहले ही किसानों की चिन्ता बहुत बढ़ गई है क्योंकि बम्पर फसल होने के अनुमान व प्राइवेट मिलों की तरफ से गन्ने के बाऊंड को लेकर की जा रही ढील सरकार के गले की हड्डी बन सकती है। 

पंजाब में शूगर मिलों के पास सरप्लस गन्ना है। बुड्ढी शूगर मिल के नाम के साथ जानी जाती भोगपुर शूगर मिल अधीन आते एरिया को पूरे पंजाब में गन्ने का गढ़ माना जाता है। यहां का गन्ना पंजाब की दूसरी मिलों दसूहा, मुकेरियां, फगवाड़ा, बुट्टरां, कीड़ी अफगाना, अमलोह, धूरी सहित अन्य मिलों को भी जाता है। इस मिल की पेराई करने की समर्था 11,000 टी.सी.डी. है जबकि इस बार 50 लाख क्विंटल गन्ना इस मिल के पास सरप्लस है। गत सालों दौरान केन कमिश्नर पंजाब की तरफ से इस गन्ने को दूसरी मिलों को अलॉट कर दिया जाता था, जिससे किसानों की मुश्किल हल हो जाती थी। दूसरी तरफ होशियारपुर जिले की ए.बी. शूगर मिल दसूहा, जो इस मिल से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है, होने के कारण किसानों की तरफ से अपना गन्ना यहां बाऊंड करवाया जाता था, परंतु इस बार इस शूगर मिल की ओर से भी आऊटर एरिया के किसानों का गन्ना बाऊंड करने से आनाकानी करने कारण किसानों में हाहाकार मची हुई है।

किसान विधायकों के पास रोने लगे अपना दुखड़ा
शूगर मिलों को जो भी एरिया केन कमिश्नर पंजाब की तरफ से अलॉट किया जाता है, वह विधानसभा हलकों के मुताबिक नहीं होता। किसानों की तरफ से अपनी परेशानी विधायकों के आगे रखना आज एक नई करवट ले रहा है। लोकसभा चुनाव सिर पर देख विधायक भी अपने क्षेत्र के किसानों का दामन पकडऩे के लिए उतावले हैं। वे प्राइवेट मिलों पर अपना दबाव बना रहे हैं कि उनके क्षेत्रों के जो गांव दसूहा शूगर मिल अधीन नहीं आते, उनका सरप्लस गन्ना भी उठाया जाए, जिसके लिए केन कमिश्नर पंजाब पर भी दबाव बनाया जा रहा है।

अगर ए.बी. शूगर मिल सिर्फ क्षेत्र उड़मुड़ के अपने एरिया के अलावा बाहरी 21 गांवों का गन्ना उठाती है तो यह शामचौरासी क्षेत्र के किसानों के साथ बेइंसाफी होगी। किसानों में इस बात की चर्चा भी जोरों पर है कि पिछले सालों की तरह ए.बी. शूगर मिल दसूहा शामचौरासी क्षेत्र के गांवों का गन्ना भी उठाए व जिला होशियारपुर के किसानों के गन्ने को भी पहल दी जाए न कि गुरदासपुर व बाहरी जिलों का गन्ना उठाया जाए। ऐसा करने से हालात बिगड़ सकते हैं और किसान संघर्ष का रास्ता अपना सकते हैं जोकि सरकार के लिए एक बड़ी सिरदर्द होगा।

चीनी के कम दाम बन रहे हैं अड़चन
प्राइवेट चीनी मिल मालिकों की तरफ से यह बात सामने आई है कि चीनी के रेट लागत से कम हैं जिस कारण वे घाटा कैसे सहन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी मिलों को अगर सरकार 70-75 रुपए सहायता देती है तो प्राइवेट मिलों की अनदेखी न की जाए। उल्लेखनीय है कि पिछले सालों दौरान अकाली-भाजपा सरकार ने किसानों को 50 रुपए प्रति क्विंटल शूगर मिलों को रिलीफ दिया था। 

किसानों का गन्ना सभी मिलों द्वारा उठाया जाएगा : केन कमिश्नर
जब सरप्लस गन्ने की अलॉटमैंट को लेकर केन कमिश्नर पंजाब के साथ बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि हमने सभी किसानों का ख्याल रखना है। जिस मिल के पास सरप्लस गन्ना होगा, उनसे लिखित तौर पर लिया जाएगा। वह गन्ना दूसरी मिलों को अलॉट कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह नीति पंजाब स्तर पर एक ही रहेगी। जब उनसे पूछा गया कि चीनी के रेट कम होने कारण प्राइवेट मिलों वाले गन्ना उठाने से इंकार कर सकते हैं कि उनके पास अपने इलाके का गन्ना पूरा है तो उन्होंने कहा कि वह शूगर मिलों से गन्ना उठवाएंगे। जब चीनी का दाम ज्यादा होता है तो उस समय चीनी मिलें इसका मुनाफा अपनी जेबों में ही रखती हैं इसलिए चीनी के रेट कम होने या बढऩे से कोई मतलब नहीं।

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