सुखबीर और मजीठिया का मैंटल अस्पताल में होना चाहिए इलाज : रंधावा

punjabkesari.in Monday, Sep 03, 2018 - 11:21 PM (IST)

अमृतसर(ममता): शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल एवं उनके साले द्वारा बार-बार बयान बदलने से यह स्पष्ट हो गया है कि जीजा-साले का दिमागी संतुलन बिगड़ चुका है। ऐसे में उन्हें या तो अपना डोप या नार्को टैस्ट करवाना चाहिए या फिर अमृतसर के मैंटल अस्पताल से अपना इलाज करवाना चाहिए। ये विचार पंजाब के जेल एवं सहकारिता मंत्री सुखजिंद्र रंधावा ने प्रैस कॉन्फ्रैंस में व्यक्त किए। बहबल कलां और कोटकपूरा गोली कांड के बारे में प्रकाश सिंह बादल द्वारा अपने बयानों से पलटने पर रंधावा ने कहा कि अगर गोली चलाने का आदेश प्रकाश सिंह बादल ने नहीं दिया तो क्या फिर डी.जी.पी. ने दिया था। उन्होंने कहा कि इसका पता लगाने के लिए प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल, सुमेध सिंह सैनी को हिरासत में लेकर पूछताछ करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अकाली दल का अस्तित्व खत्म करने में मुख्य रूप से जीजे-साले का ही हाथ है।

रंधावा ने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब और इसके जत्थेदार का संचालन अपनी मर्जी से करने वाले बादल परिवार को सिख संगत का रोष एस.जी.पी.सी. चुनावों में स्वयं ही झेलना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह को अब नैतिक तौर पर अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा और शिरोमणि कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ द्वारा जत्थेदार संबंधी दिए गए बयानों पर रंधावा ने कहा कि इनका थोड़ा सा जमीर जागा है, अगर येपहले जागरूक होते तो शायद ऐसा कांड न होता।

उन्होंने मजीठिया को आई.एस.आई. का एजैंट करार देते हुए कहा कि दहेज में आया यह साला ही अकाली दल के पतन का कारण बना है। वह उन्हें नेता ही नहीं मानते। उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोप कि अकाली दल के खिलाफ रिपोर्ट उन्होंने बनाई है पर कहा कि अगर वह रिपोर्ट बनाते तो इनकी चीखें जरूर निकलवाते। उन्होंने कहा कि  मुख्यमंत्री द्वारा गठित सिट जल्द ही अपनी रिपोर्ट देकर सिख संगत के सामने बादलों का चेहरा बेनकाब करेगी। उन्होंने बादलों को चुनौती दी कि अगर वे सही हैं तो प्रैस कॉन्फ्रैंस करके तथ्यों सहित सारी बात सामने रखें।

‘आप’ विधायक एच.एस. फूलका द्वारा इस्तीफा देने की धमकी के बारे में रंधावा ने कहा कि वह ऐसी धमकियां कई बार दे चुके हैं। वह एक सूझवान नेता के साथ-साथ एडवोकेट भी हैं और कानून व इंसाफ की जरूरत से अच्छी तरह वाकिफ भी हैं। उन्हें ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति करने से बचना चाहिए।

Des raj