सुखबीर द्वारा बहन और जीजे की मांग पूरी ना करने पर पार्टी में पड़ सकती है एक और फूट

punjabkesari.in Thursday, Mar 18, 2021 - 05:54 PM (IST)

लुधियाना (हितेश): शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल द्वारा अपनी बहन परनीत कौर की डिमांड को नजरअंदाज करते हुए विक्रम मजीठिया की सिफारिश पर खेमकरन से विरसा सिंह वलटोहा को उम्मीदवार घोषित करने से अकाली दल में एक और फुट हो सकती है।

यहां बताना उचित होगा कि प्रकाश सिंह बादल के दामाद आदेश प्रताप सिंह कैरो के सुखबीर के अलावा हरसिमरत व मजीठिया के साथ रिश्ते ज्यादा मधुर न होने की बात किसी से छिपी नहीं है लेकिन बड़े बादल की दखलअंदाजी के चलते कैरो को 3 बार पंजाब सरकार में प्रमुख विभागों का मंत्री बनाया गया। हालांकि 2017 के चुनाव में पट्टी से हार के बाद पंजाब की सियासत में कैरो हाशिए पर चले गए थे लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पिछले कुछ समय से सक्रिय नजर आ रहे हैं, जिसके तहत उनके द्वारा खेमकरन में गतिविधियां बढ़ाकर अपने या पत्नी के लिए टिकट पर दावेदारी जताई गई है लेकिन उसे नजरअंदाज करते हुए सुखबीर ने पूर्व विधायक वलटोहा दुआरा रखी गई रैली में जाकर उसे उम्मीदवार घोषित कर दिया।

इस फैसले को मजीठिया की सिफारिश का नतीजा बताया जा रहा है जिसके बाद से माझा में अकाली दल की अंदरुनी राजनीति पूरी तरह गर्मा गई है। इससे अकाली दल में एक और फुट होने की संभावना बढ़ गई है क्योंकि कैरो व परनीत कोर ने वलटोहा की उम्मीदवारी को चुनौती देते हुए टिकट पर अपना दावा ठोक दिया है। अगर सुखबीर ने अपनी बहन व जीजा की मांग को पूरा नहीं किया तो उनके द्वारा पहले अकाली दल से बगावत करने वाले सुखदेव सिंह ढींडसा, रणजीत सिंह ब्रह्मपूरा, सेवा सिंह सेखवां के साथ जाने की चर्चा है। इसके अलावा कैरो के पास अपने दादा की पुरानी पार्टी कॉंग्रेस के साथ जाने का विकल्प भी है।

राजनीति को लेकर पहले भी बादल परिवार में पड चुकी है दरार
राजनीति को लेकर बादल परिवार में दरार पड़ने का यह पहला मामला नहीं है इससे पहले सुखबीर के साथ रिश्ते खराब होने की वजह से मनप्रीत बादल दुआरा अलग रास्ता चुना गया था जो बाद में हरसिमरत के खिलाफ बठिंडा से लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं।

 

Content Writer

Vatika