सुखबीर बादल ने टाली ‘गल्ल पंजाब दी’ मुहिम, 11 सितंबर से दोबारा होगा आगाज
punjabkesari.in Saturday, Sep 04, 2021 - 10:53 AM (IST)
चंडीगढ़ (अश्वनी): शिरोमणि अकाली दल की राज्य स्तरीय ‘गल्ल पंजाब दी’ मुहिम फिलहाल टाल दी गई है। शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल 11 सितम्बर को दोबारा इस मुहिम का आगाज अमलोह से करेंगे। इसी के साथ शिअद ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के लिए एक 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। वरिष्ठ नेता बलविंद्र सिंह भूंदड़, प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा और मनजिंद्र सिंह सिरसा वाली यह कमेटी किसान संगठनों के साथ किसी भी गलतफहमी को दूर करने का काम करेगी।
शुक्रवार को चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय में बैठक के दौरान अकाली दल के अध्यक्ष
सुखबीर बादल ने इसका ऐलान किया। सुखबीर ने पंजाब के लोगों को पंजाब विरोधी, किसान विरोधी और सिख विरोधी ताकतों द्वारा पंजाबियों के बीच शांति तथा साम्प्रदायिक सौहार्द, भाईचारक सांझ को खत्म तथा खून-खराबे का माहौल पैदा करने की साजिशों के प्रति आगाह किया। उन्होंने कहा कि ये ताकतें केंद्रीय एजैंसियों के इशारे पर काम कर रही हैं और इन्हें कांग्रेस तथा ‘आप’ का भरपूर समर्थन हासिल है।
कांग्रेस व आम आदमी पार्टी हताश
बादल ने कहा कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी शिरोमणि अकाली दल द्वारा शुरू की गई लोक लहर को लोगों द्वारा पूरा समर्थन मिलने के कारण हताश हैं। उन्होंने अकाली दल की जीत पढ़ ली है तथा अशांति और अस्थिरता पैदा करके लोगों के जनादेश को विफल करना चाहते हैं। यह सब राष्ट्रपति शासन लगाने तथा 80 और 90 के दशक के राज्य में दमन के युग को वापस लाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने इस बात का भी ब्यौरा दिया कि किस तरह कांग्रेस और ‘आप’ ने अकाली दल के कार्यों को रोकने के लिए टीमें बनाई हैं। यहां तक कि हाल ही में समराला, बाघापुराना और मोगा में शिरोमणि अकाली दल के कार्यक्रम को रोकने वालों की सूची भी जारी की। बादल ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से पंजाब की शांति खराब न करने की अपील करते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य तीनों काले कानूनों को रद्द करने की दिशा में काम करवाना है। दोनों दलों को कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जो इस उद्देश्य की राह में आड़े आए।
षड्यंत्रों के पीछे भाजपा
बादल ने कहा कि भाजपा इन सभी षड्यंत्रों के पीछे है, क्योंकि वह भी 1992 के परिदृश्य को दोहराना चाहती है और फर्जी जनादेश के जरिए सत्ता में आना चाहती है। उन्होंने कहा कि हम जान कुर्बान कर देंगे, लेकिन उन काले दिनों को हरगिज वापस नहीं होने देंगे, जिसमें राज्य में भाईचारक खून-खराबा व राज्य की दशकों की शांति भंग हो गई थी। मीटिंग में जत्थेदार तोता सिंह, प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा, महेश इंद्र सिंह ग्रेवाल, बिक्रम सिंह मजीठिया, गुलजार सिंह रणीके, डा. उपिंद्रजीत कौर, जनमेजा सिंह सेखों, डा. दलजीत सिंह चीमा, हीरा सिंह गाबडिय़ा, सुरजीत सिंह रखड़ा, बलदेव सिंह मान और शरनजीत सिंह ढिल्लों मौजूद थे।
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