5 जून को होने वाली बैठक से पहले दरियाई पानी को लेकर सुखबीर बादल का अहम बयान
punjabkesari.in Friday, Jun 02, 2023 - 07:02 PM (IST)

चंडीगढ़ (ब्यूरो): शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने आज कहा कि हरियाणा का, हिमाचल प्रदेश से आने वाली रावी-ब्यास नदियों के पानी पर कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह एक गैर राइपेरियन राज्य है। हिमाचल प्रदेश किसी भी गैर राइपेरियन राज्य को दरियाई पानी देने की बात तब तक न करे जब तक जिन राज्यों से यह दरिया गुजरते हैं, वे अपनी सहमति नहीं देते। हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के द्वारा हिमाचल प्रदेश से हरियाणा को सीधे नहर के माध्यम से पानी देने का समझौता 5 जून को परवान चढ़ने के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रिया देते हुए शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष ने कहा कि पंजाब से इसका दरियाई पानी छीनने के लिए एक और साज़िश रची जा रही है और हम इसे किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे।
बता दें कि 5 जून को 4 राज्यों के मुख्यमंत्री पानी के मुद्दे पर दिल्ली में केंद्र के साथ अहम बैठक करेंगे। इस बैठक में केसाऊ बांध का निर्माण, दादूपुर से हमीदा हेड तक नवीन लिंक चैनल का निर्माण, सरस्वती नदी का पुनर्जीवन एवं विरासत विकास परियोजना, सतलुज-यमुना लिंक नहर (एस.वाई.एल.) के पानी को हिमाचल प्रदेश के माध्यम से लाने, बिजली पर सेस लगाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। बैठक में दिल्ली, राजस्थान, यूपी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी मौजूद रहेंगे। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय जल मंत्री गजेंद्र शेखावत करेंगे।
सुखबीर बादल ने पूरे मामले की जानकारी देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश और पंजाब दरियाई पानी के संयुक्त मालिक हैं क्योंकि ये नदियां हिमाचल प्रदेश से शुरू होती हैं और पंजाब से होकर गुजरती हैं। उन्होंने कहा कि जिस राज्य से ये नदियां निकलती हैं, वह उस निचले राज्य जहां से दरिया गुज़रता है, की सहमति के बिना यह पानी नहीं दे सकता। इन तथ्यों की रौशनी में शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री से अपील की कि वह हिमाचल से हरियाणा को नदी का पानी देने के लिए किसी भी तरह की चर्चा न करें। उन्होंने कहा कि हिमाचल पंजाब की सहमति के बिना किसी भी गैर राइपेरियन राज्य को पानी नहीं दे सकता है। सुखबीर बादल ने कहा कि पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के द्वारा एस.वाई.एल. नहर की जमीन उनके असल मालिक किसानों को वापिस देने के बाद यह मुद्दा खत्म हो गया था और अब इसे फिर से खोलने से पुराने घाव दोबारा उभर आएंगे। उन्होंने कहा कि इससे अंतर राजीव और अंतर जन संघर्ष को बढ़ावा मिलेगा, जो क्षेत्र में शांति के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
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