बादल परिवार घर बैठकर ले रहा पार्टी के अहम फैसले: सुखदेव ढींडसा

punjabkesari.in Thursday, Dec 12, 2019 - 09:45 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा ने एक बार फिर तल्ख तेवर दिखाते हुए बादल परिवार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में शिअद के भीतर तानाशाही चल रही है। एक परिवार घर बैठकर पार्टी के अहम फैसले ले रहा है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में हस्तक्षेप बढ़ गया है, जो मुनासिब नहीं है।

हालांकि ढींडसा ने एक बार फिर पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा को जाहिर करते हुए कहा कि ढींडसा परिवार अकाली है, अकाली रहेगा लेकिन उन सिद्धांतों पर कायम हैं, जिन पर अकाली दल की आधारशिला रखी गई थी। इसलिए विभिन्न पदों से इस्तीफा भी दिया था क्योंकि पार्टी कुछ सिद्धांतों की अनदेखी कर रही है। शिअद में सभी को बोलने की आजादी थी लेकिन अब बोलने वालों को बाहर निकाला जा रहा है। उनकी कोशिश यही है कि पार्टी में लोकतंत्र बहाल हो, पंथक मुद्दों की चर्चा को तव्वजो दी जाए। 14 दिसम्बर को शिअद की 99वीं वर्षगांठ पर इन सभी बातों को जोर-शोर से उठाया जाएगा। इस समागम में वह वरिष्ठ अकाली नेता भी शामिल हो रहे हैं, जिन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। समागम में इन सबकी बात भी सुनी जाएगी ताकि पार्टी को दोबारा पटरी पर लाया जा सके। परमिंद्र सिंह ढींडसा द्वारा पार्टी छोडऩे के सवाल पर कहा कि इसका वह ही जवाब दे सकते हैं।

मैं शिअद का वफादार सिपाही : परमिंद्र ढींडसा 
पार्टी छोडऩे की तमाम अटकलों में बीच बुधवार को परमिंद्र सिंह ढींडसा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि पार्टी से नाराजगी का कोई सवाल ही नहीं है। परमिंद्र ने कहा कि पार्टी ने बहुत सम्मान दिया है। 5 बार विधायक और 2 बार मंत्री बना। ऐसे में अकाली दल से विमुख होने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। मैं शिअद का वफादार सिपाही हूं।

बैंस बंधुओं का भी स्वागत
ढींडसा ने कहा कि हाल ही में बैंस बंधुओं से भी बातचीत हुई है। उन्होंने कहा कि उनका परिवार लंबे समय से अकाली दल के साथ जुड़ा रहा है। ऐसे में वह भी शिअद को मजबूत बनाने में पूरा सहयोग करेंगे। इसी कड़ी में मनजीत सिंह जी.के. ने भी बात की है। ढींडसा ने कहा कि जी.के. को भी पार्टी से लोकतांत्रिक ढंग से बाहर नहीं किया गया। जी.के. बारे घर बैठकर ही निर्णय ले लिया गया, जो सही नहीं है। पार्टी में किसी को निकालने से पहले कम से कम कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है। कमेटी बनाई जाती है, जो अध्यक्ष को रिपोर्ट करती है। किसी को भी सीधे पार्टी से बाहर निकाला तानाशाही ही है। 


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