सिद्धू के साथ टकराव के बाद बोले रंधावा-‘केहड़ा मैंनू गधा केह दित्ता, बाकी मैं खुद वेख लवांगा’

punjabkesari.in Wednesday, Oct 07, 2020 - 09:02 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी कुमार): मोगा किसान रैली में भरे मंच पर नवजोत सिंह सिद्धू और सहकारिता मंत्री सुखजिंद्र सिंह रंधावा के बीच हुई गर्मागर्मी अभी शांत नहीं हुई है। रंधावा ने यहां तक कह दिया है कि सिद्धू कभी निजी तौर पर उलझे तो अपने स्तर पर ही देख लेंगे। सभी को उनकी आदत का अच्छे से पता है। हालांकि सिद्धू की घोड़े वाली टिप्पणी पर रंधावा खुलकर नहीं बोले। उन्होंने महज इतना ही कहा कि सिद्धू ने मुझे कौन सा गधा कह दिया। 

चंडीगढ़ में बातचीत दौरान रंधावा ने सिद्धू के साथ टकराव पर बेहद नपे-तुले जवाब दिए। स्लिप देने पर सिद्धू ने बेहद तीखी प्रतिक्रिया में कहा था कि अ’ज न रोक, घोड़े नूं इशारा बहुत होंदा ए, बाकी किसी दे लत्तां मारीं, पर रंधावा ने कहा कि सिद्धू ने कौन सा मुझे गधा कह दिया। सिद्धू ने कहा था कि घोड़े को इशारा ही काफी है। जहां तक बात लातों वाली टिप्पणी की है तो पंजाब प्रभारी हरीश रावत को जवाब देना चाहिए, क्योंकि वह उनके कहने पर ही सिद्धू के पास गए थे। इससे ’यादा कुछ नहीं कहना, क्योंकि मुझे अपनी पार्टी देखनी है। वैसे भी जब स्टेज पर हाईकमान होती है तो उसके आदेश-निर्देश ही सर्वोपरि होते हैं। उस समय स्थानीय स्तर पर बातों की कोई अहमियत नहीं रह जाती है।यह पूछने पर कि सिद्धू के मामले में मुख्यमंत्री से कोई शिकायत की तो उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से क्या शिकायत करनी, जो कुछ हुआ सभी के सामने हुआ। मंच पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र के अलावा राहुल गांधी और पंजाब प्रभारी हरीश रावत तक मौजूद थे। रावत ने स्लिप दी थी, जिसे उन्होंने सिद्धू के सामने रखा था।

मोगा रैली में सिद्धू ने रंधावा को धकेला
मोगा रैली में सिद्धू जब बोलने के लिए उठे, तब से ही बॉडी लैंग्वेज काफी तीखी थी। मंच पर आते ही सबसे पहले साथ खड़े रंधावा को धकेलते हुए पीछे हटने को कहा। रंधावा नरमी दिखाते हुए पीछे हट गए लेकिन जब पंजाब प्रभारी रावत के कहने पर पर्ची रखी तो सिद्धू की प्रतिक्रिया पर बोलने से खुद को नहीं रोक पाए। रंधावा ने कहा कि पर्ची हरीश रावत के कहने पर दी है। सिद्धू ने तल्ख लहजे में कहा कि अज्ज न रोक, घोड़े नू इशारा बहुत होंदा ए, बाकी किसी दे लत्तां मारीं। तुसी पेहला वी बठाई रखेआ। सिद्धू के रवैये पर कांग्रेस के अमूमन बड़े नेताओं ने चुप्पी साध रखी है। हालांकि कुछ कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि चूंकि मामला हाईकमान स्तर पर घटित हुआ है तो फैसला उसे करना है। इसलिए कांग्रेस कुछ भी खुलकर कहने से परहेज कर रही है। उधर, मोगा रैली के बाद किसान रैलियों से सिद्धू की गैर-हाजिरी ने कुछ हद तक स्पष्ट कर दिया है कि मंच पर उनका रवैया भारी पडऩे वाला है। कांग्रेस नेताओं की मानें तो सिद्धू के रवैये को बड़ी अनुशासनहीनता के तौर पर लिया गया है। संभव है कि इस मामले में सिद्धू से स्पष्टीकरण भी मांगा जाएगा।

पहले भी होती रही है सिद्धू-रंधावा में तल्खी
यह पहला मौका नहीं है, जब सुखजिंद्र सिंह रंधावा और नवजोत सिंह सिद्धू आमने-सामने आए हैं। पहले भी बयानों में तल्खी झलकती रही है। बेअदबी मामले में कांग्रेस-अकाली के फिक्स मैच वाले बयान पर रंधावा ने यहां तक कह दिया था कि सिद्धू के बयान चुनाव में बादल परिवार की मदद करने वाले हैं। सिद्धू ने बेअदबी मामले में कभी विधानसभा के भीतर आवाज नहीं उठाई। सिद्धू से कांग्रेस में उनकी उम्र ज्यादा है। इसी कड़ी में सिद्धू के कैबिनेट बैठक से गैर-हाजिर रहकर अलग प्रैस कांफ्रैंस बुलाने पर भी रंधावा ने अनुशासन भंग करने वाला बताया था। रंधावा के अलावा सिद्धू की अन्य कैबिनेट मंत्रियों से भी तल्खी होती रही है। वर्ष 2018 में अमृतसर मेयर इलैक्शन दौरान सिद्धू मंत्री तृप्त राजिंद्र सिंह बाजवा से इतने नाराज हुए कि अपने घर की चौखट से बैरंग लौटा दिया था। तब कैप्टन अमरेंद्र ने बाजवा को ऑब्जर्वर के तौर पर तैनात किया था और मेयर पद की कुर्सी पर सिद्धू की मर्जी नहीं चल पाई थी।

 


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