सुखपाल फेक एन्काऊंटरः 25 साल बाद SIT करेगी जांच,जल्द स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश

punjabkesari.in Tuesday, Sep 10, 2019 - 08:41 AM (IST)

चंडीगढ़(हांडा): सुखपाल सिंह एन्काऊंटर मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा गठित एस.आई.टी. ही जांच करेगी। इसको लेकर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। दरअसल, हाईकोर्ट ने काला अफगान के सुखपाल सिंह एन्काऊंटर मामले में अप्रैल में ही एस.आई.टी. गठित कर दी थी। डी.जी.पी. सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय के नेतृत्व में बनी इस एस.आई.टी. में ए.डी.जी.पी. गुरप्रीत कौर देओ और आई.जी.पी. बी. चंद्रशेखर को भी शामिल किया गया। हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब इस फेक एन्काऊंटर मामले की 25 साल बाद जांच शुरू होगी।

इस मामले की जांच  डी.जी.पी. अधिकारियों के के बीच विवाद के कारण थम सी गई थी। अब हाईकोर्ट ने एस.आई.टी. को जल्द जांच पूरी कर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है और जस्टिस अरुण मोंगा के निर्देश के मुताबिक डी.जी.पी. सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता की बजाय सीधे गृह सचिव को रिपोर्ट करेंगे। इसके साथ ही पंजाब सरकार द्वारा गुरप्रीत देओ की इस मामले पर जांच न करने वाली अपील को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

गौरतलब है कि इस मामले में अप्रैल 2019 को कोर्ट ने जांच के लिए एस.आई.टी. बनाई थी, जिसमें डी.जी.पी. सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को जांच का जिम्मा सौंपा था, लेकिन डी.जी.पी. चट्टोपाध्याय ने हाईकोर्ट में एप्लीकेशन दाखिल करते हुए कहा था कि उन्हें एक्स काडर पोस्ट पर तैनात किया हुआ है, न उनके पास मैन पावर है, न दफ्तर, न इंफ्रास्ट्रक्चर। ऐसे में उन्हें ये सारी सुविधाएं दी जाएं या उन्हें इस मामले की जांच से अलग कर दिया जाए।

कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा था कि क्या डी.जी.पी. को ये सारी फैसिलिटीज दी जा सकती हैं या नहीं, जबकि पंजाब सरकार ने रिप्लाई फाइल करने की बजाय नई एस.आई.टी. के लिए नामों का सुझाव दे दिया था, जिसे कोर्ट ने एक्सैप्ट करने से इंकार कर दिया था और डी.जी.पी. चट्टोपाध्याय की एप्लीकेशन पर जवाब तलब किया था। फिलहाल, हाईकोर्ट ने डी.जी.पी. चट्टोपाध्याय के पक्ष में फैसला सुनाया है। गौरतलब है कि बरगाड़ी मामले में नामजद होने के कारण निलंबित आई.जी. परमराज उमरानंगल पर फर्जी एन्काऊंटर का आरोप है। 

मृतक सुखपाल की पत्नी दलबीर कौर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दी जानकारी के मुताबिक 13 अगस्त 1994 को सुखपाल को उनके गांव काला अफगान से पुलिस वाले उठा ले गए थे। कहा गया कि पूछताछ के बाद सुखपाल को छोड़ देंगे लेकिन उसका एन्काऊंटर कर दिया गया। सुखपाल सिंह को आतंकी गुरनाम सिंह बंडाला उर्फ नीला तारा का नाम लेकर मार दिया गया था। बाद में असली आतंकी बंडाला को जिंदा पाया गया। याचिका में मांग की गई थी कि इस मामले की सी.बी.आई. जांच करवाई जाए। यह मामला 2013 में हाईकोर्ट पहुंचा था। एन्काऊंटर के 22 साल बाद 2016 में एफ.आई.आर. दर्ज हुई थी। 

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