सुखपाल खैहरा का मान सरकार पर तीखा वार, कहा-“रबर स्टैंप बनती जा रही विधानसभा''''
punjabkesari.in Sunday, Dec 28, 2025 - 05:54 PM (IST)
पंजाब डेस्क: कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैहरा ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए पंजाब विधानसभा की गरिमा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। खैहरा ने कहा कि पूरे बजट, मानसून और शीतकालीन सत्रों की जगह सिर्फ एक दिन का औपचारिक सत्र आयोजित कर विधानसभा को मजाक बना दिया गया है, जिससे इसकी संवैधानिक और लोकतांत्रिक अहमियत कमजोर हो रही है।
खैहरा ने कहा कि विधानसभा, जो कि बहस, जवाबदेही और विधायी निगरानी का सबसे बड़ा मंच है, उसकी बैठकों की संख्या जानबूझकर घटाकर उसे केवल एक 'रबर स्टैंप' तक सीमित कर दिया गया है। उनके मुताबिक, ऐसे छोटे और औपचारिक सत्रों में न तो गंभीर चर्चा की गुंजाइश रहती है और न ही सरकार से जवाबदेही तय हो पाती है।
कांग्रेस विधायक ने यह भी आरोप लगाया कि इन संक्षिप्त सत्रों में प्रश्नकाल तक नहीं रखा जाता, जिससे चुने हुए प्रतिनिधियों से अपने-अपने क्षेत्रों से जुड़े मुद्दे उठाने का लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिया गया है। उन्होंने कहा कि जब प्रश्नकाल नहीं होता, तो सरकार की जवाबदेही भी खत्म हो जाती है और यह विपक्ष की आवाज दबाने की सोची-समझी रणनीति है।
खैहरा ने आगे दावा किया कि एक पक्षपाती स्पीकर की भूमिका के चलते विपक्षी विधायकों को बोलने से रोका जाता है और उनकी जायज दखलअंदाजियों को नजरअंदाज किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा की लाइव टेलीकास्ट भी केवल दिखावा बनकर रह गई है, क्योंकि कई बार विपक्ष की आवाज को म्यूट या नजरअंदाज कर दिया जाता है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान पर सीधा निशाना साधते हुए खैहरा ने आरोप लगाया कि विधानसभा को गंभीर बहस के मंच की बजाय हल्के-फुल्के मजाक और तंज का केंद्र बना दिया गया है, जबकि पंजाब को इस समय ठोस और मुद्दा आधारित चर्चा की सख्त जरूरत है। खैहरा ने यह भी कहा कि इन छोटे और गलत तरीके से आयोजित सत्रों से कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। विधानसभा में पारित प्रस्ताव भी लागू नहीं हो पा रहे और राज्यपाल की मंजूरी के अभाव में राजभवन में अटके पड़े हैं, जो प्रशासनिक तालमेल की कमी को दर्शाता है।
अंत में खैहरा ने चेतावनी दी कि विधानसभा परंपराओं की अनदेखी पंजाब के लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। उन्होंने मांग की कि तुरंत पूर्ण अवधि वाले बजट, मानसून और शीतकालीन सत्र बहाल किए जाएं, बैठकों की न्यूनतम संख्या सुनिश्चित हो, प्रश्नकाल पर कोई रोक न लगे और विपक्ष के विधायकों के साथ निष्पक्ष व्यवहार कर पंजाब विधानसभा की गरिमा को बनाए रखा जाए।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here

