सैनी ने दाखिल जमानत याचिका में कहा, सिटी सैंटर घोटाले का पर्दाफाश किया था इसलिए अब ले रहे बदला

punjabkesari.in Friday, Sep 04, 2020 - 10:41 AM (IST)

चंडीगढ़(हांडा): बलवंत सिंह मुल्तानी की किडनैपिंग व हत्या मामले में मुख्य आरोपी बनाए गए पूर्व डी.जी.पी. सुमेध सिंह सैनी ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की है। इस पर शुक्रवार को सुनवाई हो सकती है। अपने वकील ए.पी.एस. दियोल के मार्फत दाखिल की गई जमानत याचिका में सैनी ने कहा कि उन्हें जबरन फंसाया जा रहा है जबकि इस मामले में पहले ही सी.बी.आई. जांच हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट उन्हें बेकसूर बता चुका है। 

उन्होंने कहा कि वर्ष 2002 में पंजाब में हुए पब्लिक सॢवस कमीशन घोटाले में चेयरमैन रहे रवि सिद्धू की भूमिका को सुमेध ने ही आई.जी. इंटैलीजैंस रहते हुए सार्वजनिक किया था जिसमें कई करोड़ का घोटाला हुआ था। उस वक्त कैप्टन अमरेंद्र सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने मामले में फेवर मांगी थी लेकिन सैनी ने इंकार कर दिया था और उस मामले में कई बड़े नेताओं को सह अभियुक्त बनाया था। सैनी को उसके बाद ट्रांसफर भी किया गया था, जिसके बाद सैनी ने लुधियाना सिटी सैंटर में हुए 2500 करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश किया था, जिसमें कैप्टन, उनके बेटे व कई बड़े नेताओं की संलिप्तता सामने आई थी। उस समय भी सैनी पर राजनीतिक दबाव बनाया गया था लेकिन सैनी ने निष्पक्ष तरीके से मामले में जांच की थी।

कैप्टन की मदद नहीं करने का भुगत रहे खमियाजा
अमृतसर इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट में हुए करोड़ों के घोटाले का पर्दाफाश भी सुमेध सैनी ने विजीलैंस प्रमुख रहते किया था। इसमें कैप्टन अमरेंद्र सिंह व कई अन्य लोग शामिल थे। उस समय भी सैनी ने कैप्टन की मदद नहीं की थी। कैप्टन के मीडिया एडवाइजर रहे भरत इंद्र सिंह चहल ने अपने बेटे को स्पोटर््स कोटे में डी.एस.पी. भर्ती करवाया था लेकिन वह स्पोटर््स में नहीं था। इसका पर्दाफाश भी सैनी ने किया था। याचिका में बताया गया कि सुमेध सैनी ने भरत इंद्र सिंह चहल को भ्रष्टाचार के कई मामलों में गिरफ्तार भी किया था और जेल तक पहुंचाया था, जिसकी वजह से वर्तमान मुख्यमंत्री, चहल व अन्य राजनीतिज्ञ उन्हें निशाना बनाकर बदले की भावना से काम कर रहे हैं। 

सैनी को जान का खतरा इसलिए जमानत दी जानी चाहिए
सैनी की जमानत याचिका में बताया गया कि मुल्तानी मामला समाप्त हो चुका था, जिसे गुरमीत सिंह पिंकी ने वर्ष 2005 में एक इंटरव्यू देकर जीवित किया। जिस पर जांच हुई और सी.बी.आई. ने उन्हें बेकसूर बताया था। अब जब कैप्टन सरकार सत्ता में है और सुमेध सिंह सैनी रिटायर हो चुके हैं, जिन्हें फंसाने के लिए एक बार फिर गुरमीत सिंह पिंकी को मोहरा बनाया गया और मामले में सह अभियुक्त रहे चार रिटायर इंस्पैक्टरों व डी.एस.पी. पर दबाव बनाकर उनसे मीटिंग्स की गई, जिनकी ऑडियो रिकार्डिंग भी है। 

2 इंस्पैक्टरों पर दबाव बनाकर उनके बयान करवाए गए और उन्हें वायदा माफ गवाह बनकर सैनी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। 29 वर्ष बाद दिए गए बयानों के अलावा पुलिस के पास कोई सबूत नहीं है इसलिए सुमेध सैनी को जमानत दी जानी चाहिए। वहीं, पंजाब पुलिस की एस.आई.टी. सैनी की गिरफ्तारी को लेकर कई जगह छापेमारी कर चुकी है। सैनी उन्हें मिली सुरक्षा के बिना ही फरार हैं। याचिका में कहा कि सैनी को जान का खतरा है इसलिए उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।


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