गोली किसने चलाई थी इसका जवाब बादल व सुखबीर दोनों को देना ही पड़ेगा : जाखड़

punjabkesari.in Friday, Sep 07, 2018 - 08:35 AM (IST)

जालंधर(धवन): पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने 2002 से 2017 तक तीन बार अबोहर विधानसभा हलके का प्रतिनिधित्व किया। 2012 में जाखड़ को पंजाब विधानसभा में विपक्ष का नेता चुना गया था। 2017 में गुरदासपुर लोकसभा सीट के हुए उप चुनाव में जाखड़ ने भाजपा को बुरी तरह से पटखनी दी। लोकसभा के पूर्व स्पीकर स्व. बलराम जाखड़ के पुत्र सुनील जाखड़ को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2017 में पंजाब कांग्रेस की कमान सौंपी थी। मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह ने जाखड़ को अध्यक्ष बनाने की केन्द्रीय नेतृत्व से वकालत की थी। कांग्रेस राज्य में जब विपक्ष में थी तो कैप्टन के साथ मिलकर जाखड़ ने अकालियों के खिलाफ जोरदार मुहिम चलाई थी। अब लोकसभा चुनाव निकट आ रहे हैं तथा पंचायतों के चुनाव पंजाब में चल रहे हैं। धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी की घटनाओं को लेकर पंजाब का सियासी पारा गर्माया हुआ है। इस मामले को लेकर जाखड़ से विभिन्न सवाल किए गए, जिनके उन्होंने बेबाक जवाब दिए। 
 

प्र. : बहबलकलां में पूर्व सरकार के समय सिख समुदाय पर चली गोली के कारण पंजाब में कांग्रेस व अकाली दल के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है?
उ. : पंजाब में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सरकार ने बहबलकलां व बरगाडी कांड को लेकर जस्टिस रंजीत सिंह के नेतृत्व में आयोग का गठन किया था। जस्टिस रंजीत सिंह ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी, जिसे विधानसभा में रखा गया परन्तु उस पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर बादल ने बहस में हिस्सा नहीं लिया। इस मामले को अनावश्यक तौर पर अकाली दल ही तूल दे रहा है, क्योंकि उसके पास और कोई सियासी मुद्दा नहीं है। वोटों के ध्रुवीकरण के लिए ही अकाली बार-बार जस्टिस रंजीत सिंह की रिपोर्ट पर भी उंगलियां उठा रहे हैं। 

प्र. : सुखबीर द्वारा बार-बार आप को भी धमकियां दी जा रही हैं?
उ. : मुझ पर इन धमकियों का कोई असर नहीं। जनता सब देख रही है। जनता ने 2017 में भी अकालियों का अहंकार तोड़ा था परन्तु ऐसा लगता है कि अभी भी अकाली नेतृत्व अहंकार में जी रहे हैं। 2019 तथा फिर 2022 में उन्हें जनता पुन: जवाब दे देगी। 

प्र. : असल मामले पर तो अभी तक अकाली नेतृत्व की ओर से कोई जवाब भी नहीं आया कि गोली चलाने के आदेश किसने दिए थे?
उ. : हम भी यही अकाली नेतृत्व से पूछ रहे हैं कि आखिर पूर्व मुख्यमंत्री बादल बताएं कि बहबलकलां में गोली चलाने के निर्देश किसने दिए थे। यह मामला हल होना चाहिए परन्तु अकाली नेतृत्व असल मुद्दे से अब भी भाग रहा है परन्तु अंतत: उन्हें जनता का सामना करना ही पड़ेगा। 

प्र. : अकाली दल यह आरोप लगा रहा है कि कांग्रेस पंजाब के हालात खराब करना चाहती है?
उ. : इसमें कोई सच्चाई नहीं है। वास्तव में पंजाब में अमन व शांति कांग्रेस की ही देन है। कांग्रेस ने अपने हजारों नेताओं की कुर्बानियां दीं। दूसरी ओर अकाली तो आतंकवाद को प्रोत्साहित करते रहे। 

प्र. : मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह पर भी व्यक्तिगत आरोप अकाली नेतृत्व द्वारा लगाए गए हैं?
उ. : यह अकालियों की बौखलाहट का नतीजा है क्योंकि वे जनता को बताना नहीं चाहते कि बहबलकलां में गोली चलाने के निर्देश उनकी सरकार के समय किसने दिए थे। जनता का ध्यान असल मुद्दे से हटाने की कोशिशें हो रही हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने तो जस्टिस रंजीत सिंह की रिपोर्ट विधानसभा में रखकर गेंद अकालियों के पाले में डाल दी है। 

प्र. : अकाली दल विशेष रूप से सुखबीर की तीखी बयानबाजी पर आप क्या कहेंगे?
उ. : लोकतंत्र में सभी को अपने विचार रखने का हक है। चाहे कोई तीखी बयानबाजी क्यों न कर ले, पर पंजाब के लोग व जनता जानती है कि कौन कितने पानी में है। 

प्र. : धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी को लेकर चल रही बहस का कहीं कट्टरपंथी तत्व फायदा न उठा लें?
उ. : पंजाब में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सरकार कानून व्यवस्था की स्थिति को किसी भी कीमत पर भंग नहीं होने देगी। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने साफ शब्दों में कह दिया कि राज्य में किसी को भी अमन व शांति भंग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। कांग्रेस सरकार ने गैंगस्टरों का उल्टा सफाया कर दिया है। पूर्व गठबंधन सरकार के कार्यकाल में ही हत्याओं, बलात्कार , छीनाझपटी का बोलबाला था।  

प्र. : पैट्रोल व डीजल के दाम आसमान को छू रहे हैं, केन्द्र सरकार इन पर नियंत्रण पाने में सफल नहीं हुई?
उ. : आज अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 80 डालर प्रति बैरल पर चल रहा है। भारत में पैट्रोल व डीजल क्रमश: 85 व 70 रुपए प्रति लीटर के स्तर को तोड़ चुका है। कांग्रेस के नेतृत्व में जब डा. मनमोहन सिंह की सरकार जब केन्द्र में सत्ता में थी, तो अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव 120 डालर प्रति बैरल को पार कर गए थे, परन्तु उस समय भी पैट्रोल व डीजल के दाम इतने ऊंचे नहीं हुए थे। स्पष्ट है कि केन्द्र की मोदी सरकार ने पैट्रोल व डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाकर लोगों को राहत नहीं दी, जबकि मनमोहन सरकार ने एक्साइज ड्यूटी घटाकर लोगों को राहत दी हुई थी। 

प्र. : पैट्रोलियम उत्पादों व महंगाई के मामले में भाजपा की सहयोगी पार्टी अकाली दल खामोश क्यों है?
उ : वास्तव में अकाली दल ने कभी भी अपना धर्म नहीं निभाया। केन्द्र में उनकी सहयोगी पार्टी भाजपा की सरकार है। उन्हें महंगाई व पैट्रोल डीजल की कीमतों को लेकर केन्द्र के सामने प्रोटैस्ट करना चाहिए परन्तु वह खामोश है। 

प्र. : डालर के मुकाबले रुपया भी निम्र स्तर पर जा पहुंचा है?
उ. : मोदी सरकार ने रुपया संभालने की कोशिश ही नहीं की। रिजर्व बैंक को इसमें दखल देना चाहिए था। वास्तव में महंगाई नियंत्रण से बाहर हो चुकी है तथा कांग्रेस इस मामले को लेकर जनता के बीच में जाएगी। 

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