नए जिला प्रधानों को लेकर राज्यभर से उठने लगी आवाजें

punjabkesari.in Saturday, Jan 12, 2019 - 10:22 AM (IST)

जालंधर(रविंदर): प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ की ओर से प्रस्तावित किए जिला प्रधानों के नामों पर चाहे पार्टी हाईकमान ने मोहर लगा दी है, मगर नवनियुक्त जिला प्रधानों का नाम ऐलान होते ही इनका विरोध शुरू हो गया है। नए बने प्रधानों में कई ऐसे नाम हैं, जिनका कद इस महत्वपूर्ण पद के लिए नहीं है। ऐसे में पार्टी के लिए लंबे समय से काम करने वाले कर्मठ वर्कर व नेता बेहद नाखुश हैं।

कई जिलों में तो नए प्रधानों के खिलाफ पार्टी नेता ही प्रदर्शन करने लगे हैं। कई नाम तो ऐसे हैं, जिन्हें चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस का दफ्तर तक नहीं पता और जिन्हें जिले में कितने ब्लॉक व वार्ड हैं, की भी पूरी जानकारी नहीं है। गुरदासपुर में जहां पार्टी ने बिना सोचे-समझे एक सरकारी मुलाजिम को ही जिला प्रधान बना दिया, वहीं खन्ना से बने प्रधान ने भी कहा कि उसकी तो प्रधान बनने की मंशा ही नहीं थी। जालंधर जिले में भी ऐसे नेताओं के हाथ शहरी व देहाती की कमान सौंप दी गई जिनका सियासी कद बेहद कम है। जिस तरह के बेनाम चेहरों को जिला प्रधान बना दिया गया, उससे चेयरमैनी की दौड़ में चल रहे नेताओं के मन में भी एक डर बैठ गया है। उन्हें डर है कि जिस तरह से बेनाम हस्तियां जिला प्रधान पद पर आकर बैठ गई हैं, उसी तरह कहीं चेयरमैनियों के नाम भी बेनाम नेताओं के रूप में सामने न आ जाएं।

हैरानी की बात यह है कि क्या प्रदेश कांग्रेस ने इन नामों को भेजने से पहले किसी तरह की कोई एक्सरसाइज नहीं की थी। नए प्रधानों के नामों पर उंगली उठने को लेकर सीधे तौर पर प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। गौर हो कि इससे पहले भी प्रदेश कार्यकारिणी की कोई मीटिंग न करने को लेकर सुनील जाखड़ पर सवाल खड़े होते रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस की निष्क्रिय प्रणाली को लेकर पहले भी हाईकमान बेहद नाखुश चल रही है। अब लोकसभा चुनाव से पहले कमजोर प्रधानों की लिस्ट भेज कर एक बार फिर सुनील जाखड़ निशाने पर आ गए हैं।

उधर, जालंधर में हाईकमान ने एक पूर्व पार्षद जिसने खुलकर अपनी ही पार्टी के विधायक के खिलाफ आवाज बुलंद की हो को जिला प्रधान बनाकर नई गुटबाजी व बगावत को हरी झंडी दे दी है। जिले के सीनियर कांग्रेसी नेता भी इस बात से हैरान हैं कि जिस नेता की नगर निगम चुनावों में टिकट कट गई और पिछले तकरीबन 2 साल से जो नेता निष्क्रिय होकर घर बैठ गया और जिसका पार्टी के किसी भी प्रोग्राम से कोई नाता नहीं रहा, उसे जिला प्रधान बनाकर पार्टी क्या दिशा देना चाहती है। कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि पार्टी के भीतर सरकार की बजाय संगठन ज्यादा मजबूत होता है। मगर जिस तरह से जिला प्रधानों के नामों का ऐलान किया गया है, उससे तो लगता है कि पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में खुद ही फिसड्डी होना चाहती है। जिला प्रधान की दौड़ में कई अन्य सीनियर नेताओं का नाम भी चल रहा था, मगर इन सब नामों को दरकिनार कर पार्टी ने उन नेताओं को प्रधान बना दिया जो पिछले लंबे समय से किसी भी गतिविधि में एक्टिव नहीं रहे। ऐसे में आने वाले दिनों में यह विरोध और तेज होने की संभावना है और कर्मठ नेताओं व वर्करों के स्वर और मुखर हो सकते हैं।

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